कर्रेगुट्टा पर लहराया तिरंगा: नक्सल गढ़ पर सबसे बड़ा हमला और ऐतिहासिक जीत

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी, जो एक समय में नक्सलियों का गढ़ थी, अब पूरी तरह से सुरक्षाबलों के नियंत्रण में है। देश के सबसे बड़े उग्रवाद विरोधी अभियानों में से एक "ऑपरेशन कर्रेगुट्टा" में 24 हजार जवानों की भागीदारी से यह ऐतिहासिक जीत हासिल की गई।

May 1, 2025 - 15:50
 0  6
कर्रेगुट्टा पर लहराया तिरंगा: नक्सल गढ़ पर सबसे बड़ा हमला और ऐतिहासिक जीत

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर बसी कर्रेगुट्टा पहाड़ी लंबे समय से देश के सबसे खतरनाक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गिनी जाती थी। यहाँ न केवल नक्सलियों की सर्वोच्च सैन्य कमान का ठिकाना था, बल्कि यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण था। परंतु अब वह दिन आ गया है जब देश के सुरक्षाबलों ने इस लाल गलियारे में तिरंगा फहरा कर यह संदेश दिया है कि भारत अब उग्रवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।

कर्रेगुट्टा: नक्सल आंदोलन का एक अहम गढ़

करीब 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ी, बस्तर के बीजापुर जिले और तेलंगाना के मुलुगु जिले की सीमा से लगी हुई है। घने जंगल, दुर्गम रास्ते और नक्सलियों के लिए अनुकूल भूगोल ने इसे सालों तक अजेय बना रखा था। यहीं से नक्सलियों के शीर्ष नेता जैसे हिडमा, दामोदर, सुजाता और आज़ाद पूरे क्षेत्र में अपनी सैन्य रणनीति संचालित करते थे।

कर्रेगुट्टा पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन नंबर 1 का मुख्यालय था, जो नक्सलियों की सबसे शक्तिशाली सैन्य इकाई मानी जाती है। इस ठिकाने से ही छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र के जंगल क्षेत्रों में नक्सली हमलों की योजना बनाई जाती थी।

ऑपरेशन कर्रेगुट्टा: सबसे बड़ा उग्रवाद रोधी अभियान

21 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ ऑपरेशन कर्रेगुट्टा देश के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े उग्रवाद विरोधी अभियानों में से एक है। इस ऑपरेशन में लगभग 24,000 जवानों को एक साथ तैनात किया गया, जिनमें शामिल थे:

  • डीआरजी (District Reserve Guard)

  • बस्तर फाइटर्स

  • एसटीएफ

  • सीआरपीएफ (CRPF)

  • कोबरा बटालियन (COBRA Battalion)

  • और अन्य राज्य पुलिस बल

सभी यूनिटों ने समन्वित रणनीति के तहत इस इलाके को घेरा और तलाशी अभियान चलाया। ड्रोन, सैटेलाइट और हेलीकॉप्टर के जरिए पूरे क्षेत्र की निगरानी की गई। जंगल के भीतर छिपे ठिकानों को एक-एक कर नेस्तनाबूद किया गया।

खुफिया जानकारी बनी बड़ी कामयाबी की नींव

सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि लगभग 500 नक्सली कर्रेगुट्टा के जंगलों में छिपे हुए हैं। इन नक्सलियों में PLGA की बटालियन नंबर 1, तेलंगाना स्टेट कमेटी और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के शीर्ष नेता शामिल थे। इसी सूचना के आधार पर यह सघन और बहुस्तरीय ऑपरेशन चलाया गया।

इस दौरान कई ठिकानों से भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और दस्तावेज बरामद हुए। पहाड़ी पर स्थापित कई अस्थायी कैंपों को ध्वस्त किया गया और कई नक्सलियों को मार गिराया गया।

कर्रेगुट्टा पर फहराया तिरंगा

सबसे गौरवपूर्ण क्षण तब आया जब सुरक्षाबलों ने कर्रेगुट्टा की चोटी पर पहुंच कर तिरंगा फहराया। यह प्रतीक है उस विजय का, जो वर्षों से चली आ रही नक्सल समस्या के विरुद्ध संघर्ष का परिणाम है। यह न केवल एक सामरिक जीत है, बल्कि उस मानसिकता की हार भी है जो लोकतंत्र और विकास के विरोध में हथियार उठाती है।

2026 तक नक्सलवाद का अंत?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही घोषणा कर दी है कि 31 मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवाद का पूरी तरह खात्मा कर दिया जाएगा। "ऑपरेशन कर्रेगुट्टा" इस लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।

सरकार का स्पष्ट रुख है कि नक्सलियों से अब कोई वार्ता नहीं की जाएगी। जो आत्मसमर्पण करेगा, उसे पुनर्वास मिलेगा। जो हथियार उठाएगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा।

भाजपा सरकार में बढ़ी सख्ती

छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के आने के बाद से नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में जबरदस्त तेजी आई है। जनवरी 2024 से अब तक करीब 350 नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश की मौत बस्तर क्षेत्र में हुई। इस साल 300 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है।

सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता और पुनर्वास की सुविधा प्रदान कर रही है। वर्ष 2024 में बस्तर क्षेत्र से 792 नक्सलियों ने हथियार छोड़े।

एक नए युग की शुरुआत

कर्रेगुट्टा पर तिरंगे का फहराया जाना केवल एक सैन्य उपलब्धि नहीं है, यह उन ग्रामीणों और आदिवासियों के लिए भी राहत है जो दशकों से हिंसा, भय और अस्थिरता में जी रहे थे। यह अभियान एक स्पष्ट संकेत है कि अब देश अपने दुश्मनों के विरुद्ध एकजुट और निर्णायक होकर खड़ा है।

यह घटना दर्शाती है कि यदि संकल्प और रणनीति स्पष्ट हो तो कोई भी किला अजेय नहीं होता। अब समय है कि शेष बचे नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी इसी तरह की सघन कार्रवाइयों से स्थायी शांति स्थापित की जाए।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow