वाराणसी में सोने के भगवान जगन्नाथ चांदी के रथ पर हुए विराजमान, 108 श्रद्धालुओं ने खींची भव्य रथयात्रा

वाराणसी के रामकुंड स्थित श्री आशुतोष हरिदास मठ में मठ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की सोने की प्रतिमाओं को चांदी के भव्य रथ पर विराजमान कर रथयात्रा निकाली गई। 108 श्रद्धालुओं ने यह रथ खींचा।

वाराणसी में सोने के भगवान जगन्नाथ चांदी के रथ पर हुए विराजमान, 108 श्रद्धालुओं ने खींची भव्य रथयात्रा

Varanasi News :  शुक्रवार को वाराणसी के रामकुंड स्थित श्री आशुतोष हरिदास मठ में परंपरा, भक्ति और उल्लास का एक अद्भुत संगम देखने को मिला। मठ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के पावन अवसर पर, भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की सोने की प्रतिमाओं को एक भव्य चांदी के रथ पर विराजमान कराकर रथयात्रा निकाली गई। इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े।


108 श्रद्धालुओं ने खींचा रथ, मठ में गूंजा 'जय जगन्नाथ'

यह रथयात्रा अपने आप में बेहद ख़ास थी, जहाँ 108 श्रद्धालुओं ने मिलकर इस चांदी के रथ को खींचा और पूरे परिसर में तीन परिक्रमाएं कराईं। इस दौरान, पूरा मठ परिसर 'जय जगन्नाथ' के जयघोषों से गूंज उठा। वर्षों से मठ से जुड़ी बंगीय महिलाएं और युवतियां भी इस रथयात्रा के आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रहीं।

यात्रा की शुरुआत विशिष्ट वैदिक मंत्रोच्चार और पद पाठ के साथ हुई। इसके बाद, छह सोपानों वाले रथ के शीर्ष पर भगवान जगन्नाथ की स्वर्ण प्रतिमा को ससम्मान स्थापित किया गया।


तुलसी और पवित्र मालाओं से अलंकृत रहा रथ

रथ के निचले भाग में मठ के संस्थापक और उनके गुरु की प्रतिमाएं भी स्थापित की गईं। इन प्रतिमाओं को अनुयायियों ने गोद में लेकर मठ के मुख्य कक्ष से बाहर लाकर रथ पर विराजमान कराया। यह पूरा रथ तुलसी और अन्य पवित्र मालाओं से अलंकृत था, जो श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बना हुआ था।


धार्मिक अनुष्ठान के साथ आध्यात्मिक विरासत का प्रदर्शन

आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के पावन दिन निकाली गई यह रथयात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं थी, बल्कि यह वाराणसी की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत का एक जीवंत प्रदर्शन भी था। तीन बार मंदिर की परिक्रमा कराने के बाद, बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरित किया गया।

पुरी की विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा की परंपरा से जुड़ी काशी की यह रथयात्रा भी हर वर्ष श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होती है। इस बार चांदी के रथ, 108 हाथों से खिंचती भक्ति की डोर और 'जय जगन्नाथ' के जयघोषों की गूंज ने इस आयोजन को और भी ऐतिहासिक बना दिया।

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