पेट्रोल-डीजल 1.30 रुपए महंगा! कल आधी रात से लागू होंगे नए रेट, आम जनता की जेब पर सीधा असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के चलते भारत में 1 मई से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ₹1.30 प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी संभव है। जानिए कैसे आम जनता पर पड़ेगा असर।

नई दिल्ली/वाराणसी, 30 अप्रैल:
आम जनता के लिए एक और महंगाई भरी खबर आई है। 1 मई से देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ₹1.30 प्रति लीटर तक की संभावित बढ़ोतरी हो सकती है। यह बढ़ोतरी 30 अप्रैल की आधी रात से लागू मानी जा रही है। पेट्रोल-डीजल के अलावा केरोसिन के दाम में भी ₹1.35 प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। इस वृद्धि की मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हालिया उछाल है।
बाजार के उतार-चढ़ाव का घरेलू असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत वर्तमान में 65.52 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत 61.87 डॉलर प्रति बैरल पर है। यह उछाल मुख्यतः बाजार में अधिक आपूर्ति की आशंका और अमेरिका-चीन के बीच व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता की वजह से हुआ है। इन वैश्विक कारकों का सीधा असर भारत के घरेलू पेट्रोलियम बाजार पर देखने को मिल रहा है।
सरकारी लेवी में इज़ाफा
हाल ही में सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क (excise duty) 8.02 रुपये बढ़ाकर 78.02 रुपये प्रति लीटर कर दिया है। इसी तरह हाई-स्पीड डीजल पर लेवी 7.01 रुपये तक बढ़ा दी गई है। हालांकि, इसका तत्काल प्रभाव आम जनता पर नहीं पड़ा था, लेकिन अब नए रेट लागू होने से जनता की जेब पर सीधा असर पड़ना तय है।
कितना बढ़ सकता है बोझ?
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पेट्रोल: ₹1.30 प्रति लीटर तक की वृद्धि
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डीजल: ₹1.30 प्रति लीटर तक की वृद्धि
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केरोसिन: ₹1.35 प्रति लीटर की संभावित बढ़ोतरी
इससे घरेलू बजट गड़बड़ाने की पूरी संभावना है, खासकर उन परिवारों के लिए जो पहले से ही खाने-पीने की चीजों की महंगाई से जूझ रहे हैं।
प्रभाव किस पर और कैसे?
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निजी वाहन चलाने वाले लोगों पर सीधा असर पड़ेगा। एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति जो महीने में 50 लीटर पेट्रोल खर्च करता है, उसे करीब ₹65 का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा।
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सार्वजनिक परिवहन, जैसे बस सेवाओं के किराये में संभावित वृद्धि हो सकती है।
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सामान ढुलाई की लागत बढ़ने से सब्जी, अनाज और फल जैसे जरूरी सामानों की कीमतों में भी इजाफा होना तय है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मूल्य वृद्धि को लेकर विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने बयान दिया, "सरकार आम जनता की जेब काटकर पूंजीपतियों को राहत देने का काम कर रही है।" वहीं, सरकार की ओर से बयान आया है कि यह बढ़ोतरी वैश्विक बाजार की मजबूरी है और इसमें केंद्र का सीधा नियंत्रण नहीं है।
केंद्र सरकार का पक्ष
पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा है कि, "भारत वैश्विक कच्चे तेल बाजार पर निर्भर है और कीमतें उसी के अनुसार तय होती हैं। सरकार अपने स्तर पर मूल्य स्थिर रखने की कोशिश करती है, लेकिन कभी-कभी बदलाव जरूरी होता है।"
विशेषज्ञों की राय
तेल विपणन कंपनियों के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें इसी तरह बनी रहीं, तो आने वाले महीनों में और वृद्धि हो सकती है। यह भारत के व्यापार घाटे को भी प्रभावित कर सकता है।"
जनता की प्रतिक्रिया
लखनऊ के एक ऑटो चालक रमेश यादव ने कहा, "पहले ही इतनी महंगाई है, ऊपर से पेट्रोल और डीजल की कीमतें फिर बढ़ रही हैं। हमारी कमाई नहीं बढ़ती, लेकिन खर्च जरूर बढ़ जाता है।"
गाजियाबाद की गृहिणी रेनू मिश्रा ने कहा, "रसोई गैस महंगी, सब्ज़ी महंगी, अब पेट्रोल भी। कैसे चलाएं घर?"
क्या हो सकता है समाधान?
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सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों को GST के तहत लाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए, जिससे टैक्स बोझ कम हो सके।
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कच्चे तेल के विकल्प, जैसे बायोफ्यूल और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, दीर्घकालिक समाधान हो सकता है।
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प्राइस बफर सिस्टम जैसे नीति पर काम करना चाहिए जिससे वैश्विक कीमतों का असर सीमित किया जा सके।
निष्कर्ष
1 मई से लागू होने जा रही पेट्रोल-डीजल की नई दरें आम आदमी की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। यह महंगाई के उस दौर में एक और झटका है, जब पहले ही रोजमर्रा की चीजों की कीमतें आम जनजीवन को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में सरकार से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह स्थायी और दीर्घकालिक समाधान की दिशा में काम करे ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।
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