आपातकाल की 50वीं बरसी: अमित शाह ने लॉन्च की 'The Emergency Diaries', 'संविधान हत्या दिवस' बताया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर इसे 'संविधान हत्या दिवस' करार दिया। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने 'The Emergency Diaries – Years that Forged a Leader' पुस्तक का अनावरण किया, और उस दौर को याद करते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा।

आपातकाल की 50वीं बरसी: अमित शाह ने लॉन्च की 'The Emergency Diaries', 'संविधान हत्या दिवस' बताया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह.

आपातकाल लागू किए जाने की 50वीं बरसी पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में आयोजित 'संविधान हत्या दिवस-2025' कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने ‘The Emergency Diaries – Years that Forged a Leader’ नामक पुस्तक का अनावरण भी किया। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को 'संविधान हत्या दिवस' नाम दिया है, ताकि आने वाली पीढ़ी को भी यह याद रहे।

अमित शाह ने 'संविधान हत्या दिवस' जैसे कठोर शब्द के इस्तेमाल को न्यायोचित ठहराते हुए कहा, "संविधान हत्या दिवस थोड़ा कठोर और निर्मम शब्द है। इस पर विचार भी किया गया लेकिन इतने बुरे कालखंड की याद कठोर शब्द से ही होना चाहिए। तब ये निर्णय लिया गया।"


इंदिरा गांधी की कुर्सी खतरे में थी, राष्ट्र की सुरक्षा नहीं

गृह मंत्री ने आपातकाल लगाने के पीछे के कारणों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 12 जून को गुजरात में जनता मोर्चे का प्रयोग सफल हुआ था और कांग्रेस की सत्ता का अंत होकर जनता पार्टी की सरकार बनी थी। इससे घबराकर 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, "कारण बताया गया कि राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में है लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि राष्ट्र की सुरक्षा को कुछ नहीं हुआ था, उनकी कुर्सी खतरे में थी।"


नरेंद्र मोदी का आपातकाल में संघर्ष

अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24-25 साल की उम्र में एक कार्यकर्ता के नाते नानाजी देशमुख के मार्गदर्शन में गुजरात में आपातकाल के दौरान सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि मोदी भूमिगत रहकर, साधु, सरदार जी, हिप्पी जैसे भेष में रहकर काम करते रहे। शाह ने देश के युवाओं से अपील की कि वे इस पुस्तक को ज़रूर पढ़ें, "ताकि आपको पता चलेगा कि युवा काल में देश के लिए संघर्ष करने वाला एक 24/25 साल का युवा आज देश का प्रधानमंत्री है।"


इलाहाबाद कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और व्यापक गिरफ्तारी

गृह मंत्री ने 12 जून 1975 के ऐतिहासिक दिन को भी याद किया, जब इलाहाबाद कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को खारिज कर दिया था और कहा था कि वे 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकतीं। उसी दिन गुजरात में जनता मोर्चा का सफल आयोजन हुआ, जिसने गुजरात से कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था। शाह ने बताया कि आपातकाल के पहले ही दिन एक रात में 10 हज़ार राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया था।


"देश की आत्मा को गूंगा करके रख दिया गया था"

अमित शाह ने आपातकाल के उस दौर का कठोर शब्दों में वर्णन किया। उन्होंने कहा, "आज हम आजादी के बाद के भारत के इतिहास के एक काले अध्याय को याद करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जिस तरह से आपातकाल में देश को जेलखाना बनाकर रख दिया गया था, देश की आत्मा को गूंगा करके रख दिया गया था, न्यायालय के कान को बहरा करके रख दिया गया था, लिखने वालों की कलम से स्याही ही निकाल दी गई थी… उस पूरे कालखंड का वर्णन कठोर शब्दों के साथ ही करना चाहिए, तभी युवा पीढ़ी को मालूम पड़ेगा कि क्या हुआ था।"

यह कार्यक्रम आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भाजपा द्वारा उस दौर की घटनाओं को याद करने और अपनी राजनीतिक विचारधारा को मज़बूती देने का एक प्रयास था।