UP: चंदौली की तरह यूपी में पीपीपी मॉडल पर विकसित होंगे 12 औद्योगिक पार्क, प्रमुख सचिव ने दिया आश्वासन
उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए चंदौली की तर्ज पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर 12 नए औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे। प्रमुख सचिव आलोक कुमार सिंह ने बताया कि इन पार्कों के लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है, जिसमें लखनऊ में पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क भी शामिल है।

Varanasi News : उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए चंदौली की तर्ज पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर 12 नए औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे। यह आश्वासन प्रमुख सचिव, अवस्थापना व औद्योगिक विकास आलोक कुमार सिंह ने दिया। उन्होंने बताया कि इन पार्कों के लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है। इसी क्रम में, लखनऊ में पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
एमएसएमई कॉन्क्लेव में चर्चा
नदेसर स्थित एक होटल में सोमवार को रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन द्वारा आयोजित एमएसएमई कॉन्क्लेव में प्रमुख सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश तेजी से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) प्रदेश बनता जा रहा है और यहाँ का एमएसएमई उत्पादन देश के अन्य प्रदेशों से सर्वाधिक है।
उन्होंने इस दौरान उद्यमियों की समस्याओं और सुझावों को भी सुना। रामनगर औद्योगिक एसोसिएशन के अध्यक्ष देव भट्टाचार्य ने निवेश मित्र पोर्टल पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह जिस नीति के तहत बनाया गया है, उस पर खरा नहीं उतर पा रहा है और उद्यमियों को अभी भी विभागों व अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं।
पूर्वांचल के विकास और महिला उद्यमियों पर जोर
प्रमुख सचिव ने महिला उद्यमियों की संख्या कम होने का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें हर क्षेत्र में अधिक से अधिक सब्सिडी दी जा रही है ताकि वे आगे आ सकें।
उद्यमी विनम्र अग्रवाल और सौरभ शाह ने पूर्वांचल में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए मानचित्र स्वीकृति की दरों को यूपीसीडा (UP Industrial Development Authority) के समान करने की मांग की। उन्होंने बताया कि वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) का शुल्क यूपीसीडा के मुकाबले दस गुना ज्यादा है, जिससे उद्यमियों को परेशानी होती है।
बिल्डर गोविंद केजरीवाल, आकाशदीप और आर्किटेक्ट आरसी जैन ने काशी से एचएफएल (संभवतः हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड या इसी तरह की कोई संस्था) को हटाने और टाउनशिप डेवलपमेंट में मानक को 25 एकड़ से घटाकर 10 एकड़ करने की मांग भी रखी।
यह पहल उत्तर प्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।