नाटो का मेंबर बनने की तैयारी में जुटा कट्टर मुस्लिम देश, पाकिस्तान की उड़ी नींद

Russia claims Afghanistan is preparing to join NATO, alarming Pakistan due to potential security threats along their 2600 km border and the implications of NATO's collective defense policy.

नाटो का मेंबर बनने की तैयारी में जुटा कट्टर मुस्लिम देश, पाकिस्तान की उड़ी नींद

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका और पश्चिमी देश अफगानिस्तान को नाटो (NATO) में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। इस खुलासे से रूस चिंतित है, और पड़ोसी देश पाकिस्तान की भी नींद उड़ गई है। पाकिस्तान की चिंता का मुख्य कारण यह है कि अफगानिस्तान के नाटो में शामिल होने से उसकी पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।

लावरोव के अनुसार, नाटो की यह कवायद रूस को अफगानिस्तान से अलग-थलग करने की रणनीति का हिस्सा है। उनका मानना है कि यदि ऐसा होता है, तो अफगानिस्तान स्वतंत्र नहीं रह पाएगा और पश्चिमी देशों के प्रभाव में आ जाएगा, जिसे रूस बर्दाश्त नहीं करेगा।

पाकिस्तान क्यों है चिंतित?

अफगानिस्तान, पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है, जिसकी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान के साथ लगभग 2600 किलोमीटर तक फैली हुई है। यदि अफगानिस्तान नाटो की सदस्यता प्राप्त करता है, तो पाकिस्तान के लिए उस पर किसी भी प्रकार का सैन्य हस्तक्षेप करना अत्यंत कठिन हो जाएगा। नाटो के संविधान के अनुच्छेद 5 के अनुसार, किसी भी सदस्य देश पर हमला पूरे संगठन पर हमला माना जाता है। इसका अर्थ है कि यदि अफगानिस्तान पर कोई बाहरी खतरा आता है, तो नाटो के सभी सदस्य देश उसकी रक्षा के लिए एकजुट हो जाएंगे।

वर्तमान में, पाकिस्तान अफगानिस्तान से संचालित आतंकवादियों के मुद्दे पर काफी मुखर रहा है, जबकि तालिबान सरकार इस संबंध में चुप्पी साधे रहती है। पाकिस्तान की परमाणु शक्ति की स्थिति उसे कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन अफगानिस्तान के नाटो सदस्य बनने के बाद पाकिस्तान की स्थिति कमजोर हो सकती है।

तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते पहले सहज थे, लेकिन हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। पाकिस्तान वर्तमान में तालिबान के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, अगर अफगानिस्तान नाटो का सदस्य बन जाता है, तो आगे की राह पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगी और उसे अपनी पश्चिमी सीमा पर एक शक्तिशाली और सामूहिक सुरक्षा वाले प्रतिद्वंद्वी का सामना करना पड़ सकता है।

रूस के इस दावे ने एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक नई बहस छेड़ दी है और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में इस दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं।