भारत-पाकिस्तान के बीच क्या शुरू हो चुका है युद्ध , कैसे होता है जंग का ऐलान? जानें सबकुछ
क्या भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो चुका है? जानिए जंग का ऐलान कैसे होता है, कानूनी प्रक्रिया क्या है और किन हालातों में युद्ध अनिवार्य हो जाता है।

पहलगाम में आतंकी हमले की साजिश के बाद, भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया, जिससे सीमा पर तनाव बढ़ गया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात बन गए हैं।
नई दिल्ली: पहलगाम की शांत वादियों में आतंकी हमले की साजिश ने भारत को झकझोर दिया, लेकिन इस बार हिंदुस्तान ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को चिंगारी से आग में बदल दिया। जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक, भारत-पाकिस्तान सीमा पर जंग की आहट सुनाई दे रही है। पाकिस्तान की उकसावे वाली हरकतों और भारत की तीखी जवाबी कार्रवाई ने दुनिया का ध्यान खींच लिया है। क्या ये दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश युद्ध के रास्ते पर हैं? और अगर ऐसा हुआ, तो भारत में युद्ध की घोषणा कैसे होगी? आइए समझते हैं।
ड्रोन, मिसाइल और पाकिस्तान की नाकाम चाल
पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट और उधमपुर में भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले की साजिश रची। लेकिन भारतीय सेना की चौकसी ने इस चाल को धूल चटा दी। भारतीय वायुसेना और थलसेना ने पलक झपकते ही पाकिस्तान की हरकत को नाकाम कर दिया। लेकिन भारत ने यहीं रुकने का नाम नहीं लिया। जवाबी कार्रवाई में लाहौर समेत कई शहरों में सटीक हमले किए गए, जिसने पाकिस्तान को साफ बता दिया कि भारत की चुप्पी उसकी कमजोरी नहीं।
कल खतरा देखते हुए जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के कई इलाकों में ब्लैकआउट किया गया। जनजीवन ठप हो गया, और अधिकारियों ने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की हिदायत दी।
नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी, ऑपरेशन सिंदूर की गूंज
नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान ने फिर युद्धविराम तोड़ा। भारी गोलाबारी और गोलीबारी की खबरें सामने आईं, लेकिन भारतीय सेना ने हर हमले का दांतखट्टा करने वाला जवाब दिया। यह तनाव ऑपरेशन सिंदूर के बाद और भड़क उठा, जिसमें भारत ने पहलगाम हमले का बदला लेते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह किया। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया, लेकिन उसकी उकसावे की आदत ने तनाव को और गहरा कर दिया। सवाल अब यह है कि क्या यह तनाव युद्ध की शक्ल लेगा? अगर ऐसा हुआ, तो भारत में युद्ध की घोषणा का रास्ता क्या होगा?
कौन करेगा युद्ध की घोषणा?
भारत में युद्ध की घोषणा एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें संवैधानिक नियम, कार्यकारी ताकत और संसदीय नजर शामिल है। भारतीय संविधान में युद्ध की औपचारिक घोषणा का कोई साफ रास्ता नहीं है, लेकिन कुछ तंत्र इसे संभालते हैं।
➤ राष्ट्रपति: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53(2) के तहत, राष्ट्रपति देश के सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं। युद्ध की घोषणा या शांति स्थापना का अधिकार उनके पास है, लेकिन यह अधिकार केवल केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह पर प्रयोग किया जाता है। अनुच्छेद 74 के अनुसार, राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सलाह माननी होती है। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति स्वतंत्र रूप से युद्ध की घोषणा नहीं कर सकते।
➤ केंद्रीय मंत्रिमंडल: युद्ध या शांति का फैसला वास्तव में केंद्रीय मंत्रिमंडल लेता है। प्रधानमंत्री की अगुवाई में मंत्रिमंडल रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और खुफिया एजेंसियों से सलाह लेता है। 1978 के 44वें संशोधन के तहत, राष्ट्रपति तभी राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, जब मंत्रिमंडल लिखित सिफारिश दे। यानी, मंत्रिमंडल का फैसला इस प्रक्रिया का केंद्र है।
➤ संसद: हालांकि युद्ध की घोषणा के लिए संसद से पूर्व-अनुमोदन जरूरी नहीं है, लेकिन इसकी अहम भूमिका है। संसद रक्षा बजट की निगरानी करती है और सैन्य कार्रवाइयों पर बहस कर सरकार को जवाबदेह ठहराती है। युद्ध की घोषणा या राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में, इसे लोकसभा और राज्यसभा में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करना होता है। आपातकाल की घोषणा एक महीने तक वैध होती है, जिसे विशेष बहुमत से बढ़ाया जा सकता है।
युद्ध की घोषणा का रास्ता साफ है। मंत्रिमंडल सिफारिश करता है, राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करते हैं। संसद एक महीने में इसे मंजूरी देती है, और आपातकाल छह महीने तक चलता है। लेकिन सच यह है कि भारत में युद्ध की औपचारिक घोषणा का कोई सख्त नियम नहीं। इतिहास बताता है कि भारत ने कभी कागजों पर जंग का ऐलान नहीं किया।
अतीत की जंगें: बिना ऐलान की लड़ाई
1947-48 (पहला कश्मीर युद्ध): पाकिस्तानी घुसपैठ से शुरू। भारत ने जवाब दिया, लेकिन युद्ध की घोषणा नहीं हुई।
1962 (भारत-चीन युद्ध): चीन के हमले से भड़का। भारत ने जवाब दिया, लेकिन कोई औपचारिक ऐलान नहीं।
1965 (भारत-पाक युद्ध): पाकिस्तान के 'ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम' से भड़का। भारत ने सीमा पार की, बिना युद्ध की घोषणा के।
1971 (बांग्लादेश मुक्ति युद्ध): पाकिस्तानी हवाई हमलों के बाद भारत ने जवाब दिया। कोई औपचारिक घोषणा नहीं।
1999 (कारगिल युद्ध): पाकिस्तानी घुसपैठ से शुरू। भारत का 'ऑपरेशन विजय' बिना युद्ध की घोषणा के चला।
अब क्या होगा?
पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान की ताजा हरकतों ने दोनों देशों को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है। परमाणु हथियारों से लैस ये पड़ोसी क्या वाकई जंग की राह पर हैं? भारत में युद्ध की घोषणा का कोई साफ नियम नहीं, लेकिन अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल इसका रास्ता बन सकता है। क्या कूटनीति तनाव को ठंडा करेगी, या नियंत्रण रेखा पर एक और जंग की कहानी लिखी जाएगी? दुनिया की नजर इस सवाल पर टिकी है।