तुर्किए में '3 बच्चे पैदा करने ही होंगे' का फरमान: घटती जन्म दर से चिंतित एर्दोगन ने 2025 को घोषित किया 'परिवार का वर्ष'

गिरती जन्म दर से जूझ रहे तुर्किए में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने नागरिकों से कम से कम तीन बच्चे पैदा करने की अपील की है और 2025 को 'परिवार का वर्ष' घोषित किया है। आर्थिक संकट और नौकरियों की कमी के बीच यह मुद्दा महिलाओं और LGBTQ+ समुदाय पर दोषारोपण के कारण विवादों में भी है।

तुर्किए में '3 बच्चे पैदा करने ही होंगे' का फरमान: घटती जन्म दर से चिंतित एर्दोगन ने 2025 को घोषित किया 'परिवार का वर्ष'

अंकारा, तुर्किए: तुर्किए एक नए और गंभीर संकट से जूझ रहा है – यह कोई आर्थिक या राजनीतिक संकट नहीं, बल्कि जनसंख्या से जुड़ा है। तुर्किए की जनसंख्या लगातार घट रही है और महिलाओं का कम बच्चे पैदा करना राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के लिए चिंता का सबब बन गया है। गिरती जन्म दर को 'जंग से भी बड़ा खतरा' माना जा रहा है, और इससे निपटने के लिए अब तुर्किए सरकार कई कदम उठा रही है। बच्चों को जन्म देने के लिए नई नीतियाँ बनाई गई हैं और 2025 को तुर्किए का 'परिवार का वर्ष' घोषित किया गया है।

एर्दोगन ने पिछले महीने ऐलान किया था कि 2026 'परिवार के दशक' की शुरुआत होगी। लेकिन महिलाओं से कम से कम तीन बच्चे पैदा करने की उनकी अपील और नवविवाहितों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश शायद पर्याप्त न हो, क्योंकि तुर्किए गहराते आर्थिक संकट से जूझ रहा है।


गिर रही जन्म दर: एक 'आपदा'

आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि तुर्किए की जन्म दर 2001 में प्रति महिला 2.38 बच्चों से गिरकर 2025 में 1.48 हो गई है, जो फ्रांस, ब्रिटेन या अमेरिका से भी कम है। 71 वर्षीय इस्लामिस्ट और चार बच्चों के पिता एर्दोगन ने इसे 'एक आपदा' माना है। उन्होंने अपने 22 साल के कार्यकाल के दौरान, पहले प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति के रूप में, 85 मिलियन की आबादी वाले इस देश में प्रजनन दर में तेजी से गिरावट देखी है।


LGBTQ+ पर गुस्सा और सामाजिक दबाव

जन्म दर में गिरावट के लिए एर्दोगन ने महिलाओं और LGBTQ+ लोगों दोनों को दोषी ठहराया है, जिससे विवाद पैदा हो गया है। नारीवादी कार्यकर्ता बेरिन सोनमेज़ ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "महिलाओं और LGBTQ+ व्यक्तियों को घटती जनसंख्या वृद्धि दर के लिए एकमात्र दोषी माना जाता है, जबकि राजनीतिक गलतियों को स्वीकार नहीं किया जाता है।" उन्होंने कहा कि इस अराजक और और अनिश्चित माहौल में लोग बच्चे पैदा करने में हिचकिचा सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों के लिए सहायता लगभग न के बराबर है और शिक्षा सबसे महंगा क्षेत्र बन गया है।


आर्थिक संकट और रोजगार की कमी

तुर्किए इस समय गंभीर आर्थिक संकट और नौकरियों की कमी से जूझ रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, तुर्किए पिछले चार साल से उच्च मुद्रास्फीति (इंफ्लेशन) से जूझ रहा है, जिसकी वजह से पिछले साल की तुलना में शिक्षा की लागत में 70 प्रतिशत से ज़्यादा की वृद्धि हुई है। ऐसे माहौल में, जहाँ रोज़गार की अनिश्चितता और बढ़ती महंगाई लोगों के लिए जीवनयापन मुश्किल बना रही है, बच्चों का पालन-पोषण करना और भी बड़ी चुनौती बन गया है।

तुर्किए सरकार का यह फरमान और घोषणाएँ देश की जनसांख्यिकीय चुनौतियों से निपटने के लिए एक कठोर कदम मानी जा रही हैं, लेकिन इसकी सफलता आर्थिक स्थिरता और सामाजिक स्वतंत्रता पर निर्भर करेगी।