कर्नाटक में ओला, उबर, रैपिडो की बाइक टैक्सी सर्विस 16 जून से बंद: हाईकोर्ट का कड़ा फरमान, लाखों यात्री और हज़ारों ड्राइवर प्रभावित
कर्नाटक हाई कोर्ट ने ओला, उबर और रैपिडो की बाइक टैक्सी सर्विसेज को 16 जून 2025 से बंद करने का आदेश दिया है, जब तक सरकार नियम नहीं बनाती। यह फैसला बेंगलुरु के लाखों यात्रियों और हज़ारों ड्राइवरों को प्रभावित करेगा।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने ओला (Ola), उबर (Uber) और रैपिडो (Rapido) जैसी कंपनियों की बाइक टैक्सी सर्विसेज को 16 जून 2025 से बंद करने का फरमान सुना दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक कर्नाटक सरकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत बाइक टैक्सी के लिए पक्के नियम-कायदे नहीं बनाती, तब तक इन सेवाओं को अलविदा कहना होगा।
इस खबर का असर सिर्फ उन लाखों यात्रियों पर नहीं पड़ेगा, जो बेंगलुरु जैसे व्यस्त शहर में बाइक टैक्सी को अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं, बल्कि उन हज़ारों ड्राइवरों पर भी पड़ेगा, जो इन बाइकों को चलाकर अपनी रोज़ी-रोटी कमा रहे थे।
क्या है पूरा मामला?
बात शुरू होती है कर्नाटक हाई कोर्ट से, जहाँ ओला (जो कि एएनआई टेक्नोलॉजीज़ के नाम से रजिस्टर्ड है), उबर इंडिया सिस्टम्स और रैपिडो जैसी कंपनियों ने याचिका दायर की थी। इन कंपनियों का कहना था कि उनकी बाइक टैक्सी सर्विस को कानूनी मान्यता दी जाए। साथ ही, पीले नंबर प्लेट वाले वाहनों को ट्रांसपोर्ट व्हीकल के तौर पर रजिस्टर करने की इजाज़त मिले। लेकिन कोर्ट ने उनकी सारी दलीलें सुनने के बाद उनकी अंतरिम राहत की अर्ज़ी को ठुकरा दिया। कोर्ट का साफ कहना है कि बिना ठोस नियमों के ये बाइक टैक्सी सर्विसेज अवैध हैं।
न्यायमूर्ति बी.एम. श्याम प्रसाद की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि "जब तक कर्नाटक सरकार मोटर वाहन अधिनियम के तहत बाइक टैक्सी के लिए स्पष्ट नियम और दिशानिर्देश लागू नहीं करती, तब तक इन सर्विसेज को चलाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती।" कोर्ट ने सरकार को ये नियम बनाने के लिए तीन महीने का वक्त भी दिया है। मतलब, अगर सरकार तेज़ी से काम कर ले, तो शायद भविष्य में ये सर्विसेज फिर से शुरू हो सकती हैं। लेकिन अभी के लिए तो 16 जून से बाइक टैक्सी का रास्ता बंद हो चुका है।
पहले क्या हुआ था?
अप्रैल 2025 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने इन कंपनियों को अंतरिम राहत देते हुए 15 जून तक अपनी बाइक टैक्सी सर्विस चलाने की छूट दी थी। लेकिन अब कोर्ट ने इस राहत को और आगे बढ़ाने से मना कर दिया। नतीजा, 16 जून से इन सर्विसेज पर पूरी तरह से रोक लग गई है।
वैसे, कर्नाटक सरकार ने 2021 में इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी योजना शुरू की थी। उस वक्त लगा था कि शायद ये सस्ता और पर्यावरण के लिए फ्रेंडली ऑप्शन बेंगलुरु जैसे शहरों में धूम मचाएगा। लेकिन सुरक्षा और नियमों की कमी की वजह से मार्च 2024 में इस योजना को वापस ले लिया गया। यानी, सरकार ने खुद ही अपनी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
बेंगलुरु के लिए क्यों बड़ा झटका?
बेंगलुरु को तो वैसे भी ट्रैफिक का तमगा मिला हुआ है। वहाँ की सड़कों पर जाम में फंसना रोज़ की बात है। ऐसे में ओला, उबर और रैपिडो की बाइक टैक्सी कई लोगों के लिए किसी सुपरहीरो से कम नहीं थी। सस्ती, तेज़, और ट्रैफिक से बचने का आसान तरीका। चाहे ऑफिस जाने की जल्दी हो, स्टेशन पहुँचना हो, या फिर बस कहीं जल्दी से निकलना हो, ये बाइक टैक्सी हर किसी की फेवरेट थी।
लेकिन अब इनके बंद होने से लोगों को ऑटो रिक्शा या दूसरी टैक्सी सर्विसेज का सहारा लेना पड़ेगा, जो न सिर्फ महँगी हैं बल्कि ट्रैफिक में भी ज़्यादा वक्त लेती हैं। खासकर मिडिल क्लास और स्टूडेंट्स के लिए, जो कम पैसे में फटाफट कहीं पहुँचना चाहते थे, ये खबर किसी बड़े झटके से कम नहीं।
ड्राइवरों का क्या होगा?
अब बात उन ड्राइवरों की, जो इन बाइक टैक्सी को चलाकर अपनी रोज़ी-रोटी कमा रहे थे। बेंगलुरु जैसे शहर में हज़ारों लोग इन ऐप्स के ज़रिए बाइक टैक्सी चला रहे हैं। कोर्ट के इस फैसले से उनकी कमाई पर सीधा असर पड़ेगा। कई ड्राइवरों ने तो इसके लिए लोन लेकर बाइक खरीदी थी, और अब उनके सामने EMI चुकाने का संकट खड़ा हो सकता है।
वैसे, इन कंपनियों ने कोर्ट में ये भी दलील दी थी कि उनकी सर्विसेज न सिर्फ यात्रियों के लिए सुविधाजनक हैं, बल्कि ये ड्राइवरों को रोज़गार भी दे रही हैं। लेकिन कोर्ट ने साफ कह दिया कि नियमों के बिना ये सब नहीं चल सकता।