Operation Sindoor : कंधार से पहलगाम तक 25 मिनट में 25 साल का हिसाब बराबर, आतंकी शिविरों का ओसामा कनेक्शन!

"ऑपरेशन सिंदूर: 25 मिनट में 25 साल का हिसाब बराबर! कंधार से पहलगाम तक, जानिए ध्वस्त हुए 9 आतंकी ठिकानों का ओसामा बिन लादेन और आतंकी सरगनाओं से क्या कनेक्शन था।"

Operation Sindoor : कंधार से पहलगाम तक 25 मिनट में 25 साल का हिसाब बराबर, आतंकी शिविरों का ओसामा कनेक्शन!

नई दिल्ली: भारत ने पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले का ऐसा जवाब दिया है, जिसकी गूंज बरसों तक सुनाई देगी। 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने जिस अचूकता और तेजी से पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के नौ ठिकानों को ध्वस्त किया, उसने न सिर्फ आतंकियों की कमर तोड़ दी, बल्कि 25 साल पुराने घावों पर भी मरहम लगाया। महज 25 मिनट के भीतर 25 मिसाइलों ने आतंक के इन गढ़ों को धूल में मिला दिया। आइए जानते हैं, इन ठिकानों का ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकी सरगनाओं से क्या कनेक्शन था और क्यों इन पर प्रहार इतना जरूरी था।

6 और 7 मई की दरमियानी रात, ठीक 1 बजकर 5 मिनट पर शुरू हुआ 'ऑपरेशन सिंदूर' 25 मिनट तक चला। इस दौरान 24 मिसाइलों ने दुश्मन के नौ आतंकी शिविरों को पल भर में मटियामेट कर दिया। इनमें से पांच ठिकाने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थे, जबकि चार पाकिस्तान के अंदर मौजूद थे। ये वो अड्डे थे, जहां आतंकियों की भर्ती होती थी, उन्हें मौत का प्रशिक्षण दिया जाता था और उनके दिमागों में नफरत का जहर भरा जाता था। 'ऑपरेशन सिंदूर' में इस बात का खास ख्याल रखा गया कि पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों, रिहाइशी इलाकों और आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे। अब जानते हैं, इस पराक्रम में नष्ट किए गए आतंकी ठिकानों के बारे में विस्तार से:

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में ध्वस्त हुए पांच आतंकी ठिकाने:

  1. सवाई नाला कैम्प, मुजफ्फराबाद (POK): नियंत्रण रेखा से 30 किमी दूर स्थित यह लश्कर-ए-तैयबा का प्रशिक्षण केंद्र था। इसी कैंप में 2024 में सोनमर्ग और गुलमर्ग में हुए आतंकी हमलों के साथ-साथ 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाले आतंकियों ने भी ट्रेनिंग ली थी। यह आतंकी शिविर साल 2000 में शुरू हुआ था और यहां पाकिस्तानी फौज और आईएसआई के अफसर अक्सर आते थे।

  2. मरकज सैयदना बिलाल कैम्प, मुजफ्फराबाद (POK): जैश-ए-मोहम्मद का यह ठिकाना हथियारों और विस्फोटकों का जखीरा था। यहां आतंकियों को घने जंगलों में जिंदा रहने का प्रशिक्षण दिया जाता था। पाकिस्तानी सेना का स्पेशल सर्विसेस ग्रुप यहां आतंकियों को ट्रेनिंग देने आता था।

  3. गुलपुर कैम्प, कोटली (POK): नियंत्रण रेखा से 30 किमी दूर स्थित यह लश्कर-ए-तैयबा का कैंप राजौरी और पुंछ में सक्रिय आतंकियों की नर्सरी था। पुंछ में 20 अप्रैल 2023 को हुए हमले और रियासी में 9 जून 2024 को तीर्थयात्रियों पर हमला करने वाले आतंकियों ने भी यहीं से ट्रेनिंग ली थी। कुख्यात 26/11 के मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी भी अक्सर यहां आतंकियों को भड़काने और प्रेरित करने के लिए आता था।

  4. बरनाला कैम्प, भीमबेर (POK): नियंत्रण रेखा से सिर्फ नौ किमी दूर स्थित यह लश्कर-ए-तैयबा का ठिकाना हथियारों, आईईडी और आतंकियों को घने जंगलों में जीवित रहने का प्रशिक्षण देता था। यहां एक साथ 100 से ज्यादा आतंकी रुक सकते थे।

  5. अब्बास कैम्प, कोटली (POK): नियंत्रण रेखा से 13 किमी दूर स्थित इस लश्कर-ए-तैयबा/जैश-ए-मोहम्मद के संयुक्त कैंप में लश्कर के फिदायीन दस्ते तैयार किए जाते थे। एक बार में 15 आतंकियों को प्रशिक्षण देने की क्षमता वाले इस कैंप में जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी कारी जरार भी आता था। पुंछ और राजौरी सेक्टर में घुसपैठ के लिए यहीं से आतंकी तैयार होते थे।

पाकिस्तान के अंदर मौजूद चार आतंकी ठिकाने:

  1. सरजल कैम्प, सियालकोट (पाकिस्तान): अंतरराष्ट्रीय सीमा से छह किमी दूर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के इस कैंप में मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों की हत्या करने वाले आतंकियों ने ट्रेनिंग हासिल की थी। जैश का आतंकी अब्दुल रउफ असगर इस कैंप को चलाता था। यहीं पर आतंकियों को सुरंगें खोदना सिखाया जाता था और यहीं से ड्रोन के जरिए हथियार और नशे की खेप भारत में भेजी जा रही थी।

  2. महमूना जोया कैम्प, सियालकोट (पाकिस्तान): अंतरराष्ट्रीय सीमा से 12 से 18 किमी दूर स्थित हिजबुल मुजाहिदीन के इस गढ़ से प्रशिक्षण लेने के बाद आतंकी जम्मू और कठुआ में घुसपैठ करते थे। 2016 के पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले की साजिश भी इसी कैंप में रची गई थी। यह कैंप एक स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चल रहा था और जम्मू में आतंकी हमलों को अंजाम देने वाला इरफान टांडा इसे चलाता था।

  3. मरकज तैयबा कैम्प, मुरीदके (पाकिस्तान): अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 से 25 किमी दूर स्थित यह लश्कर-ए-तैयबा के सबसे बड़े आतंकी ठिकानों में से एक था। 2008 के 26/11 मुंबई हमलों को अंजाम देने वाले आतंकियों, अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी यहीं पर 'दौरा-ए-रिब्बत' नामक विशेष ट्रेनिंग दी गई थी। आतंकी तहव्वुर राणा भी यहां आता था, जिसे अब अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा चुका है। इस कैंप पर चार मिसाइलें दागी गईं। चौंकाने वाली बात यह है कि अल कायदा के सरगना आतंकी ओसामा बिन लादेन ने यहां पर एक गेस्ट हाउस बनाने के लिए 10 लाख पाकिस्तानी रुपये दान में दिए थे। लश्कर यहां आतंकियों की भर्ती के बाद दो हफ्ते का ब्रेनवॉश कोर्स चलाता था।

  4. मरकज सुभानअल्लाह, बहावलपुर (पाकिस्तान): अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किमी दूर स्थित यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था। यहीं पर लोगों को भड़काकर आतंकी बनाया जाता था और भर्ती के बाद उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता था। आतंकी सरगना अक्सर यहां आते थे। फरवरी 2019 के पुलवामा हमले की साजिश भी इसी जगह रची गई थी। इसी परिसर में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर और उसके भाई असगर के घर भी थे। मसूद अजहर वही आतंकी है, जिसे 1999 के कंधार विमान अपहरण मामले के बाद यात्रियों की रिहाई के बदले छोड़ना पड़ा था और जिसने बाद में जैश-ए-मोहम्मद जैसे खूंखार आतंकी संगठन की नींव रखी।

'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प और दशकों से जारी आतंक के खिलाफ एक निर्णायक प्रहार है। कंधार से लेकर पहलगाम तक, भारत ने 25 मिनट में 25 साल का हिसाब बराबर कर दिया है।