Operation Sindoor : ऑपरेशन सिंदूर से पहले पीएम मोदी ने दुनिया को कैसे साधा? भारत के 5 सख्त संदेश
"ऑपरेशन सिंदूर से पहले पीएम मोदी ने दुनिया को कैसे साधा? जानिए भारत के 5 सख्त संदेश, जिसने पाकिस्तान को दिया करारा जवाब।"

नई दिल्ली: 'ऑपरेशन सिंदूर' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पाकिस्तान के खिलाफ तीसरा सैन्य अभियान है, जो पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले का करारा जवाब है। भारत ने आतंकवाद के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाते हुए सिंधु जल संधि पर भी सख्त रुख दिखाया।
ऑपरेशन सिंदूर भारत का तीसरा ऐसा सैन्य अभियान है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तान के खिलाफ अंजाम दिया गया है। इन तीनों ऑपरेशनों में, भारतीय सशस्त्र बलों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) और नियंत्रण रेखा (LoC) को पार करके पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (PoKJK) में घुसकर आतंकवादी ठिकानों को सफलतापूर्वक ध्वस्त किया है। 'ऑपरेशन सिंदूर' इन सब में सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे अंजाम देने के लिए सरकार और सशस्त्र बलों पर भारी दबाव था। पिछले एक दशक में सरकार के मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड ने इस दबाव को और बढ़ा दिया था। हालांकि, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने फिर भी 'संयम बरतने' की सलाह दी, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि पहलगाम में 25 भारतीयों और एक विदेशी नागरिक की हत्या करने वाले आतंकियों और उनके आकाओं को हर हाल में सजा दी जाएगी। और भारत ने ऐसा करके दिखाया। 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम देने के लिए भारत ने जो दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने गंभीरता से लिया। इसके पीछे पांच मुख्य कारण हैं:
पहला: भारतीय हित सर्वोपरि:
पहलगाम हमले के बाद से ही भारत ने उचित और कल्पना से परे जवाब देने का संकल्प लिया था। लेकिन, दुनिया लगातार 'संयम बरतने' की कूटनीतिक बातें कर रही थी। 'ऑपरेशन सिंदूर' की पूर्व संध्या पर एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि उनकी सरकार देश के हित में फैसले लेने में विश्वास रखती है। उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कैसी प्रतिक्रिया देगा। उन्होंने इशारों में यह संकेत दे दिया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया कैसी होगी। उन्होंने कहा, "कई सालों से, लोगों की सोच नकारात्मक थी। कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले लोग चिंता करते थे। वे सोचते थे, 'दुनिया क्या सोचेगी, वोट मिलेंगे या नहीं?'" इसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने दुनिया को एक और कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा, "पहले भारत के हक का पानी भी बाहर जा रहा था... अब भारत का पानी भारत के हक में बहेगा, भारत के हक में रुकेगा और भारत के ही काम आएगा।" सिंधु जल संधि पर रोक लगाने और उनसे बहने वाली नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करने के भारत के प्रयासों ने दुनिया को समझा दिया कि अब भारत रुकेगा नहीं और वही करेगा जो उसके हित में होगा।
दूसरा: आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस:
पहलगाम में आतंकी हमला 22 अप्रैल को हुआ था और दो दिन बाद 24 अप्रैल को ही बिहार के मधुबनी में एक जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक अंग्रेजी में बोलना शुरू कर दिया और दुनिया को बता दिया कि भारत क्या करने जा रहा है। उनकी बातों में दृढ़ संकल्प था, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के रूप में सामने आया। उन्होंने कहा, "आज बिहार की मिट्टी से मैं पूरी दुनिया से कहता हूं... भारत हर आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान करेगा, उनका पीछा करेगा और उन्हें दंडित करेगा। हम धरती के अंत तक उनका पीछा करेंगे।... आतंकवाद से भारत की भावना कभी नहीं टूटेगी। आतंकवाद को बख्शा नहीं जाएगा। भारत आतंकवाद के आगे कभी नहीं झुकेगा। जो भी मानवता में विश्वास रखता है, वह भारत के साथ है।" आतंकवाद से दुनिया के ज्यादातर देश पीड़ित हैं और उनमें से कई में पाकिस्तान का हाथ रहा है। ऐसे में, उसके आतंकी ठिकानों को मिटाने में भारत को कोई हिचकिचाहट नहीं हुई।
तीसरा: सिंधु जल संधि पर सख्त रुख:
सिंधु जल समझौते के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तीन बार युद्ध हो चुका है। लेकिन, भारत ने कभी भी इस संधि को नहीं छेड़ा। जबकि, यह समझौता पूरी तरह से पाकिस्तान के पक्ष में है। पहलगाम हमले के बाद, भारत ने सबसे बड़ा कदम यह उठाया कि सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। इसके बाद, भारत ने इससे संबंधित जलविद्युत परियोजनाओं पर रुके हुए कार्यों को तेज करना शुरू कर दिया और स्पष्ट कर दिया कि किसी भी कीमत पर देश के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा। भारत के इस रुख ने दुनिया को यह संदेश दिया कि अब भारत अपने भले-बुरे को देखकर ही फैसले लेगा और उसे कूटनीतिक दांवपेचों में नहीं उलझाया जा सकता।
चौथा: पीएम मोदी की त्वरित प्रतिक्रिया:
जब पहलगाम हमला हुआ, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिम देश सऊदी अरब में थे। उनकी उपस्थिति का प्रभाव यह हुआ कि सऊदी अरब ने भी सीमा पार आतंकवाद की निंदा की। सऊदी अरब से लौटते समय, पीएम मोदी का विमान पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से न गुजरकर भारत लौटा। इस घटना ने दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत का मूड बहुत खराब है और पाकिस्तान को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। आगे चलकर, भारतीय कूटनीति के प्रयासों से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और ईरान जैसे प्रमुख मुस्लिम देशों ने भी आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का समर्थन किया।
पांचवां: मोदी सरकार का मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड:
मोदी सरकार के कार्यकाल में, भारत ने पहले उरी और फिर पुलवामा हमले का बदला क्रमशः सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हवाई हमले के रूप में लिया था, जो सुरक्षा बलों के जवानों की शहादत का जवाब था। लेकिन, पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने 25 निर्दोष पर्यटकों और एक स्थानीय निवासी को धर्म और पहचान पूछकर क्रूरता से मार डाला। निर्दोषों के इस नरसंहार के बाद भी भारत चुप रहेगा, यह कोई भी समझदार व्यक्ति नहीं सोच सकता था। यही कारण था कि दुनिया जानती थी कि भारत बदला लेगा और वह त्वरित और उचित होगा।
'ऑपरेशन सिंदूर' ने यह साबित कर दिया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाएगा और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।