चीन की गोद में बैठा पाकिस्तान, युद्ध की धमकी के पीछे अब असली चेहरा उजागर
भारत के खिलाफ युद्ध और परमाणु हमले की धमकियां देने वाले पाकिस्तान को चीन का समर्थन मिला खुलासा। जानिए कैसे जिन्ना का मुल्क चीन के दम पर भारत को उकसा रहा है।

परिचय: आतंक की जमीन पर खड़ा परमाणु भ्रमजाल
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने एक बार फिर दक्षिण एशिया में शांति के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 अप्रैल को निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तान न सिर्फ अपने अपराधों को नकार रहा है, बल्कि भारत को परमाणु हमले की धमकियां दे रहा है। अब इस युद्ध के पीछे खड़े चेहरे को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है – और वह है चीन।
चीन की छाया में परमाणु धमकी का खेल
लाहौर में चीनी महावाणिज्यदूत शाओ शिरेन ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान का साथ देने की बात कबूल कर ली है। उन्होंने न केवल सीपीईसी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बुनियादी ढांचे में सहयोग की बात की, बल्कि साफ कहा कि चीन पाकिस्तान के साथ था, है और रहेगा।
भले ही शाओ शिरेन ने युद्ध को समाधान नहीं बताया, लेकिन उन्होंने बातचीत और समर्थन के नाम पर पाकिस्तान को पूरी नैतिक और कूटनीतिक हवा दी है। यह वही समर्थन है जिसके दम पर पाकिस्तान भारत को खुलेआम धमकियां देने की हिम्मत कर रहा है।
पीछे की कहानी: हमले से लेकर साजिश तक पाकिस्तान की भूमिका
पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों की पहचान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। वहां उन्हें ट्रेनिंग दी गई और भारत में हमले के लिए भेजा गया। भारत की खुफिया एजेंसियों के पास सबूत हैं कि पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए हो रहा है।
पाकिस्तान की बौखलाहट – क्यों दे रहा परमाणु हमले की धमकी?
भारत द्वारा लिए गए सख्त कदम – जैसे कि सिंधु जल संधि का निलंबन, पाकिस्तानी वीजा रद्द करना, और राजनयिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश – ने पाकिस्तान को हिला दिया है। वह अब चीन के समर्थन के बल पर युद्ध और परमाणु हथियारों की धमकी दे रहा है। यह एक तरह से वैश्विक मंच पर अपनी हार छिपाने की कोशिश है।
चीन का दोहरा चेहरा – शांति की बात और आतंक पर चुप्पी
चीन एक तरफ दोनों देशों को बातचीत की सलाह दे रहा है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ खड़ा होने की वचनबद्धता भी दोहरा रहा है। सवाल यह है कि क्या बातचीत की पहल उसी देश से होनी चाहिए जो आतंकवाद को शह देता है? क्या चीन का यह रुख क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा नहीं बनता?
सीपीईसी और चीन की रणनीतिक पकड़
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना का हिस्सा है, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान से होकर गुजरता है। इस प्रोजेक्ट में भारी निवेश होने के कारण चीन पाकिस्तान से किसी भी कीमत पर नाता नहीं तोड़ना चाहता, चाहे वह आतंकवाद में लिप्त क्यों न हो। चीन की यही मजबूरी भारत के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है।
पाकिस्तान में मचा त्राहि-त्राहि – आम जनता बनी शिकार
भारत की सख्ती का असर अब पाकिस्तान के आम नागरिकों पर भी दिख रहा है। अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान लौटते लोगों ने कहा कि सरकारों की लड़ाई में जनता पिस रही है। लेकिन भारत का यह रुख आतंकी गतिविधियों के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश देता है कि अब कोई ढील नहीं दी जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को मिल रहा समर्थन
चीन के विपरीत अमेरिका, फ्रांस, जापान जैसे बड़े राष्ट्रों ने भारत की कार्रवाई को आतंक के खिलाफ उचित ठहराया है। ये देश पहले ही संकेत दे चुके हैं कि पाकिस्तान को आतंकवाद पर नकेल कसनी ही होगी। चीन का झुकाव पाकिस्तान की ओर उसे अलग-थलग करने का खतरा भी पैदा कर सकता है।
अब सवाल – क्या युद्ध होगा या शांति का रास्ता खुलेगा?
यह एक गंभीर मोड़ है जहां भारत और पाकिस्तान के संबंध एक बार फिर युद्ध जैसे हालात की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। लेकिन अब यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी बनती है कि वह चीन जैसे देशों को स्पष्ट संदेश दे कि आतंक का समर्थन अब किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष: एक और 'ड्रैगन' का पर्दाफाश
भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान के पीछे खड़े ड्रैगन यानी चीन का चेहरा अब पूरी तरह उजागर हो चुका है। यह केवल भारत-पाक तनाव नहीं बल्कि वैश्विक शांति व्यवस्था की परीक्षा है। भारत ने अब तक संयम दिखाया है, लेकिन अगर यह स्थिति बनी रही तो भारत की प्रतिक्रिया केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि निर्णायक भी हो सकती है।