पाकिस्तान का परमाणु बम भी निकला चाइनीज? ऑपरेशन सिंदूर में ध्वस्त हुआ HQ-9 एयर डिफेंस और रडार सिस्टम

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के HQ-9 एयर डिफेंस और रडार सिस्टम को तबाह कर दिया। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान का परमाणु हथियार कार्यक्रम भी चाइनीज तकनीक पर आधारित है?

पाकिस्तान का परमाणु बम भी निकला चाइनीज? ऑपरेशन सिंदूर में ध्वस्त हुआ HQ-9 एयर डिफेंस और रडार सिस्टम

नई दिल्ली: भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम और रडार नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया है। जवाबी हमले में भारतीय सेना ने HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, LY-80/HQ-16, और जैमर-अर्ली वार्निंग सिस्टम को तबाह किया, जिससे पाकिस्तान की सैन्य तैयारी पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

अब सोशल मीडिया और सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच यह बहस शुरू हो गई है कि पाकिस्तान का हर हथियार चाइनीज माल है — चाहे वह एयर डिफेंस सिस्टम हो, फाइटर जेट या यहां तक कि परमाणु बम का डिज़ाइन।


पाकिस्तान का एयर डिफेंस क्यों फेल हुआ?

पाकिस्तान ने चीन से HQ-9 और LY-80 जैसे आधुनिक दिखने वाले एयर डिफेंस सिस्टम खरीदे थे। लेकिन भारत की स्कैल्प मिसाइलों और ड्रोन हमलों ने इन पर सीधा वार किया, जिससे यह साफ हो गया कि ये सिस्टम तकनीकी रूप से कमजोर थे और भारत के हमलों का सामना नहीं कर सके।

इन सिस्टम्स की असफलता के बाद लोगों का ध्यान पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम की तरफ गया है — जिसकी नींव भी चोरी की तकनीक पर रखी गई थी।


परमाणु बम का डिजाइन भी चाइनीज और चोरी का?

पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम 1970 के दशक में शुरू हुआ। यह मुख्यतः यूरोपीय और चीनी तकनीक की चोरी पर आधारित था। डॉ. ए. क्यू. खान ने यूरोपीय डिजाइन चुराए और चीन से तकनीकी सहयोग हासिल किया। भारत और इजरायल को यह डर था कि पाकिस्तान का 'इस्लामी बम' उनके लिए खतरा बन सकता है।

RAW और मोसाद की जासूसी के ज़रिए पता चला कि इस्लामाबाद के पास कहूटा में परमाणु संयंत्र बनाया जा रहा है। बालों के सैंपल से इसकी रेडियोएक्टिव पुष्टि हुई, जिसने भारत को सतर्क कर दिया।


1984 में हमला टल गया, CIA ने सतर्क किया

1984 में भारत और इजरायल मिलकर पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने वाले थे। लेकिन CIA ने पाकिस्तान को इसकी जानकारी दे दी, जिससे यह योजना रद्द करनी पड़ी।


आज भी परमाणु मिसाइल ठिकानों पर संदेह

बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास 9 मिसाइल डिपो हैं जिनमें छोटी और मध्यम दूरी की परमाणु मिसाइलें रखी गई हैं। इनमें से कई ठिकाने भारत की सीमा के पास स्थित हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कितने हथियार सक्रिय और विश्वसनीय हैं।


JF-17, F-16 और J-10C का क्या हाल?

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत ने ऑपरेशन में पाकिस्तान के दो JF-17 और एक F-16 जेट को मार गिराया है। JF-17 को चीन ने बनाया है और यह भारत के तेजस से मुकाबले में कमजोर साबित हुआ। पाकिस्तान के आधुनिक माने जाने वाले J-10C भी चीन से ही आए हैं।


चीन पर निर्भरता बनी सबसे बड़ी कमजोरी

SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान के कुल 81% सैन्य आयात चीन से हुए हैं। इसमें फाइटर जेट, मिसाइल, रडार, और इलेक्ट्रॉनिक डिफेंस सिस्टम शामिल हैं। यह हथियार अब भारत के सामने एक-एक कर फेल हो रहे हैं।


निष्कर्ष: पाकिस्तान का सुरक्षा तंत्र खोखला

ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के डिफेंस सिस्टम की वास्तविक स्थिति उजागर कर दी है। सवाल सिर्फ एयर डिफेंस का नहीं, बल्कि पूरे परमाणु कार्यक्रम की विश्वसनीयता पर उठ रहे हैं। जब देश का सबसे अहम हथियार चोरी की तकनीक और घटिया चीनी माल पर टिका हो, तो युद्ध की स्थिति में उस पर भरोसा कैसे किया जा सकता है?