रानी दुर्गावती का 'मकबरा'? BSC के पेपर में सवाल पर बवाल, जानिए क्या है पूरा माजरा!
"रानी दुर्गावती का 'मकबरा'? जबलपुर के BSC पेपर में सवाल पर मचा हंगामा, हिंदू संगठनों ने बताया अपमान, विश्वविद्यालय ने दिए जांच के आदेश।"

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर के एक कॉलेज में बीएससी के पेपर में पूछे गए एक सवाल ने तूल पकड़ लिया है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में हुई इस परीक्षा में महान वीरांगना रानी दुर्गावती के 'मकबरे' को लेकर प्रश्न पूछा गया, जिस पर छात्र और हिंदू संगठन भड़क उठे हैं। उनका कहना है कि रानी दुर्गावती जैसी पूजनीय शख्सियत के लिए 'मकबरा' शब्द का इस्तेमाल करना उनका घोर अपमान है। NSUI ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
दरअसल, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर में बीएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा 3 मई को आयोजित हुई थी। इस परीक्षा के एक प्रश्न पत्र में सवाल पूछा गया था, "रानी दुर्गावती का 'मकबरा' कहां स्थित है?" इस सवाल के लिए चार विकल्प भी दिए गए थे - बरेला, बामणी, चरगवां और दंडई। ये सभी स्थान जबलपुर में ही स्थित हैं, लेकिन विवाद की जड़ 'मकबरा' शब्द का इस्तेमाल है।
'मकबरा' शब्द क्यों बना बवाल?
'मकबरा' शब्द का अर्थ होता है समाधि या मकबरा, जो आमतौर पर मुस्लिम शासकों या महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। रानी दुर्गावती एक हिंदू रानी थीं, जिन्होंने गोंडवाना पर शासन किया और मुगल साम्राज्य के खिलाफ बहादुरी से लड़ीं। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद समाधि या स्मारक बनाए जाते हैं, मकबरा नहीं। इसी वजह से कई विद्वानों और हिंदू संगठनों ने इस सवाल पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि यह न केवल ऐतिहासिक रूप से गलत है, बल्कि रानी दुर्गावती की विरासत का भी अपमान है। NSUI के सदस्यों ने इस सवाल को सरासर गलत बताते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
परीक्षा समन्वयक ने क्या कहा?
विश्वविद्यालय की परीक्षा समन्वयक प्रोफेसर रश्मि टंडन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा, "यह एक गंभीर चूक है और ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए था। हम इसकी गहन जांच कर रहे हैं कि प्रश्न पत्र में 'मकबरा' शब्द का इस्तेमाल क्यों किया गया। जिन शिक्षकों ने ये प्रश्न तैयार किए हैं, उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। जांच पूरी होने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।"
कौन थीं वीरांगना रानी दुर्गावती?
आपको बता दें कि रानी दुर्गावती 16वीं शताब्दी में गोंडवाना की एक वीर रानी थीं। उन्होंने अपने नाबालिग बेटे वीर नारायण के संरक्षक के रूप में कुशलतापूर्वक शासन किया। रानी दुर्गावती अपनी बहादुरी और मुगल साम्राज्य के विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ उनके प्रतिरोध के लिए इतिहास में अमर हैं। उन्होंने न्याय, बलिदान और नारी शक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। मध्य प्रदेश सरकार भी रानी दुर्गावती के सम्मान में जबलपुर के मदन महल पहाड़ी पर एक भव्य स्मारक का निर्माण करवा रही है, जिसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी है, जो 24 एकड़ में फैला होगा और रानी दुर्गावती की वीरता की गाथा को हमेशा याद दिलाएगा।
इस घटना ने विश्वविद्यालय प्रशासन को सवालों के घेरे में ला दिया है और छात्रों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों की मांग है कि इस चूक के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।