Raebareli News: रेलवे ट्रैक के पास लगी आग से मचा हड़कंप, कई ट्रेनें पौन घंटे रुकीं
रायबरेली में हरचंदपुर-कुंदनगंज रेलवे ट्रैक के किनारे लगी आग से तीन ट्रेनों को रोकना पड़ा। आग बुझने तक यातायात पौन घंटे ठप रहा, यात्रियों में दहशत का माहौल रहा।

लखनऊ-रायबरेली रेलवे लाइन पर स्थित हरचंदपुर के पास अचानक आग लगने से रेल यातायात में भारी दिक्कतें उत्पन्न हो गईं। इस घटना के बाद तीन रेलगाड़ियां पौन घंटे तक रुक गईं, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। आग लगने की घटना से क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई और कई ट्रेनें रुक गईं, जिसके कारण यातायात ठप हो गया।
घटना का विवरण
यह घटना लगभग 12 बजे दिन की घटी। हरचंदपुर और कुंदनगंज स्टेशनों के बीच रेलवे ट्रैक के किनारे आग की लपटें उठने लगीं, जिससे ट्रेनों का संचालन बाधित हो गया। जैसे ही आग लगने की सूचना मिली, घटनास्थल पर पहुंच रही ट्रेनों को नजदीकी स्टेशनों पर रोक दिया गया। इसमें से एक ट्रेन, पुरी से आनंद विहार जाने वाली नीलांचल एक्सप्रेस, जो हरचंदपुर से गुजर चुकी थी, को घटनास्थल से कुछ दूर पहले रोक दिया गया। इस ट्रेन को 12:11 बजे से 12:46 बजे तक बीच रास्ते खड़ा रहना पड़ा।
इसके अलावा, धनबाद से चंडीगढ़ जाने वाली गरीब रथ स्पेशल और अमृतसर से हावड़ा जाने वाली पंजाब मेल को भी रोक दिया गया। ये दोनों ट्रेनें हरचंदपुर और कुंदनगंज स्टेशन पर क्रमशः 12:24 बजे से 12:56 बजे तक रुकी रहीं। इन ट्रेनों के रुकने से यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा और यातायात में विलंब हुआ।
आग का कारण और प्रभाव
आग के कारण धुएं का गुबार इतना ज्यादा था कि ट्रेनों के लिए रास्ता देखना मुश्किल हो गया था। कुछ लोगों का कहना था कि यह आग ट्रैक के किनारे उगी झाड़ियों में लगी थी, जबकि अन्य का मानना था कि पास के खेतों में आग लगी थी। हालांकि, रेलवे ट्रैक तक आग की लपटें नहीं पहुंच सकीं, जिससे एक बड़ी दुर्घटना टल गई।
रेलवे के वरिष्ठ खंड अभियंता (रेल पथ) शुभव श्रीवास्तव ने बताया कि आग के कारण धुएं का गुबार इतना ज्यादा था कि रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। यह खतरे का संकेत था और इसी कारण ट्रेनों को रोक दिया गया। आग बुझने के बाद, धुआं कम होने पर ट्रेनें पुनः चलनी शुरू हो गईं।
आगे की व्यवस्था और खतरे
यह घटना रेलवे लाइनों के किनारे खड़े पेड़ और उगी झाड़ियों के कारण हुई। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां ट्रैक के किनारे पेड़ और झाड़ियां उगी हुई हैं, वहां इस प्रकार के हादसों का खतरा बना रहता है। इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि रेलवे को इन प्राकृतिक बाधाओं को समय रहते हटाने की आवश्यकता है। पेड़ों की टहनियां और झाड़ियां अक्सर ट्रेन संचालन में रुकावट डालती हैं और आंधी-तूफान में दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं।
समाधान की दिशा
रेलवे अधिकारियों को इस दिशा में तत्परता दिखानी चाहिए और पेड़ों की डालियों और झाड़ियों को साफ करने के उपाय करने चाहिए। इसके अलावा, गर्मी के मौसम में ट्रैक किनारे खेतों में लगी झाड़ियों में आग लगने की संभावना को ध्यान में रखते हुए इन स्थानों पर सुरक्षा उपायों को सख्त करना जरूरी है।
इस हादसे के बाद यह भी देखा गया कि ट्रेनों को स्थगित करने के बाद रेलकर्मियों के बीच अफरातफरी का माहौल था। गर्मी के कारण यात्री भी ट्रेन के अंदर बैठने के बजाय बाहर टहलते रहे। हालांकि, रेलवे अधिकारियों ने समय रहते आग पर काबू पाया और यातायात पुनः बहाल हुआ।
निष्कर्ष:
यह घटना यह स्पष्ट करती है कि रेलवे लाइनों के पास पेड़ों की टहनियां और उगी झाड़ियां ट्रेनों के संचालन में रुकावट डाल सकती हैं, और इस तरह के हादसों से बचने के लिए आवश्यक है कि रेलवे अधिकारियों द्वारा जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान किया जाए। इस घटना से यह भी साबित होता है कि कभी भी प्राकृतिक घटनाएं जैसे आग, आंधी या अन्य खतरे ट्रेन संचालन पर असर डाल सकते हैं, और ऐसे मामलों में तत्परता और सावधानी जरूरी है।