दोस्त रूस से भारत को मिला 'सुरक्षा चक्र', पाकिस्तानी ड्रोन और चॉपर भी नहीं बच पाएंगे!
"पहलगाम हमले के बाद भारत ने रूस से खरीदी Igla-S मिसाइलें, पाकिस्तानी ड्रोन और हेलिकॉप्टर भी नहीं बच पाएंगे। सेना की बढ़ेगी ताकत।"

नई दिल्ली: पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद, भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर और भी सतर्क हो गया है। इसी कड़ी में, भारत ने अपनी वायु सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए रूस से आधुनिक Igla-S मिसाइलों की खरीद की है। लगभग 260 करोड़ रुपये की इस डील से पश्चिमी सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी, क्योंकि ये मिसाइलें दुश्मन के निचले स्तर पर उड़ने वाले ड्रोन, विमान और हेलिकॉप्टरों को पलक झपकते ही मार गिराने में सक्षम हैं।
केंद्र सरकार ने सेना को आपातकालीन स्थितियों में हथियार खरीदने का अधिकार दिया है, और इसी के तहत यह महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इन मिसाइलों के आने से पश्चिमी सीमा पर तैनात जवानों की हवाई सुरक्षा कवच और भी मजबूत हो जाएगा। सिर्फ थल सेना ही नहीं, भारतीय वायुसेना भी इसी तरह की मिसाइलें खरीदने की योजना बना रही है। इसके अलावा, सेना अपनी पुरानी मिसाइलों को भी दुरुस्त करवा रही है और दुश्मन के नए ड्रोन का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए आधुनिक सिस्टम लगा रही है।
सूत्रों की मानें तो रूस से Igla-S मिसाइलों की पहली खेप कुछ हफ्ते पहले ही भारत पहुंच चुकी है और इन्हें तेजी से सीमा पर तैनात सैनिकों को सौंपा जा रहा है। ये मिसाइलें दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों और खासकर उन छोटे और तेज गति वाले ड्रोनों से निपटने में बेहद कारगर साबित होंगी, जिनका इस्तेमाल पश्चिमी सीमा पर अक्सर देखा जाता है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा पश्चिमी सीमा पर वायु रक्षा करने वाले सैनिकों को एक महत्वपूर्ण बढ़त दिलाएगा।
भारतीय सेना पिछले कुछ सालों से अपनी सैन्य क्षमताओं को तेजी से बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके तहत हथियारों के स्पेयर पार्ट्स और अन्य जरूरी उपकरणों की त्वरित खरीद पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में सेना की कार्रवाई में कोई बाधा न आए। Igla-S मिसाइलों के अलावा, भारतीय सेना 48 और लॉन्चर और लगभग 90 VSHORADS (वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम - इंफ्रा रेड) मिसाइलें खरीदने के लिए भी टेंडर जारी कर चुकी है। सेना लेजर बीम-राइडिंग VSHORADS के नए वर्जन भी हासिल करने की दिशा में काम कर रही है।
पाकिस्तान द्वारा पश्चिमी सीमा पर ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए, भारतीय सेना को बड़ी संख्या में ऐसी मिसाइलों की जरूरत है जो इन खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकें। साथ ही, ड्रोन का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता को बढ़ाना भी सेना की प्राथमिकता है।
क्यों खास है Igla-S मिसाइल?
Igla-S एक पोर्टेबल मिसाइल सिस्टम है, जिसे एक सैनिक आसानी से अपने कंधे पर रखकर ऑपरेट कर सकता है। यह मिसाइल हवा में 6 किलोमीटर तक और 3.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ड्रोन और हेलिकॉप्टर जैसे छोटे और तेज गति वाले लक्ष्यों को भी आसानी से निशाना बना सकती है। Igla-S, Igla मिसाइल का एक आधुनिक और उन्नत वर्जन है, जबकि पुरानी Igla मिसाइलें भारतीय सेना में 1990 के दशक से ही इस्तेमाल हो रही हैं, जिन्हें अब एक भारतीय कंपनी द्वारा ठीक करके और बेहतर बनाया गया है।
इसके अलावा, भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम मार्क 1 भी तैनात किया है। यह सिस्टम 8 किलोमीटर से अधिक दूरी से दुश्मन के ड्रोन का पता लगा सकता है, उन्हें जाम कर सकता है, उनके सिग्नल को भ्रमित कर सकता है और जरूरत पड़ने पर उन्हें मार भी सकता है। इस सिस्टम में लेजर हथियार भी लगे हैं, जो ड्रोन को जलाकर गिरा सकते हैं। हाल ही में, सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने जम्मू क्षेत्र में 16 कोर के सामने इसी सिस्टम का इस्तेमाल करके पाकिस्तान सेना के एक ड्रोन को मार गिराया था, जो इस स्वदेशी तकनीक की क्षमता का प्रमाण है।
रूस से मिली Igla-S मिसाइलें और स्वदेशी ड्रोन रोधी प्रणाली मिलकर भारत की पश्चिमी सीमा को एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करेंगी, जिससे दुश्मन के किसी भी हवाई दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा।