'पिता से नहीं मिली बच्चे की शक्ल': पत्नी की गोली मारकर की थी हत्या, उम्रकैद काट रहे दोषी को राहत नहीं; कोर्ट ने दिया कड़ा संदेश

Bareilly mein pati ne bachche ki shakal na milne par patni ki goli maarkar hatya ki. Umrakaid kaat rahe doshi ko rahat nahi, court ne saza kam karne se inkar kiya. Jaaniye poora mamla.

'पिता से नहीं मिली बच्चे की शक्ल': पत्नी की गोली मारकर की थी हत्या, उम्रकैद काट रहे दोषी को राहत नहीं; कोर्ट ने दिया कड़ा संदेश

बरेली, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 18 साल पहले हुई एक दर्दनाक घटना के दोषी को अब तक कोई राहत नहीं मिली है। साल 2007 में अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या करने वाले हेमराज को अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। अब, 15 साल जेल में बिताने के बाद, उसकी समयपूर्व रिहाई के प्रस्ताव को शासन ने सख्ती से खारिज कर दिया है। प्रशासन ने साफ कहा है कि ऐसे गंभीर अपराधों में किसी तरह की रियायत नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।


क्या था पूरा मामला?

यह हृदय विदारक घटना बरेली के अलीगंज थाना क्षेत्र के महोवा गांव में हुई थी। हेमराज ने अपनी पत्नी श्यामकली की सिर्फ इस शक में हत्या कर दी थी कि उनके नवजात बेटे का चेहरा उस पर नहीं गया है। इस झूठे शक और बेवफाई के आरोप के चलते, हेमराज ने साल 2007 में गुस्से में श्यामकली को गोली मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

श्यामकली के पिता ने अलीगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने हेमराज को गिरफ्तार किया और मामला अदालत में चला गया। साल 2010 में कोर्ट ने इस हत्या को एक जघन्य अपराध मानते हुए हेमराज को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। तब से वह बरेली के केंद्रीय कारागार टू में बंद है और अपने किए की सज़ा काट रहा है।


समयपूर्व रिहाई का प्रस्ताव खारिज

जेल नियमों के अनुसार, जब कोई कैदी कम से कम 14 साल की सज़ा पूरी कर लेता है, तो जेल प्रशासन उसकी समयपूर्व रिहाई के लिए शासन को प्रस्ताव भेज सकता है। हेमराज ने 15 साल की सज़ा पूरी कर ली थी, इसलिए बरेली जेल प्रशासन ने उसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा।

प्रस्ताव मिलने के बाद, शासन ने पूरी प्रक्रिया शुरू की और तीन स्तरों – जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिला प्रोबेशन अधिकारी – से रिपोर्ट मांगी। सभी अधिकारियों ने हेमराज की रिहाई का पुरजोर विरोध किया। उनका तर्क था कि इतने गंभीर अपराध के बावजूद अगर उसे समय से पहले रिहा कर दिया गया, तो समाज में गलत संदेश जाएगा और लोगों का न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ सकता है।

तीनों विभागों की रिपोर्ट शासन को सौंपी गई, जिसके बाद रिपोर्ट राज्यपाल को अंतिम फैसले के लिए भेजी गई। राज्यपाल ने भी इन तर्कों को स्वीकार करते हुए हेमराज की समयपूर्व रिहाई को मंजूरी नहीं दी। यह जानकारी अब जेल प्रशासन के ज़रिए हेमराज को दे दी गई है।


शासन का कड़ा रुख और न्याय का संदेश

प्रशासन ने साफ तौर पर कहा है कि ऐसे अपराध, जिनमें किसी की जान चली गई हो, उन पर कोई रियायत नहीं दी जा सकती। अगर ऐसे मामलों में समय से पहले रिहाई होने लगे, तो समाज में न्याय व्यवस्था की गंभीरता खत्म हो जाएगी। डीएम, एसएसपी और प्रोबेशन अधिकारी ने अपनी पाँच बिंदुओं की रिपोर्ट में यह भी लिखा कि पत्नी की हत्या सिर्फ शक के आधार पर करना सामाजिक मूल्यों और कानून दोनों के खिलाफ है। ऐसे अपराधियों को पूरी सज़ा काटनी चाहिए, ताकि दूसरों के लिए भी यह एक उदाहरण बन सके।

हेमराज ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है, जो अभी विचाराधीन है। जब तक हाईकोर्ट कोई नया आदेश नहीं देता, तब तक उसे जेल में ही रहना होगा। यह फैसला समाज को एक कड़ा संदेश देता है कि गंभीर अपराधों में न्याय का पालन किया जाएगा, भले ही अपराधी कितनी भी लंबी सज़ा काट चुका हो।