डॉ. शालिनी के प्रयासों से संवर रहा है महिलाओं का मातृत्व सुख, 15 महिलाएं बनीं मां

सेवापुरी की डॉ. शालिनी शर्मा ने महिलाओं के बांझपन का इलाज कर 15 परिवारों में खुशियां लौटाईं। जानें कैसे माहवारी और हाइजीन की देखभाल से संभव हुआ मातृत्व का सपना।

डॉ. शालिनी के प्रयासों से संवर रहा है महिलाओं का मातृत्व सुख, 15 महिलाएं बनीं मां

वाराणसी, 7 मई 2025:
सेवापुरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. शालिनी शर्मा ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बांझपन और प्रजनन संबंधी समस्याओं को समझकर जिस जज्बे के साथ इलाज शुरू किया, उसका नतीजा अब खुशियों में तब्दील हो चुका है। उनकी देखरेख में अब तक 15 महिलाओं ने स्वस्थ शिशुओं को जन्म दिया, जिससे उन परिवारों में वर्षों से सूनी जिंदगी अब बच्चों की किलकारियों से गूंज उठी है।


 स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में बड़ा कदम

सेवापुरी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित सिंह ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग निरंतर उन्नति कर रहा है।
डॉ. सिंह कहते हैं, "तेजी से बदलती जीवनशैली और मानसिक तनाव महिलाओं के स्वास्थ्य को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है। ऐसे समय में डॉ. शालिनी जैसे चिकित्सकों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।"


 समस्या क्या थी?

डॉ. शालिनी बताती हैं कि उन्होंने ओपीडी में जब महिलाओं की शिकायतें सुनीं, तो देखा कि अधिकांश महिलाएं जननांग संक्रमण, माहवारी अनियमितता, और पर्सनल हाइजीन की कमी से जूझ रही थीं।
इनमें से कई महिलाएं वर्षों से मां बनने का सपना लिए निराश थीं।

"कई मामलों में समस्या इतनी जटिल नहीं होती जितना कि डर बना लिया जाता है," डॉ. शालिनी कहती हैं।
"यदि सही समय पर जांच और सही काउंसलिंग हो, तो इलाज से बदलाव संभव है।"


 15 माताओं की कहानी: उम्मीद से जीवन तक

मन देवी (नेवादा गांव)

22 वर्षीय मन देवी की शादी को तीन साल हो चुके थे, पर बच्चा नहीं हो रहा था।
2022 में वह डॉ. शालिनी की ओपीडी में पहुंची।
जांच के बाद उन्हें इलाज दिया गया और करीब एक साल के भीतर वह गर्भवती हुईं
आज मन देवी दो बच्चों की मां हैं और उनके परिवार में फिर से रौनक लौट आई है।

प्रिया पांडेय (घोशिला गांव)

26 वर्षीय प्रिया को भी विवाह के दो वर्षों बाद गर्भधारण नहीं हो पा रहा था।
2024 में डॉ. शालिनी ने उनकी जांच की और 8 महीनों के इलाज के बाद वह गर्भवती हुईं।
11 मार्च 2025 को उन्होंने सुरक्षित प्रसव किया। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

इन दो मामलों के जैसे 15 महिलाओं को सफलता मिल चुकी है, और 28 महिलाओं का इलाज फिलहाल जारी है


 इलाज की प्रक्रिया क्या रही?

डॉ. शालिनी ने बताया कि:

  • सबसे पहले महिलाओं की पूर्ण मेडिकल हिस्ट्री ली गई।

  • माहवारी, दर्द, पानी जाना, फंगल/बैक्टीरियल संक्रमण जैसी समस्याओं की पहचान की गई।

  • प्रजनन अंगों की जांच (अल्ट्रासाउंड, पैप स्मीयर आदि) कराई गई।

  • डाइट, हाइजीन और जीवनशैली में बदलाव सुझाया गया।

  • दवाओं और मनोवैज्ञानिक परामर्श के जरिये इलाज किया गया।


 माहवारी और पर्सनल हाइजीन: बांझपन से मुक्ति की कुंजी

डॉ. शालिनी बताती हैं कि:

"अधिकतर महिलाओं में बांझपन का कारण कोई गंभीर बीमारी नहीं बल्कि माहवारी के दौरान असावधानी, संक्रमण और पोषण की कमी होता है। यदि समय रहते महिलाएं अपनी पर्सनल हाइजीन और खानपान पर ध्यान दें, तो गर्भधारण की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।"


 ग्रामीण समुदाय में जागरूकता अभियान की जरूरत

इस पहल ने साफ कर दिया है कि यदि:

  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ डॉक्टर हों

  • नियमित जांच उपलब्ध हो

  • महिलाओं को माहवारी, स्वच्छता और जननांग संबंधी समस्याओं की जानकारी दी जाए

तो लाखों महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित नहीं रहेंगी।

डॉ. शालिनी की इस सफलता ने साबित कर दिया है कि सकारात्मक बदलाव की शुरुआत एक डॉक्टर से भी हो सकती है।


निष्कर्ष: जब डॉक्टर बनी उम्मीद की किरण

सेवापुरी के गांवों में जो कभी सूना-सूना सा माहौल था, अब वहां बच्चों की हंसी गूंज रही है।
डॉ. शालिनी शर्मा का प्रयास, केवल चिकित्सकीय नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता का उदाहरण बन चुका है।
उनकी सलाह है:

"हर महिला को अपने शरीर की सुननी चाहिए, और हर छोटी समस्या को नजरअंदाज करने की जगह डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।"