Child Marriage : सोनभद्र में बाल विवाह का कहर जारी इस साल 30 शादियां रोकी गईं, उच्च मातृ मृत्यु दर चिंता का विषय

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बाल विवाह की कुप्रथा बड़े पैमाने पर जारी है। इस साल अब तक 30 बाल विवाह रोके गए हैं। जिले की मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है, जो कम उम्र में शादी और गर्भावस्था से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को उजागर करती है।

Sonbhadra News :  उत्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल सोनभद्र जिले में बाल विवाह की कुप्रथा आज भी बड़े पैमाने पर जारी है, जो चौंकाने वाली मातृ मृत्यु दर (MMR) में भी परिलक्षित होती है। इस साल जनवरी से जून 2025 तक अकेले सोनभद्र में 30 बाल विवाह रोके गए हैं, जबकि कई मामलों में मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं।


बाल विवाह की जड़ें और परिणाम

जिले के चोपन ब्लॉक की ग्राम पंचायत जुगैल, जिसकी आबादी लगभग 40 हजार है, में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है। यहाँ की ज्यादातर आबादी गरीब, अशिक्षित और बेरोजगार है, जहाँ लोग लालच और सदियों पुरानी 'परंपरा' की आड़ में अपने मासूम बेटे-बेटियों का बाल विवाह कर देते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह उनकी पुरानी परंपरा है और वे इस बात को लेकर भी चिंतित रहते हैं कि बेटी कहीं 'गलत कदम' न उठा ले।

बाल विवाह का सबसे बड़ा खामियाजा कम उम्र की लड़कियों को भुगतना पड़ता है। कम उम्र में गर्भवती होने पर उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, और कई बार इलाज के अभाव में उनकी मृत्यु भी हो जाती है।


चौंकाने वाली मातृ मृत्यु दर

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सोनभद्र की मातृ मृत्यु दर देश और उत्तर प्रदेश के औसत से कहीं अधिक है। सोनभद्र में प्रति एक लाख महिलाओं पर मातृ मृत्यु दर 218 है, जबकि देश की 167 और उत्तर प्रदेश की 157 है। यह आंकड़ा सीधे तौर पर बाल विवाह से जुड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं की ओर इशारा करता है।


पूरे जिले में समस्या, जुगैल सबसे आगे

यह समस्या केवल जुगैल तक सीमित नहीं है, बल्कि सोनभद्र जिले के चोपन, दुद्धी, म्योरपुर, बभनी, घोरावल और चतरा ब्लॉक के गांवों में भी यही स्थिति है। सबसे ज्यादा बाल विवाह शहर से सटे चतरा ब्लॉक में रोके जाते हैं, लेकिन सबसे अधिक बाल विवाह जुगैल ग्राम पंचायत से जुड़े 75 टोलों में होते हैं, जहाँ वैंगा, खरवार, गोंड जैसी जनजातियाँ निवास करती हैं।


बढ़ते आंकड़े और कार्रवाई

जिले में बाल विवाह रोकने के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं:

  • 2022: 15 बाल विवाह रोके गए।

  • 2023: 38 बाल विवाह रोके गए।

  • 2024: 57 बाल विवाह रोके गए।

  • इस साल (जनवरी से जून 2025): 30 बाल विवाह रोके गए हैं।

यह सभी शादियां सूचनाओं के आधार पर रोकी गईं, लेकिन माना जाता है कि बड़ी संख्या में बाल विवाह अब भी हो रहे हैं जिनकी सूचनाएं पुलिस-प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती हैं।


पैसों के लिए नाबालिगों की तस्करी

पुलिस के अनुसार, पैसों के लालच में नाबालिग लड़कियों की शादी अक्सर राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के जिलों में कर दी जाती है। 2024 में ऐसे छह मामले सामने आए थे, जिनमें मुकदमे भी दर्ज किए गए थे।

जिला प्रोबेशन अधिकारी पुनीत टंडन ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए हर ब्लॉक में समिति गठित की गई है। ये समितियां गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं और बाल विवाह रोक रही हैं।