बहावलपुर और कोटली... 'ऑपरेशन सिंदूर' के इन दो अहम ठिकानों को बालाकोट एयरस्ट्राइक से क्यों रखा गया था दूर?
"ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर और कोटली जैसे अहम ठिकाने शामिल, जिन्हें बालाकोट एयरस्ट्राइक में क्यों नहीं किया गया था टारगेट? जानिए वजह।"

नई दिल्ली: भारतीय सेना और वायुसेना ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर अचूक हमले किए। इन ठिकानों में बहावलपुर और कोटली जैसे वे नाम भी शामिल थे, जिन पर पांच साल पहले बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान भी विचार किया गया था। लेकिन, उस वक्त भारतीय सेना ने इन ठिकानों पर हमला करने से परहेज किया था। आखिर क्या थी इसकी वजह?
सूत्रों की मानें तो, बालाकोट एयरस्ट्राइक, जो पुलवामा में हुए भयावह आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, उस समय बहावलपुर और कोटली भी सेना के रडार पर थे। हालांकि, तब इन इलाकों पर हमला करने से इसलिए बचा गया क्योंकि ऐसा माना जा सकता था कि यह भारत की ओर से अत्यधिक आक्रामक कार्रवाई होगी, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती थी। उस समय, भारत का मकसद जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट स्थित प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाना था, जो पुलवामा हमले के साजिशकर्ताओं से जुड़ा था, और एक सीमित जवाबी कार्रवाई करके संदेश देना था।
लेकिन, इस बार परिस्थितियां बदल गईं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर नरसंहार, जिसमें ज्यादातर पर्यटक समेत 26 निर्दोष लोग मारे गए, ने भारत को कड़ी कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक संगठन ने ली थी, जिसने पाकिस्तान की धरती से अपनी गतिविधियों को अंजाम दिया था।
इस बार, भारत ने सिर्फ एक ठिकाने पर हमला न करके एक साथ नौ अलग-अलग आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें बहावलपुर भी शामिल था, जो जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय माना जाता है। इसके साथ ही, भारतीय सेना ने मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा और हाफिज सईद के जमात-उद-दावा के ठिकानों को भी ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई दिखाती है कि भारत अब आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
हालांकि, पाकिस्तान ने इन हमलों में से केवल तीन - बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद की ही पुष्टि की है। भारतीय सेना ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत की जिम्मेदारी तय करने की इच्छा को दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह अनावश्यक उकसावे से भी बचता है। सेना ने यह भी कहा कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया, जो भारत के संतुलित और गैर-आक्रामक रवैये को दर्शाता है।
पहलगाम हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी छूट दे दी थी। उनके कार्यालय ने भी इस पूरे ऑपरेशन पर कड़ी निगरानी रखी। इससे पहले, पाकिस्तान के खिलाफ कई राजनयिक कदम भी उठाए गए थे, लेकिन जब आतंकवादियों ने निर्दोषों का खून बहाना जारी रखा, तो सैन्य कार्रवाई ही अंतिम विकल्प बची।
'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद पर एक बड़ी चोट है। बहावलपुर, जो जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है, पर हमला करके भारत ने उस संगठन की कमर तोड़ने का काम किया है, जिसने कई बार भारतीय सरजमीं पर खूनखराबा किया है। बालाकोट में हवाई हमले पुलवामा के आतंकी हमले के जवाब में थे, लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' ने उससे भी आगे बढ़कर आतंकवाद के पूरे नेटवर्क को निशाना बनाया है। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत अब अपनी सुरक्षा और अपने नागरिकों की जानमाल की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा, और आतंकवादियों को उनकी पनाहगाहों में भी चैन से नहीं रहने देगा।