कमाल है! बिहार में अब पानी पर तैरेंगे अस्पताल, डॉक्टर-दवा सब नाव पर, बाढ़ पीड़ितों को मिलेगी संजीवनी!

"बिहार में अब पानी पर तैरेंगे अस्पताल! बाढ़ पीड़ितों के इलाज के लिए नाव पर डॉक्टर, नर्स और दवाओं का पूरा इंतजाम, जानें पूरी योजना।"

कमाल है! बिहार में अब पानी पर तैरेंगे अस्पताल, डॉक्टर-दवा सब नाव पर, बाढ़ पीड़ितों को मिलेगी संजीवनी!

पटना: बिहार में हर साल बाढ़ का कहर टूटता है और हजारों लोग बेघर होने के साथ-साथ बीमारियों की चपेट में भी आ जाते हैं। लेकिन इस बार सरकार ने बाढ़ पीड़ितों की जान बचाने के लिए एक ऐसा नायाब तरीका निकाला है, जिसे सुनकर आप भी कहेंगे - कमाल है! अब बिहार के 15 बाढ़ प्रभावित जिलों में पानी पर तैरते अस्पताल (Floating Hospital) बनाए जाएंगे, जो मेडिकल स्टाफ और जरूरी दवाओं से लैस होकर बाढ़ में फंसे लोगों तक पहुंचेंगे और उन्हें तुरंत इलाज मुहैया कराएंगे।

जी हां, आपने सही सुना! बिहार का स्वास्थ्य विभाग एक ऐसा एक्शन प्लान लेकर आया है, जो बाढ़ के दौरान बीमार लोगों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होगा। इन तैरते अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स और कंपाउंडर की पूरी टीम मौजूद रहेगी, जो नावों पर घूम-घूमकर बाढ़ में फंसे मरीजों का इलाज करेगी और उन्हें जरूरी दवाएं भी देगी। सबसे खास बात ये है कि इन फ्लोटिंग हॉस्पिटल्स में सभी जरूरी दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेंगी, ताकि किसी भी मरीज को इलाज के लिए इंतजार न करना पड़े।

बाढ़ में भी मिलेगा चलता-फिरता इलाज:

बिहार सरकार हर साल बाढ़ से होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करती है। इसी कड़ी में इस बार नावों पर ही अस्पताल बनाने का ये अनूठा फैसला लिया गया है। इन अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए सभी आवश्यक उपकरण और दवाएं मौजूद रहेंगी। डॉक्टर और नर्स की टीम 24 घंटे मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहेगी। बाढ़ के पानी में फंसे लोगों को सही समय पर चिकित्सा सहायता मिल सके, इसके लिए ये अस्पताल लगातार प्रभावित इलाकों में घूमते रहेंगे। इस योजना के सफल होने से बिहार के 15 जिलों के लाखों लोगों को बाढ़ के दौरान होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से काफी हद तक राहत मिलने की उम्मीद है।

अस्पतालों में नहीं होगी दवा और स्टाफ की कमी:

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर सभी सिविल सर्जनों को कमर कसने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि इन तैरते अस्पतालों में दवाइयों और दूसरी जरूरी मेडिकल चीजों की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए नजदीकी सरकारी अस्पतालों से लगातार सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी। अगर किसी भी चीज की कमी होती है, तो प्रभारी डॉक्टर को एक दिन पहले ही अस्पताल से अनुरोध करना होगा, ताकि समय रहते सब कुछ उपलब्ध कराया जा सके।

महामारी से निपटने की भी तैयारी:

बाढ़ के समय अक्सर महामारी फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने पंचायत भवन, सरकारी स्कूलों या किसी भी सार्वजनिक जगह पर अस्थायी अस्पताल बनाने के भी निर्देश दिए हैं। ये अस्थायी अस्पताल तब तक काम करते रहेंगे, जब तक बाढ़ का पानी पूरी तरह से उतर नहीं जाता और महामारी का खतरा टल नहीं जाता। इन अस्थायी अस्पतालों में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को वहीं रहना होगा, ताकि मरीजों को तुरंत इलाज मिल सके।

इसके अलावा, बाढ़ के संकट से लोगों को बचाने के लिए सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को चलंत पैथोलॉजिकल दल (Mobile Pathological Teams) बनाने के लिए भी कहा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य बाढ़ प्रभावित इलाकों में मरीजों की तुरंत जांच करना और महामारी की स्थिति का जल्द से जल्द पता लगाना है। इसके लिए पटना के अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान से भी लगातार संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।

कुल मिलाकर, बिहार सरकार का ये फ्लोटिंग हॉस्पिटल का कॉन्सेप्ट वाकई कमाल का है! बाढ़ जैसी आपदा में जहां लोगों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है, वहां पानी पर तैरते ये अस्पताल बीमारों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आएंगे और सही मायने में उनकी जान बचाने में मददगार साबित होंगे।