भारत-पाक तनाव से डरा चीन, परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा को लेकर तैयार की आपात रिपोर्ट

भारत-पाकिस्तान तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन अपने 102 परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। चीनी सेना ने चेतावनी दी है कि युद्ध की स्थिति में बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती है।

भारत-पाक तनाव से डरा चीन, परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा को लेकर तैयार की आपात रिपोर्ट

बीजिंग/नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने सिर्फ दक्षिण एशिया ही नहीं, बल्कि पूर्वी एशिया में भी हलचल मचा दी है। खासतौर पर चीन में खलबली है। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीनी सेना और रक्षा वैज्ञानिकों ने मिलकर एक आपात रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि युद्ध की स्थिति में चीन के परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा में सेंध लग सकती है — और इससे देशव्यापी तबाही मच सकती है।


102 परमाणु रिएक्टर, एक बड़ी चिंता

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में वर्तमान में 102 परमाणु रिएक्टर चालू स्थिति में हैं। इनमें से अधिकांश दक्षिण चीन सागर के आसपास स्थित हैं, जो भौगोलिक रूप से रणनीतिक लेकिन संवेदनशील इलाका है।

चीनी सेना की एक इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर वांग फेंगशान के नेतृत्व में तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर किसी युद्ध में इन परमाणु रिएक्टरों पर हमला हुआ या सुरक्षा में चूक हुई, तो यह चेरनोबिल या फुकुशिमा जैसी तबाही को जन्म दे सकता है।


यूक्रेन-रूस युद्ध से ली प्रेरणा

चीनी विशेषज्ञों ने यह रिपोर्ट यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध से प्रेरित होकर तैयार की है। उन्होंने देखा कि कैसे युद्ध की स्थिति में परमाणु संयंत्र खतरे में आ जाते हैं, जैसा कि यूक्रेन के ज़ापोरिझिया परमाणु संयंत्र के आसपास देखा गया। इसी तर्ज पर, चीन की चिंता है कि अगर भारत जैसे शक्तिशाली पड़ोसी से युद्ध हुआ तो रिएक्टरों को बचा पाना आसान नहीं होगा।


भारत की ताकत देख सहमा ड्रैगन

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम, रडार, और JF-17 जैसे चीनी हथियारों को आसानी से ध्वस्त कर दिया। इससे यह साबित हुआ कि चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए गए हथियार कितने कमजोर हैं।

इस कार्रवाई से चीन में चिंता का माहौल है। वहां की सेना और प्रशासन ने इस बात को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है कि कहीं भारत जैसी कार्रवाई उनके खिलाफ न हो जाए। हाल ही में चीन ने भारत की सीमा से लगे इलाकों में सैन्य गतिविधियाँ तेज कर दी हैं, लेकिन साथ ही परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा को लेकर अंदरूनी समीक्षा भी शुरू कर दी है।


चीनी सेना में मची हलचल, अधिकारियों की चुप्पी

पाकिस्तान ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उसने चीन के हथियारों का युद्ध में इस्तेमाल किया। लेकिन चीन की ओर से इस दावे पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। यहां तक कि चीनी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर चुप्पी साध ली है

यह चुप्पी अपने आप में कई सवाल खड़े करती है। क्या चीन को अब अपने ही बनाए हथियारों की विश्वसनीयता पर भरोसा नहीं रहा? या फिर ड्रैगन को यह डर है कि भारत की सैन्य ताकत के सामने उसके हथियार कहीं कमजोर न पड़ जाएं?


ताइवान, जापान और भारत से घिरा चीन

चीन की कूटनीतिक स्थिति भी इस वक्त बेहद जटिल है। उसे ताइवान, जापान, फिलिपींस और भारत से सीधी चुनौती मिल रही है। इन देशों में से कई को अमेरिका का सैन्य समर्थन भी हासिल है। खासतौर पर ताइवान और जापान ने चीन के खिलाफ सैन्य तैयारियाँ तेज कर दी हैं।

भारत की सैन्य क्षमता और तकनीक में आत्मनिर्भरता ने भी चीन को बेचैन कर दिया है। यही कारण है कि चीन को अब अपने अंदर की कमजोरियों का आभास हो रहा है — और परमाणु संयंत्र जैसे संवेदनशील ठिकानों को लेकर उसकी चिंता बढ़ गई है।


सुरक्षा रणनीति में बदलाव संभव

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अब अपने परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा रणनीति पर पुनर्विचार कर रहा है। संभावित बदलावों में शामिल हो सकते हैं:

  • रिएक्टरों के आसपास एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती

  • परमाणु रिएक्टर संचालन के लिए डिजास्टर रिस्पॉन्स टीम

  • समुद्री इलाकों में सुरक्षा घेरा और नौसैनिक गश्त

  • एयर स्पेस को सेंसिटिव जोन घोषित करना

हालांकि यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस स्तर की सुरक्षा व्यवस्था लंबी योजना और भारी निवेश मांगती है।


निष्कर्ष: डर चीन के भीतर है, खतरा कहीं और नहीं

भारत-पाक युद्ध की स्थिति में चीन की यह घबराहट एक नई कूटनीतिक हकीकत को उजागर करती है — चीन बाहर से जितना आक्रामक दिखता है, अंदर से उतना ही सुरक्षा को लेकर संवेदनशील और आशंकित है।

अगर चीन अपने ही बनाए परमाणु संयंत्रों की रक्षा नहीं कर सकता, तो वह कैसे अपने पड़ोसियों पर दबदबा बनाए रख पाएगा? और अगर पाकिस्तान जैसे सहयोगी द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार खुद उसके लिए चिंता का कारण बनें, तो उसका रक्षा निर्यात मॉडल भी सवालों के घेरे में है।