"गंगा में कूदी युवती बोली- 'मैं भगवान की अमृत संतान हूं', नाविक को सौ रुपये देकर लिखित नोट छोड़ा"

यूपी के मिर्जापुर में एक युवती ने गंगा में छलांग लगाने से पहले नाविक को 100 रुपये और एक रहस्यमय चिट्ठी सौंपी। युवती की पहचान अब तक नहीं हो सकी है।

"गंगा में कूदी युवती बोली- 'मैं भगवान की अमृत संतान हूं', नाविक को सौ रुपये देकर लिखित नोट छोड़ा"

मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश।
शुक्रवार की दोपहर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक रहस्यमय घटना ने सभी को सन्न कर दिया, जब एक लगभग 20 वर्षीय युवती ने गंगा नदी में छलांग लगा दी। इससे पहले उसने नाविक को 100 रुपये दिए और एक हस्तलिखित चिट्ठी सौंपी, जिसमें उसने खुद को “भगवान की अमृत संतान” बताया।


घटना से पहले की गतिविधियाँ

घटना विंध्याचल थाना क्षेत्र के नवगांव घाट से शुरू हुई, जहां युवती साइकिल और एक बैग लेकर पहुंची। उसने इब्राहिमपुर घाट जाने के लिए एक नाव ली, जिसे नाविक धनंजय निषाद चला रहे थे। यात्रियों से भरी नाव जैसे ही गंगा के मध्य में पहुंची, युवती ने नाविक को सौ रुपये दिए और एक पत्र पकड़ाया। इसके तुरंत बाद वह बिना किसी चेतावनी के गंगा में कूद गई


युवती की चिट्ठी का भावनात्मक संदेश

नाविक के अनुसार, युवती द्वारा छोड़ी गई चिट्ठी में लिखा था:

“मेरा माता-पिता कोई नहीं है। परमपिता परमेश्वर मेरे सबकुछ हैं। मैं वैराग्य धारण कर चुकी हूं। मेरा इस जिंदगी में कोई काम नहीं है। जिंदगी और मौत सब निश्चित है। मैं भगवान की अमृत संतान हूं।”

चिट्ठी की भाषा और संदेश से साफ झलकता है कि युवती गहरे आध्यात्मिक या मानसिक संघर्ष से जूझ रही थी।


घटना के बाद का हड़कंप

जैसे ही युवती ने छलांग लगाई, नाव में बैठे अन्य लोग हक्का-बक्का रह गए। किसी को कुछ समझ नहीं आया और कोई गहरे पानी में कूदने की हिम्मत नहीं जुटा सका। इब्राहिमपुर घाट पहुंचते ही स्थानीय लोगों ने पीआरवी और पुलिस को सूचना दी


पुलिस और गोताखोर जुटे तलाश में

घटना की जानकारी मिलते ही विंध्याचल और गोपीगंज थाना पुलिस मौके पर पहुंची। स्थानीय गोताखोरों की मदद से युवती की तलाश शुरू की गई। घंटों की मशक्कत के बाद भी खबर लिखे जाने तक युवती का कोई सुराग नहीं मिला। नाव पर उसकी साइकिल और बैग अब भी मौजूद हैं, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि यह कोई अचानक लिया गया कदम नहीं था।


युवती की पहचान अब तक अज्ञात

पुलिस को युवती के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। न तो उसका नाम, न ही पता और न ही यह मालूम है कि वह कहां से आई थी और किस उद्देश्य से गंगा घाट पहुंची थी। उसकी उम्र करीब 20 वर्ष बताई जा रही है।


मानसिक या आध्यात्मिक द्वंद्व?

युवती की चिट्ठी से यह संकेत मिलता है कि वह धार्मिक या आध्यात्मिक मार्ग पर निकलने की कोशिश कर रही थी या किसी मानसिक पीड़ा से गुजर रही थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उसका यह कदम पूरी तरह आत्महत्या था या किसी धार्मिक उद्देश्य से उठाया गया संकल्प।


स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय

घटना के बाद से घाट क्षेत्र में यह मामला चर्चा का केंद्र बन गया है। कुछ लोगों का मानना है कि युवती किसी धर्म-सम्प्रदाय से जुड़ी हो सकती है, तो कुछ का कहना है कि यह मानसिक तनाव का परिणाम हो सकता है।


पुलिस का बयान

गोपीगंज थाना प्रभारी ने मीडिया को बताया:

“अब तक युवती की कोई शिनाख्त नहीं हो सकी है। साइकिल और सामान को कब्जे में ले लिया गया है। गंगा में उसकी तलाश जारी है। आसपास के थानों को सूचना भेज दी गई है। यदि कोई गुमशुदगी की रिपोर्ट आती है तो जांच में मदद मिलेगी।”


निष्कर्ष: कई सवाल अब भी अनुत्तरित

यह घटना एक ओर जहां मानव मन के गहरे रहस्यों की ओर इशारा करती है, वहीं प्रशासन के सामने यह एक चुनौती भी बन गई है। क्या यह आत्महत्या थी या किसी संकल्प का परिणाम? युवती कौन थी, कहां से आई थी और क्यों इस रास्ते को चुना? जब तक उसका पता नहीं चलता, ये सवाल अनुत्तरित ही रहेंगे।