टपकने लगा ताजमहल का गुंबद! 73 मीटर की ऊंचाई से पानी का रिसाव, क्या हैं 3 मुख्य वजहें?
आगरा के ताजमहल के 73 मीटर ऊंचे गुंबद से पानी का रिसाव होने लगा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की जांच में यह खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि मरम्मत कार्य में करीब 6 महीने का समय लग सकता है।

आगरा, उत्तर प्रदेश: अपनी अद्भुत खूबसूरती और प्रेम की निशानी माने जाने वाले आगरा के ताजमहल में पानी टपकने की खबर ने सभी को हैरान कर दिया है। यह पानी किसी निचले हिस्से से नहीं, बल्कि 73 मीटर की ऊँचाई पर स्थित गुंबद से रिस रहा है। अब सवाल उठ रहे हैं कि गुंबद तक पानी कैसे पहुँच रहा है और इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
73 मीटर ऊंचे गुंबद से रिसाव
ASI की टीम को जैसे ही ताजमहल के गुंबद से पानी टपकने की सूचना मिली, वे तुरंत मौके पर पहुँचे। शुरुआती जांच में पाया गया कि गुंबद में 73 मीटर की ऊँचाई से पानी का रिसाव हो रहा है। जब ताज की थर्मल स्कैनिंग की गई, तो यह चौंकाने वाली बात सामने आई।
पानी के रिसाव की संभावित 3 वजहें
हालांकि ASI ने अभी तक रिसाव की सटीक वजहों का आधिकारिक खुलासा नहीं किया है, लेकिन विशेषज्ञ और जानकार कुछ संभावित कारण बता रहे हैं:
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पुराने चूना प्लास्टर में दरारें: ताजमहल का गुंबद सदियों पुराने चूना प्लास्टर से बना है। समय के साथ और मौसम के लगातार प्रभाव से इस प्लास्टर में बारीक दरारें आ सकती हैं। इन दरारों से बारिश का पानी रिसकर अंदर तक पहुँच सकता है।
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जोड़ों का ढीला पड़ना: गुंबद के निर्माण में उपयोग किए गए पत्थरों के जोड़ समय के साथ ढीले पड़ सकते हैं। इन जोड़ों में पानी जमा होकर धीरे-धीरे रिसाव का कारण बन सकता है, खासकर भारी बारिश के बाद।
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संरचनात्मक कमजोरी या छिद्र: हालांकि ताजमहल की संरचना बेहद मजबूत है, लेकिन अगर किसी छोटे हिस्से में कोई अप्रत्याशित संरचनात्मक कमजोरी या छिद्र विकसित हो गया हो, तो वहां से भी पानी का रिसाव संभव है। हालांकि, यह संभावना कम है, क्योंकि ASI नियमित रखरखाव करता है।
मरम्मत में लगेगा 6 महीने का समय
सूत्रों के अनुसार, ASI को अब 15 दिनों के भीतर गुंबद पर लगे पाड़ (मचान) की जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपनी है। इसके बाद विशेषज्ञों की टीम इस पर काम करेगी। बताया जा रहा है कि ताजमहल के गुंबद की मरम्मत में करीब 6 महीने का समय लग सकता है।
यह घटना ताजमहल के संरक्षण के महत्व को फिर से उजागर करती है, जो न केवल भारत का गौरव है, बल्कि विश्व धरोहर भी है।
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