Varanasi : वाराणसी में बजी युद्ध की घंटी? मॉक ड्रिल से परखी गई शहर की तैयारी!

"वाराणसी में बजी युद्ध की घंटी? हवाई हमले से बचाव की तैयारी, शहर भर में सायरन और सुरक्षा का व्यापक मॉक ड्रिल।"

Varanasi : वाराणसी में बजी युद्ध की घंटी? मॉक ड्रिल से परखी गई शहर की तैयारी!

वाराणसी: बुधवार की सुबह बनारस अचानक सायरनों की आवाज़ से गूंज उठा, जिसने पल भर के लिए सबको चौंका दिया। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं थी, क्योंकि यह किसी खतरे का संकेत नहीं, बल्कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था को परखने की एक महत्वपूर्ण कवायद थी। वाराणसी जिले में युद्ध या हवाई हमले जैसी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए एक बड़ी मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसने पूरे शहर को अलर्ट मोड पर ला दिया।

सुबह छह बजे पुलिस लाइन से शुरू हुई यह मॉक ड्रिल शहर के हर कोने तक फैली। प्रमुख चौराहों से लेकर गंगा घाटों, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बरेका, स्कूल-कॉलेज और यहां तक कि ग्रामीण पंचायतों में भी इसका आयोजन किया गया। इस अभ्यास में विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों, सिविल डिफेंस के हजारों प्रशिक्षित स्वयंसेवकों, एनसीसी कैडेट्स और जागरूक नागरिकों समेत लगभग पांच से छह हजार लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

आग, घायल और हवाई हमले... हर चुनौती से निपटने का अभ्यास:

इस मॉक ड्रिल में आपात स्थिति में तेजी से कार्रवाई करने का जीवंत प्रदर्शन किया गया। स्वयंसेवकों को आग बुझाने, घायलों को तुरंत प्राथमिक चिकित्सा देकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने और हवाई हमले की स्थिति में नागरिकों को सुरक्षित आश्रयों तक ले जाने का महत्वपूर्ण प्रशिक्षण दिया गया। महिलाओं को भी गैस सिलेंडर में आग लगने पर उसे बुझाने की तकनीक सिखाई गई, जो घर-घर की एक बड़ी समस्या बन सकती है।

मॉक ड्रिल के दौरान लोगों को यह समझाया गया कि जैसे ही हमले की चेतावनी देने वाला सायरन बजे, उन्हें तुरंत क्या कदम उठाने चाहिए। मैदान पर दो नकली हथगोले भी छोड़े गए, ताकि लोग वास्तविक समय की स्थिति का अनुभव कर सकें। घायल व्यक्तियों को स्ट्रेचर पर ले जाने और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया का भी प्रदर्शन किया गया, जिससे लोगों को यह समझ में आए कि ऐसी स्थिति में कैसे व्यवस्थित तरीके से काम करना है।

डीएम के नेतृत्व में व्यापक तैयारी:

इस सफल मॉक ड्रिल और प्रशिक्षण कार्यक्रम का नेतृत्व वाराणसी के जिलाधिकारी सतेन्द्र कुमार ने किया। उन्होंने बताया कि यह अभ्यास युद्ध या हवाई हमले जैसी किसी भी अप्रिय घटना के दौरान नागरिकों के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि यह अभियान सिर्फ शहर तक ही सीमित नहीं था, बल्कि जिले के सभी स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों तक इसे पहुंचाया गया, ताकि हर नागरिक आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे।

स्कूल-कॉलेजों में भी दिखी जागरूकता:

पुलिस लाइन के साथ-साथ शहर के अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों में भी मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस दौरान सिविल डिफेंस के वार्डन और एनसीसी कैडेट्स ने छात्रों और शिक्षकों को ब्लैकआउट (बिजली बंद करना), सायरन बजने पर अलर्ट होना और सुरक्षित स्थानों की पहचान करना जैसी महत्वपूर्ण बातें सिखाईं। आपातकालीन स्थितियों में टीम वर्क और धैर्य बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया गया। छात्रों और शिक्षकों ने भी इस अभ्यास में पूरी गंभीरता और उत्साह के साथ भाग लिया।

मॉक ड्रिल से पहले हुई थी उच्च स्तरीय बैठक:

इस व्यापक मॉक ड्रिल की तैयारी एक दिन पहले ही शुरू हो गई थी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सभी संबंधित विभागों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें रेलवे, एयरपोर्ट अथॉरिटी, सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, राजस्व विभाग, पुलिस, शिक्षा विभाग, चिकित्सा विभाग, अग्निशमन विभाग और नगर निगम जैसे महत्वपूर्ण एजेंसियों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। इस बैठक में मॉक ड्रिल की पूरी रणनीति, अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारियां और अलर्ट सिस्टम की बारीकी से समीक्षा करके उसे अंतिम रूप दिया गया था।

वाराणसी में इस तरह की व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन यह दिखाता है कि शहर किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह न केवल सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता को दर्शाता है, बल्कि आम नागरिकों की जागरूकता और सहयोग को भी उजागर करता है। इस तरह के अभ्यास भविष्य में किसी भी वास्तविक आपात स्थिति में जान-माल की हानि को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।