बिहार का 'स्मार्ट विलेज' सतघरा: कतर, इंग्लैंड, अमेरिका से आ रहे पैसे, गांव वालों ने खुद बदल दी तकदीर!

बिहार के मधुबनी जिले में सतघरा गांव के लोगों ने मिलकर अपने गांव को एक 'स्मार्ट विलेज' में बदल दिया है। विदेश में रह रहे प्रवासियों के आर्थिक सहयोग से इस गांव में पक्की सड़कें, वाई-फाई, सीसीटीवी और एंबुलेंस जैसी सुविधाएं विकसित की गई हैं, जो अन्य गांवों के लिए एक प्रेरणा है।

बिहार का 'स्मार्ट विलेज' सतघरा: कतर, इंग्लैंड, अमेरिका से आ रहे पैसे, गांव वालों ने खुद बदल दी तकदीर!

मधुबनी, बिहार: बिहार के मधुबनी जिले में एक ऐसा अनोखा गांव है, जिसने अपनी पहल से स्मार्ट सिटी जैसी सुविधाएं विकसित कर ली हैं। इस गांव का नाम है सतघरा, जहाँ पक्की सड़कें, Wi-Fi, CCTV कैमरे, एंबुलेंस और स्मार्ट स्कूल जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। सबसे खास बात यह है कि ये सुविधाएं सरकार द्वारा नहीं, बल्कि स्वयं गांव के लोगों के सामूहिक प्रयासों और विदेश में रहने वाले प्रवासियों के आर्थिक सहयोग से स्थापित की गई हैं। सतघरा के लोग अब दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं, जिन्होंने महज दो साल में अपने गांव को पूरी तरह बदल दिया है।


विदेश से आया विकास का विचार

दो साल पहले तक सतघरा की स्थिति वैसी ही थी जैसी आमतौर पर गांवों की होती है। लेकिन जब विदेश में रहने वाले गांव के लोग अपनी मातृभूमि आते थे, तो उन्हें गांव की हालत देखकर दुख होता था। इसी भावना ने उन्हें एकजुट किया और उन्होंने मिलकर गांव का विकास करने का फैसला किया।

अमेरिका में गूगल कंपनी में कार्यरत सुनील कुमार झा और वहीं एक कंपनी के सीईओ संजय कुमार झा ने सूरत में रहने वाले अपने दोस्त अरविंद चौधरी (जो एक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर हैं) से इस बारे में बात की। यहीं से सतघरा विकास फाउंडेशन की नींव पड़ी। जल्द ही, इंग्लैंड, कतर और बहरीन जैसे विभिन्न देशों में रहने वाले सतघरा गांव के लोग इस फाउंडेशन से जुड़ गए। गांव के जिम्मेदार लोगों को भी इसमें शामिल किया गया, और इस तरह सामूहिक प्रयासों से गांव का विकास कार्य शुरू हुआ।


सतघरा में उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाएं

सतघरा में अब 7 प्रमुख योजनाओं के तहत विकास कार्य किए जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पक्की सड़कें: गांव की अधिकांश सड़कें अब पक्की हो चुकी हैं।

  • वाई-फाई सुविधा: पूरे गांव में वाई-फाई कनेक्टिविटी उपलब्ध है, जिससे डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल रहा है।

  • सीसीटीवी कैमरे: सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

  • एंबुलेंस सुविधा: गांव वालों को आपात स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए एंबुलेंस की सुविधा भी मिल रही है।

  • बुजुर्गों के लिए रसोई घर: बुजुर्गों के लिए एक सामुदायिक रसोईघर भी स्थापित किया गया है, जहाँ वे भोजन कर सकते हैं।

  • फ्री मेडिकल कैंप: फाउंडेशन द्वारा हर रविवार को एक निःशुल्क मेडिकल कैंप लगाया जाता है, जिससे गांव के लोगों को आसानी से इलाज मिल पाता है।

  • स्मार्ट क्लास: गांव के एक प्लस टू स्कूल और दो प्राथमिक स्कूलों में सतघरा विकास फाउंडेशन की ओर से ₹6 लाख की लागत से स्मार्ट क्लास रूम तैयार किए गए हैं। इनमें प्रोजेक्टर, कंप्यूटर और इन्वर्टर जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, जिससे कमजोर और जरूरतमंद बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।


सामूहिक भागीदारी और प्रबंधन

सतघरा विकास फाउंडेशन का अपना एक समर्पित व्हाट्सएप ग्रुप है, जिसमें गांव के सभी लोग जुड़े हुए हैं। गांव में होने वाली किसी भी समस्या और उसके संभावित समाधान पर इसी ग्रुप में चर्चा की जाती है। इसके बाद, एक 18 सदस्यीय कोर कमेटी इन मुद्दों पर संज्ञान लेती है और आवश्यक फैसले लेती है, जिसके बारे में बाद में गांव वालों को सूचित किया जाता है। सतघरा विकास फाउंडेशन का एक बैंक अकाउंट भी है, जिसमें विदेशों से और देश के भीतर से सहयोग राशि आती है।

सतघरा गांव का यह मॉडल बताता है कि कैसे स्थानीय भागीदारी और एकजुटता से किसी भी गांव की तस्वीर बदली जा सकती है, भले ही सरकारी सहायता कम हो। यह आत्मनिर्भरता और सामुदायिक विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

क्या आप भारत में ऐसे अन्य गांवों के बारे में जानना चाहेंगे, जिन्होंने अपने दम पर विकास की राह पकड़ी है?