लगातार 17 हिट देने वाले राजेश खन्ना का करियर कैसे डूबा? 7 फ्लॉप फिल्मों ने तोड़ दिया था जादू
हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने अपने करियर में लगातार 17 सुपरहिट फिल्में देकर इतिहास रचा था। हालांकि, 1976-77 के दौरान उनकी लगातार सात फिल्मों के फ्लॉप होने से उनका स्टारडम ढलने लगा और करियर में गिरावट आ गई।

हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार, राजेश खन्ना ने 70 के दशक में ऐसा जलवा देखा था, जैसा किसी और अभिनेता को नसीब नहीं हुआ। "ऊपर आका, नीचे काका" जैसे शब्दों से उनकी लोकप्रियता बयां की जाती थी। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं - हर कोई उनका दीवाना था। उन्होंने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो 53 सालों बाद भी नहीं टूट पाया है: एक के बाद एक लगातार 17 सुपरहिट फिल्में देना। यह स्वर्णिम सफर साल 1969 में फिल्म 'आराधना' से शुरू हुआ और 1972 तक जारी रहा। इन चार सालों में उन्होंने करीब डेढ़ दर्जन फिल्मों से पूरे देश में धूम मचा दी थी और करियर के शिखर पर पहुँच गए थे।
17 हिट के बाद 7 बैक टू बैक फ्लॉप
राजेश खन्ना ने 1966 की फिल्म 'आखिरी खत' से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी। 'आराधना' से मिली लगातार सफलताओं के बाद उनका स्टारडम चरम पर था। हालांकि, कुछ ही सालों बाद 'काका' को अपने करियर के सबसे बुरे दौर का सामना भी करना पड़ा, जब उनकी लगातार सात फिल्में फ्लॉप हो गईं।
यहां से शुरू हुआ बुरा दौर
राजेश खन्ना के इस बुरे दौर की शुरुआत साल 1976 की फिल्म 'महबूबा' से हुई थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई। इसके बाद, 'बंडल बाज', 'अनुरोध', 'त्याग', 'छैला बाबू', 'कर्म' और 'चलता पुर्जा' जैसी फिल्में भी एक के बाद एक फ्लॉप निकलीं। यह सिलसिला 1977 तक चलता रहा, जिसने राजेश खन्ना को बुरी तरह तोड़ दिया था।
भले ही बाद में उन्होंने कुछ हिट फिल्में जरूर दीं, लेकिन 'काका' को फिर कभी वह बेजोड़ लोकप्रियता नहीं मिल पाई, जो उन्हें अपने शुरुआती दौर में नसीब हुई थी। यह दर्शाता है कि स्टारडम को संभालना कितना मुश्किल हो सकता है, और कैसे बॉलीवुड में सफलता का पहिया कभी भी पलट सकता है।