IAS Success Story: नौकरी के साथ की तैयारी, मेहनत और लक्ष्य से डगमगाए बिना मिली 18वीं रैंक

IAS बनने का सपना तब और प्रेरणादायक हो जाता है जब कोई अभ्यर्थी नौकरी के साथ पढ़ाई कर, सीमित समय में सफलता हासिल करता है। सौम्या मिश्रा, हेमंत मिश्रा, अभिषेक सिंह और अवनीश सिंह की कहानियाँ यही बताती हैं कि लक्ष्य पर फोकस बना रहे तो सफलता तय है।

May 2, 2025 - 14:36
May 2, 2025 - 14:43
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IAS Success Story: नौकरी के साथ की तैयारी, मेहनत और लक्ष्य से डगमगाए बिना मिली 18वीं रैंक

                                                                   सौम्या मिश्रा, हेमंत मिश्रा, अभिषेक सिंह, अवनीश सिंह।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है। इसकी तैयारी में समर्पण, अनुशासन और धैर्य की ज़रूरत होती है, खासकर तब जब अभ्यर्थी नौकरी के साथ इस परीक्षा की तैयारी करें। हाल ही में घोषित सिविल सेवा परीक्षा 2025 के परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर लगन हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। इस बार पूर्वांचल के कई अभ्यर्थियों ने टॉप रैंक हासिल कर यह साबित कर दिखाया।

सौम्या मिश्रा: ईमानदारी से किया हर भूमिका का निर्वहन

मिर्जापुर की सौम्या मिश्रा ने UPSC 2025 में 18वीं रैंक प्राप्त की है। वे वर्तमान में मड़िहान में एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं। सौम्या की सफलता की कहानी एक प्रेरणा है उन सभी लोगों के लिए जो नौकरी के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं।

उनका मानना है कि "कर्तव्य और तैयारी दोनों में ईमानदारी जरूरी है।" अपने व्यस्त शासकीय कार्यों के बीच उन्होंने हर खाली पल को किताबों के लिए समर्पित किया। चाहे वह किसी फील्ड विज़िट के दौरान का समय हो या रात को सोने से पहले का, उन्होंने हर क्षण का सदुपयोग किया।

सौम्या का यह भी कहना है कि यूपीएससी की तैयारी करने वाले कई युवा इसके "ग्लैमर" के पीछे भागते हैं और लक्ष्य से भटक जाते हैं। "लक्ष्य का पीछा करिए, न कि उसके ग्लैमर का", यही उनका मूल मंत्र है।

हेमंत मिश्रा: निरंतरता बनी सफलता की कुंजी

13वीं रैंक हासिल करने वाले हेमंत मिश्रा, बक्सर के मूल निवासी हैं। उन्होंने 2023 में PCS परीक्षा पास की थी और वर्तमान में मिर्जापुर में एसडीएम पद पर कार्यरत हैं।

हेमंत का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखना होती है। कई लोग केवल दिखावे के लिए पढ़ाई करते हैं, लेकिन असली परीक्षा तब होती है जब आप लगातार मेहनत करते हैं बिना किसी पब्लिसिटी के। उनका यह विचार साफ दर्शाता है कि सच्ची मेहनत का कोई विकल्प नहीं।

उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता ओम प्रकाश मिश्रा और नम्रता मिश्रा को दिया, जो शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। उनका कहना है कि परिवार से मिला समर्थन किसी भी परीक्षा को पार करने में सबसे बड़ा बल देता है।

अभिषेक सिंह: उत्तर लेखन कला से मिली सफलता

78वीं रैंक हासिल करने वाले अभिषेक सिंह जौनपुर के बदलापुर क्षेत्र के ढेमा गांव के रहने वाले हैं। उनका मानना है कि मेंस परीक्षा की सबसे बड़ी चुनौती उत्तर लेखन है।

"आपको यह जानना जरूरी है कि क्या नहीं लिखना है। उत्तर में संतुलन होना चाहिए—तथ्य, विचार और केस स्टडी का मेल होना चाहिए," वे कहते हैं।

अभिषेक को इस मुकाम तक पहुंचने में साढ़े चार साल लगे। उन्होंने बताया कि सेल्फ स्टडी सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन उसे गुणवत्तापूर्ण बनाना ही तैयारी की दिशा तय करता है। वे कहते हैं, "जिस दिन आपने खुद को प्रेशर में डाला, उसी दिन से आप पीछे हो जाते हैं। इसलिए पढ़ाई को बोझ नहीं, रुचि मानकर करें।"

अवनीश सिंह: आईपीएस ट्रेनिंग के बीच बेहतर रैंक हासिल

मिर्जापुर के खुटहां मौनस गांव निवासी अवनीश सिंह ने सिविल सेवा परीक्षा में 148वीं रैंक हासिल की है। दिलचस्प बात यह है कि वे पहले ही 2023 में आईपीएस के लिए क्वालिफाई कर चुके थे और हैदराबाद में ट्रेनिंग कर रहे थे।

दिनभर की कड़ी ट्रेनिंग के बाद उन्होंने जो भी समय मिला, उसे पढ़ाई में समर्पित कर दिया। उनका मानना है कि "जब तक आप अपने सपनों का पीछा करते रहेंगे, सफलता ज़रूर मिलेगी।" उनकी मां आशा सिंह एक गृहिणी हैं, जिन्होंने अवनीश को हर मोड़ पर मानसिक सहयोग दिया।

एक समान सूत्र: समर्पण, निरंतरता और आत्म-मूल्यांकन

इन सभी सफल उम्मीदवारों की कहानियों में एक समान सूत्र है—समर्पण और निरंतरता। चाहे वह सौम्या हों जिन्होंने एसडीएम रहते पढ़ाई जारी रखी, हेमंत हों जिन्होंने पोस्टिंग के साथ-साथ तैयारी को प्राथमिकता दी, अभिषेक हों जिन्होंने उत्तर लेखन की कला में महारत हासिल की, या अवनीश, जिन्होंने ट्रेनिंग के दौरान अपनी रैंक को बेहतर किया—सभी ने यह दिखा दिया कि कोई भी परिस्थिति यदि ठान लिया जाए, तो बाधा नहीं बन सकती।

इन कहानियों से हमें यह भी सीख मिलती है कि तैयारी का तरीका व्यक्ति विशेष के अनुसार भिन्न हो सकता है, लेकिन आत्म-मूल्यांकन, ईमानदारी और समय का सदुपयोग किसी भी अभ्यर्थी की सफलता में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।


निष्कर्ष

यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सफलता पाने के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता, अनुशासन और लक्ष्य के प्रति समर्पण भी जरूरी होता है। इन प्रेरणादायक कहानियों से यह स्पष्ट होता है कि नौकरी, ट्रेनिंग और अन्य जिम्मेदारियों के बीच भी अगर व्यक्ति ठान ले, तो हर मंज़िल आसान हो सकती है।

यदि आप भी UPSC की तैयारी कर रहे हैं और किसी वजह से निराश हैं, तो इन कहानियों को एक बार जरूर पढ़ें। ये आपको न केवल प्रेरित करेंगी, बल्कि एक नई ऊर्जा के साथ फिर से शुरुआत करने का हौसला भी देंगी।

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