कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से रुपये को मिला सहारा, 7 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा

विदेशी निवेश में बढ़ोतरी और खाड़ी देशों द्वारा तेल उत्पादन बढ़ाने के फैसले से भारतीय रुपया 7 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। जानिए इसके पीछे की पूरी आर्थिक तस्वीर।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से रुपये को मिला सहारा, 7 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव और युद्ध जैसे हालातों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक सकारात्मक खबर सामने आई है। विदेशी निवेश में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते भारतीय रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में 7 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है।

रुपये को सपोर्ट मिला

खाड़ी देशों द्वारा क्रूड ऑयल प्रोडक्शन बढ़ाने की घोषणा के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों में गिरावट दर्ज की गई है। इसका सीधा असर भारत पर पड़ा है, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए काफी हद तक आयातित तेल पर निर्भर है। तेल की कीमतों में गिरावट से भारत के आयात बिल में कमी आने की उम्मीद है, जिससे रुपये को मजबूती मिली है।

शुक्रवार को रही हल्की गिरावट

शुक्रवार को रुपया 70 पैसे की तेजी के बाद मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ था। विशेषज्ञों को इस गिरावट की उम्मीद नहीं थी, लेकिन सोमवार के शुरुआती सत्र में रुपए ने फिर से जोर पकड़ा और तेजी के साथ कारोबार करता दिखा।

विदेशी निवेशकों की वापसी से मिला बल

देश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में इजाफा हुआ है। साथ ही मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई डेटा और जीएसटी कलेक्शन जैसे हालिया आर्थिक आंकड़े भी उत्साहवर्धक रहे हैं। इन सभी संकेतों ने विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है, जिससे रुपया और मजबूत हुआ है।

अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत

पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, विदेशी निवेश में बढ़ोतरी और सकारात्मक आर्थिक आंकड़े आने वाले समय में भी रुपये को सहारा दे सकते हैं।