आयुष्मान भारत योजना: वाराणसी में CDO ने दिए सख्त निर्देश, 'लाभार्थियों को मिले नियमानुसार इलाज, वरना मान्यता रद्द'

वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि लाभार्थियों से मुफ्त इलाज के बावजूद पैसे वसूले गए, तो अस्पताल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। आधार से जांच, हेल्प डेस्क, और प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया गया है।

आयुष्मान भारत योजना: वाराणसी में CDO ने दिए सख्त निर्देश, 'लाभार्थियों को मिले नियमानुसार इलाज, वरना मान्यता रद्द'

वाराणसी, उत्तर प्रदेश: आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध चिकित्सालयों में लाभार्थियों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए, मुख्य विकास अधिकारी (CDO) हिमांशु नागपाल ने शनिवार को राइफल क्लब में हुई बैठक के दौरान सख्त निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि सभी लाभार्थियों को नियमानुसार निशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।


इलाज के दौरान खर्च हुई राशि की वापसी और कार्रवाई के निर्देश

CDO नागपाल ने स्पष्ट किया कि यदि लाभार्थियों से इलाज के दौरान कोई धनराशि ली गई है, तो उसे तत्काल नियमानुसार वापस किया जाए। ऐसा न करने की स्थिति में चिकित्सालय के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, जिसमें योजना में चिकित्सालय की आबद्धता निरस्त करने के लिए स्टेट एजेंसी फॉर हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) को सूचित करते हुए जिला स्तरीय स्थानीय पंजीकरण रद्द करने की कार्रवाई भी शामिल है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में 26 लाभार्थियों द्वारा चिकित्सालय में आयुष्मान कार्ड होने पर भी पैसे लिए जाने की शिकायत की गई थी। इनमें से 20 लाभार्थियों की धनराशि वापस कराई जा चुकी है, 3 केसों की प्रक्रिया चल रही है, और 3 केसों को साचीज भेजा गया है। हेरिटेज, गैलेक्सी और हेल्थ सिटीज अस्पताल से संबंधित शिकायतों को राज्य स्तर पर नियंत्रक संस्था (साचीज) को अवगत कराते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।


पारदर्शिता और जागरूकता पर जोर

CDO ने सभी सूचीबद्ध चिकित्सालयों को निर्देश दिया कि वे आने वाले सभी रोगियों से अनिवार्य रूप से यह सहमति पत्र लें कि "रोगी आयुष्मान कार्ड धारक है अथवा नहीं, तथा उनके आधार कार्ड से इसे पोर्टल पर जांच कर प्रमाणित किया जाए।"

इसके अतिरिक्त, समस्त आबद्ध चिकित्सालयों को आयुष्मान भारत योजना से संबंधित प्रचार-प्रसार के लिए सूचना, शिक्षा व संचार (IEC) सामग्री, हेल्प डेस्क और कियोस्क को अद्यतन (अपडेट) करने तथा कार्यालय में सूचित करने का निर्देश दिया गया। हेल्प डेस्क पर आयुष्मान मित्र की उपस्थिति के साथ-साथ उनके और चिकित्सालय के दूरभाष नंबर भी प्रदर्शित किए जाएं।

यू०पी० क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) नियम 2016 की धारा 28 (सूचना के प्रदर्शन) का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए चिकित्सालय परिसर में चिकित्सा इकाई का योजनांतर्गत स्पेशियलिटी रजिस्ट्रेशन नंबर, संचालक का नाम, बेड की संख्या, औषधि की पद्धति एवं चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं तथा चिकित्सा कर्मचारियों का विवरण डिस्प्ले बोर्ड पर प्रदर्शित करने को कहा गया है। इस डिस्प्ले बोर्ड का बैकग्राउंड पीला और हिंदी अक्षरों का रंग काला होना चाहिए, जिसे चिकित्सालय के मुख्य द्वार के पास प्रदर्शित किया जाए। चिकित्सालय के मुख्य द्वार पर शिकायत पेटिका लगाना भी अनिवार्य किया गया है।


दावों के निरस्तीकरण और निवारण पर चर्चा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संदीप चौधरी ने बताया कि योजना में अनुबंधित चिकित्सालयों द्वारा छह माह से पूर्व निरस्त किए गए दावों (क्लेम) को रद्द (रिवोक) किए जाने के अनुरोध पर, साचीज से प्राप्त निर्देश के क्रम में ऐसे निरस्त दावों पर नियमानुसार विचार नहीं किया जाएगा।

जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक में प्रस्तुत किए गए दावा प्रपत्रों पर लिए गए निर्णय से असंतुष्टि होने पर उच्च स्तर पर राज्य शिकायत निवारण समिति (SGRC) के समक्ष अधिकतम 30 दिनों के भीतर अग्रिम अपील चिकित्सालय द्वारा प्रस्तुत की जा सकती है। समिति के समक्ष अक्सर पाई जाने वाली कुछ कमियों का भी उल्लेख किया गया, जिनके निवारण से योजना का संपूर्ण लाभ लिया जा सकता है, जैसे:

  • मरीज को सीधे आईसीयू/एचडीयू से डिस्चार्ज करना।

  • हिस्टोपैथोलॉजी एग्जामिन (HPE) रिपोर्ट संलग्न न करना।

  • भर्ती और डिस्चार्ज के समय आधार बायो-ऑथ न करना।

  • समयानुसार क्वेरीज अपडेट न करना।

  • एक साथ दो पैकेज सिलेक्ट करना।

  • ओपीडी के आधार पर उपचार किए जा सकने वाले केस को भी आईपीडी में दिखाना।

  • मरीज का पिछला रिकॉर्ड चेक किए बिना मिलते-जुलते पैकेज में दोबारा अल्प अवधि में ही प्री-ऑथराइजेशन के लिए आवेदन करना।

इस बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस एस कन्नौजिया, डॉ पीयूष राय, डीजीएम सागर कुमार, नावेन्द्र सिंह एवं चिकित्सालयों के प्रतिनिधि प्रबंधक उपस्थित रहे।

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