गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के रास्ते अलग हुए, या यह बड़ी साजिश का हिस्सा?
जुर्म की दुनिया के 'जय-वीरू' कहे जाने वाले गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के बीच अब दरार आ गई है। हालांकि, जांच एजेंसियां इसे एक बड़ी साजिश का हिस्सा मान रही हैं, जिसके पीछे पाकिस्तान के एक गैंगस्टर को खत्म करने की प्लानिंग हो सकती है।

जुर्म की दुनिया के 'जय-वीरू' कहे जाने वाले गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के रिश्तों में अब खटास आ गई है। दोनों पूरी तरह से अलग हो चुके हैं। हालांकि, जांच एजेंसियां इस अलगाव को सिर्फ एक दिखावा मान रही हैं, जिसके पीछे एक बड़ी और गहरी प्लानिंग छिपी हो सकती है।
लॉरेंस बिश्नोई: जेल से ऑपरेट होता 'अंडरवर्ल्ड डॉन'
पंजाब के फाजिल्का के दुतारावली गांव के रहने वाले लॉरेंस बिश्नोई ने जेल के अंदर रहते हुए भी जुर्म की दुनिया में इतना नाम कमाया कि उसकी तुलना अब अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से की जाने लगी है। सलाखों के पीछे रहते हुए भी लॉरेंस ने अलग-अलग गैंग का जो गठजोड़ बनाया, उसने पुलिस की नींद उड़ा दी थी। दिल्ली समेत एनसीआर में लगातार एक्सटॉर्शन के लिए गोलियां चलने लगीं।
लॉरेंस ने अपनी ताकत बढ़ाते हुए विदेशों में रह रहे पंजाबी सिंगर और दुश्मन गैंग के गुर्गों को भी निशाना बनाया। लॉरेंस गैंग ने सात समंदर पार भी अपनी दहशत कायम की और दुश्मनों पर गोलियां बरसाईं। लॉरेंस खुद तो गुजरात की साबरमती जेल में बंद है, लेकिन इन सभी किलिंग को उसने जेल और देश के बाहर अपने सबसे भरोसेमंद साथी गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा के दम पर अंजाम दिया।
रास्ते क्यों हुए अलग? क्या ये सिर्फ एक दिखावा है?
गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा ने लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई के साथ मिलकर लॉरेंस गैंग की हर वारदात में साथ दिया, लेकिन अब अचानक इन दो जिगरी दोस्तों के रास्ते अलग क्यों हो गए, यह बड़ा सवाल है। जांच एजेंसियां इसके पीछे अलग-अलग कयास लगा रही हैं। सबसे बड़ा कयास यही है कि यह अलगाव महज एक दिखावा है, जिसके पीछे एक बड़ी प्लानिंग छिपी है।
कनाडा में हुए निज्जर और दूसरे खालिस्तानी आतंकियों की हत्या का आरोप लॉरेंस गैंग पर लगाते हुए कनाडा सरकार ने भारतीय एजेंसियों पर शक ज़ाहिर किया था, जिससे भारत और कनाडा के संबंधों में खटास आ गई थी। लेकिन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सत्ता से हटते ही दोनों देशों के संबंधों के समीकरण भी बदल गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G7 देशों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा जाने वाले थे, ठीक उससे पहले यह खबर आई कि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ की दोस्ती टूट गई है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का मानना है कि यह सिर्फ एक दिखावा है। दरअसल, जेल में बंद लॉरेंस अपने भाई अनमोल बिश्नोई और नोनी राणा के ज़रिए एक ऐसी ब्रिगेड तैयार कर रहा है, जो पाकिस्तान के गैंगस्टर शहजाद भट्टी को खत्म कर सके। शहजाद भट्टी भी कभी लॉरेंस का दोस्त हुआ करता था, लेकिन जब से उसने एक ऑडियो जारी कर सीधे तौर पर लॉरेंस बिश्नोई को चुनौती दी, तब से वह लॉरेंस के निशाने पर आ गया है।
ऐसे में माना जा रहा है कि शहजाद भट्टी और उससे जुड़े विदेशों में बैठे गैंगस्टरों को निशाना बनाने के लिए एक बड़ी साजिश तैयार की जा रही है। यदि यह प्लान सफल होता है और इसका ठीकरा लॉरेंस या भारतीय एजेंसियों पर न आए, इसलिए यह महज एक दिखावा किया गया है।
असली वजह या रिश्तों में दरार की कहानी?
हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों के कई अन्य सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में जेल में रहते हुए भी लॉरेंस बिश्नोई जुर्म की दुनिया का इतना बड़ा ब्रांड बन गया कि हर छोटी-बड़ी वारदात का क्रेडिट उसे ही जाता था, जबकि वारदातों को अंजाम गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा अपने दूसरे साथियों के साथ मिलकर देते थे। इसके बावजूद उनकी पहचान सिर्फ लॉरेंस गैंग के सदस्यों के तौर पर ही रह गई थी।
लॉरेंस की शहजाद भट्टी के साथ हुई दुश्मनी और अनमोल बिश्नोई के अमेरिका में पकड़े जाने के बाद तमाम बड़े गैंगस्टर और उनके गैंग लॉरेंस बिश्नोई से अलग हो गए और एक्सटॉर्शन वसूली में जुट गए। इतना ही नहीं, दहशत फैलाने के लिए रोहित गोदारा और गोल्डी बराड़ गोलियों की जगह हैंडग्रेनेड का इस्तेमाल करने लगे, और यही बात लॉरेंस बिश्नोई को बेहद नागवार गुजरी, जिसको लेकर लॉरेंस और गोल्डी बराड़ के रिश्तों में दरार पड़ गई।
लॉरेंस से अलग होने के बाद अब अपनी दहशत फैलाने के लिए किसी भी वारदात की जिम्मेदारी लेने की होड़ मच गई है। हालत यह हो गई है कि एक वारदात की जिम्मेदारी अलग-अलग गैंग लेने के बाद दूसरे को झूठा तक करार दे रहे हैं। गोल्डी-लॉरेंस के अलग होने की खबर ने जहाँ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है, वहीं अब अलग-अलग शहरों के छोटे-छोटे गैंग खुद को बड़ा करने के लिए इस अलगाव का फायदा उठाने में जुट गए हैं, ताकि अपने गैंग का नाम बड़ा कर सकें।