बुर्किना फासो में आतंकी हमला: अल-कायदा से जुड़े JNIM ने मारे 100 से ज़्यादा लोग, सैन्य अड्डे बने निशाना
बुर्किना फासो के जिबो शहर और आसपास के सैन्य ठिकानों पर हुए आतंकी हमले में 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है। हमले की जिम्मेदारी अल-कायदा से जुड़े JNIM समूह ने ली है।

उत्तरी बुर्किना फासो: अफ्रीकी देश बुर्किना फासो के जिबो शहर और उसके आसपास के सैन्य ठिकानों पर हुए एक भीषण आतंकी हमले में कम से कम 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इस दिल दहला देने वाले हमले की जिम्मेदारी अल-कायदा से संबद्ध आतंकी संगठन 'जमात नस्र अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन' (JNIM) ने ली है।
हमला रविवार सुबह शुरू हुआ
चश्मदीदों और सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, रविवार सुबह 6 बजे यह हमला एक साथ कई स्थानों पर हुआ। आतंकी पहले से ही रणनीतिक तैयारी के साथ आए थे और उन्होंने जिबो शहर की प्रवेश सीमाओं पर कब्जा जमा लिया था, जिससे सुरक्षा बलों को जवाबी कार्रवाई करने में भारी दिक्कत हुई।
सैन्य ठिकाने और आम लोग बने निशाना
हमले का मुख्य निशाना विशेष आतंकवाद विरोधी इकाई का शिविर था, लेकिन हमलावरों ने स्थानीय नागरिकों और एक ऐड वर्कर को भी नहीं छोड़ा। मारे गए लोगों में बड़ी संख्या सैन्यकर्मियों की बताई जा रही है।
चश्मदीदों की ज़ुबानी
स्थानीय ऐड वर्कर चार्ली वेर्ब ने बताया कि आतंकियों ने पूरे शहर को चारों तरफ से घेर कर हमला किया और बुर्किना फासो की वायुसेना को कोई जवाबी कार्रवाई का मौका नहीं दिया। आतंकियों की रणनीति इतनी मजबूत थी कि सेना को घंटों तक लड़ाई लड़नी पड़ी।
कौन है JNIM?
'Jama'at Nasr al-Islam wal Muslimin' (JNIM) पश्चिम अफ्रीका और साहेल क्षेत्र में सक्रिय एक प्रमुख जिहादी संगठन है।
यह समूह अल-कायदा के नेतृत्व वाले वैश्विक नेटवर्क से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है और माली, बुर्किना फासो और नाइजर में अनेक आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है।
संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका समेत कई देश JNIM को एक आतंकी संगठन घोषित कर चुके हैं। यह संगठन स्थानीय जातीय विद्वेष, इस्लामी कट्टरवाद और कमजोर शासन व्यवस्था का लाभ उठाकर आतंक फैलाता है।
बढ़ता सैन्य दबाव और कमजोर होती सरकार
बुर्किना फासो की वर्तमान सरकार सैन्य जुंटा द्वारा चलाई जा रही है, जिसकी अगुवाई 36 वर्षीय कैप्टन इब्राहिम ट्राओरे कर रहे हैं। उन्होंने 2022 में तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ली थी और वादा किया था कि देश से आतंकवाद का सफाया करेंगे।
हालांकि, अब स्थिति उलट होती दिख रही है। देश के लगभग आधे हिस्से पर सरकार का नियंत्रण नहीं रह गया है और JNIM जैसे संगठनों की पहुंच बढ़ती जा रही है।
सैन्य रणनीति पर उठे सवाल
विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े हमले ने सरकार की सैन्य रणनीति को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
सौफान सेंटर के वरिष्ठ रिसर्चर वसीम नस्र के अनुसार, यह हमला दिखाता है कि JNIM अब कहीं भी आसानी से घुसपैठ कर सकता है और सेना की उपस्थिति के बावजूद जानलेवा हमले अंजाम दे सकता है।
जनता में भय और अविश्वास का माहौल
इस हमले के बाद देश में डर और निराशा का माहौल है। आम नागरिकों को लग रहा है कि अब कोई सुरक्षित जगह नहीं बची है। साथ ही सैन्य सरकार से लोगों का विश्वास भी कमजोर होता नजर आ रहा है।