पत्नी और बेटी को ट्रेन से फेंका, सबूत मिटाए लेकिन कर दी ये गलती… सामने आई पति की हैवानियत

Etawah mein pati ne patni aur beti ko train se fenka, kiya hatya. Digital sabuton se khula raaz. Court ne di ajeevan karawas ki saza. Jaaniye puri haivaniyat bhari kahani.

पत्नी और बेटी को ट्रेन से फेंका, सबूत मिटाए लेकिन कर दी ये गलती… सामने आई पति की हैवानियत

इटावा, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के इटावा में एक सनसनीखेज मामले में, फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपनी पत्नी और मासूम बेटी को चलती ट्रेन से धक्का देकर हत्या करने वाले अभियुक्त चंदन राय चौधरी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। यह फैसला डिजिटल सबूतों के आधार पर आया है, जिसने आरोपी की हैवानियत को उजागर कर दिया।


क्या था मामला?

यह घटना साल 2020 की है। सिविल इंजीनियर चंदन राय चौधरी ने मगध एक्सप्रेस में सफर करते समय अपनी पत्नी पोरवी गांगुली और एक वर्षीय बेटी शालिनी को फफूंद स्टेशन के पास चलती ट्रेन से धक्का दे दिया था। दोनों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।

शुरुआती जांच में यह एक सामान्य हादसा प्रतीत हुआ, लेकिन गहन पड़ताल के बाद यह एक योजनाबद्ध हत्या निकली। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी के किसी अन्य महिला से अवैध संबंध थे, और इसी वजह से वह अपनी पत्नी और बेटी को रास्ते से हटाना चाहता था।


सबूत मिटाने की कोशिश और एक बड़ी गलती

हत्या के बाद चंदन ने सबूत मिटाने की पूरी कोशिश की। उसने अपनी पत्नी का मोबाइल तोड़कर रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया, ताकि कोई सुराग न मिले। हालांकि, उसने एक बड़ी गलती कर दी: मृतका की सिम कार्ड को अपने फोन में इस्तेमाल करता रहा।

शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि इसी डिजिटल साक्ष्य ने पूरी कहानी की परतें खोल दीं। कॉल डिटेल्स और मोबाइल लोकेशन के ज़रिए पुलिस को चंदन की हरकतों का पता चला, और यही इलेक्ट्रॉनिक सबूत कोर्ट में निर्णायक साबित हुए।


न्याय की लंबी लड़ाई और कोर्ट का फैसला

पोरवी के पिता प्रदोष गांगुली ने इटावा जीआरपी में पहले दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे बाद में हत्या की धाराओं में परिवर्तित किया गया। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत में 12 मज़बूत गवाह और वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिससे अभियुक्त कोई बचाव नहीं कर सका।

अपर जिला जज (फास्ट ट्रैक) सुनीता शर्मा ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अपराध केवल हत्या नहीं, बल्कि मानवता के नाम पर एक बदनुमा दाग है। उन्होंने कहा कि मासूम बच्ची की हत्या ने समाज की आत्मा को झकझोर दिया है और महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सालों बाद, पीड़ित परिवार को न्याय मिला है और आरोपी पति को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है।