सुप्रीम कोर्ट का PIL याचिकाकर्ता को करारा जवाब! कहा - 'यह प्रचार पाने का तरीका है, जनहित नहीं'

"जम्मू कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा पर PIL खारिज! सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, कहा - यह सिर्फ प्रचार पाने का तरीका है।"

May 5, 2025 - 16:34
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सुप्रीम कोर्ट का PIL याचिकाकर्ता को करारा जवाब! कहा - 'यह प्रचार पाने का तरीका है, जनहित नहीं'

नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह PIL जनहित से प्रेरित नहीं है, बल्कि सिर्फ प्रचार पाने का एक तरीका है। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि जज आतंकवाद जैसे मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं होते।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील विशाल तिवारी से सख्त लहजे में पूछा, "आपने इस तरह की PIL क्यों दायर की है? आपका असली मकसद क्या है? क्या आपको इस मुद्दे की संवेदनशीलता का जरा भी अंदाजा नहीं है? हमें लगता है कि आप इस PIL को दाखिल करके खुद पर जुर्माना आमंत्रित कर रहे हैं।" इस टिप्पणी से साफ जाहिर होता है कि कोर्ट इस याचिका से बिल्कुल खुश नहीं था और याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगा सकता है।

याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी सफाई में कहा कि जम्मू और कश्मीर में पहली बार पर्यटकों को निशाना बनाया गया है, इसलिए वह उनकी सुरक्षा के लिए कुछ दिशा-निर्देश चाहते थे। लेकिन बेंच ने उनके इस तर्क को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, "याचिकाकर्ता एक के बाद एक PIL दाखिल करने में लगा हुआ है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सिर्फ प्रचार हासिल करना प्रतीत होता है। इसमें सार्वजनिक हित की कोई वास्तविक भावना नजर नहीं आती।" कोर्ट का मानना था कि याचिकाकर्ता सिर्फ सुर्खियों में आना चाहता है।

इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकवादी हमले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। उस समय भी शीर्ष अदालत ने PIL दाखिल करने वालों को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि जज आतंकवाद के मामलों की जांच के विशेषज्ञ नहीं होते। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने कहा था, "ऐसी PIL दाखिल करने से पहले जिम्मेदार बनें। देश के प्रति भी आपका कुछ कर्तव्य है। क्या आप इस तरह से (सैन्य) बलों का मनोबल गिराना चाहते हैं? हमने कब से जांच की विशेषज्ञता हासिल कर ली है? ऐसी PIL दाखिल न करें जो (सैन्य) बलों को हतोत्साहित करे।" कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा था कि ऐसी PIL सुरक्षा बलों का मनोबल गिराती है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे लोगों के लिए एक सबक है जो बिना किसी ठोस आधार और वास्तविक जनहित के सिर्फ प्रचार पाने के लिए PIL दाखिल करते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस तरह की याचिकाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा।

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