शेयर बाजार धड़ाम! सेंसेक्स 636 अंक टूटा, निवेशकों के डूबे ₹2.39 लाख करोड़, जानें क्यों?
जून के दूसरे कारोबारी दिन शेयर बाजार में बड़ी गिरावट, सेंसेक्स 636 अंक और निफ्टी 174 अंक टूटा। निवेशकों को ₹2.39 लाख करोड़ का नुकसान। ग्लोबल ट्रेड टेंशन, कमजोर इकोनॉमिक डेटा और RBI पॉलिसी से पहले सतर्कता मुख्य कारण।

जून के महीने में लगातार दूसरे कारोबारी दिन शेयर बाजार को बड़ा झटका लगा है। मंगलवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 636.24 अंक या 0.78 फीसदी गिरकर 80,737.51 पर बंद हुआ। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 174.10 अंक या 0.70 फीसदी लुढ़ककर 24,542.50 अंकों पर बंद हुआ। सत्र की शुरुआत में ही बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली थी, जब सेंसेक्स 798 अंक गिरकर 80,575 के स्तर तक पहुंच गया था, जबकि निफ्टी ने 24,502 का निचला स्तर छुआ था। इस भारी गिरावट के चलते देश के 21.73 करोड़ शेयर बाजार निवेशकों को 2,39,309.67 करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ है।
शेयर बाजार में इस बड़ी गिरावट के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण माने जा रहे हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं: ग्लोबल ट्रेड टेंशन का बढ़ना, कमजोर वैश्विक आर्थिक आंकड़े, आरबीआई एमपीसी के फैसले से पहले निवेशकों की सतर्कता, अमेरिकी डेट और यील्ड में तेजी, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें। आइए, इन कारकों को विस्तार से समझते हैं:
ग्लोबल ट्रेड टेंशन में इजाफा:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आयातित स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ को दोगुना करके 50 फीसदी करने की योजना की घोषणा ने निवेशकों की धारणा को कमजोर किया है। यह नया टैरिफ 4 जून, 2025 से प्रभावी होगा। इस कदम से टाटा स्टील, हिंडाल्को और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसे भारतीय धातु निर्यातकों के लिए चिंता बढ़ गई है। भारत ने वित्त वर्ष 2025 में इन धातुओं का 4.5 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का निर्यात अमेरिका को किया था।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि टैरिफ और व्यापार का माहौल अनिश्चित और अशांत बना रहेगा। बाजार ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित बातचीत पर भी बारीकी से नजर रख रहे हैं, क्योंकि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार तनाव अभी भी जारी है।
कमजोर ग्लोबल इकोनॉमिक डेटा:
हालिया आंकड़ों के अनुसार, लगातार तीसरे महीने अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट दर्ज की गई है। चीन में भी, आठ महीनों में पहली बार फैक्ट्री गतिविधि में गिरावट आई है, जो यह दर्शाता है कि अमेरिकी टैरिफ वैश्विक मांग और आपूर्ति श्रृंखला को नकारात्मक रूप से प्रभावित करना शुरू कर रहे हैं। इन वैश्विक घटनाक्रमों ने अमेरिकी और एशियाई बाजारों पर समान रूप से दबाव डाला है। नैस्डैक और एसएंडपी 500 वायदा में शुरुआती कारोबार में 0.3 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।
RBI पॉलिसी फैसलों से पहले सावधानी:
बैंक, फाइनेंशियल, ऑटो और कंज्यूमर शेयरों जैसे ब्याज दर के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में दबाव देखने को मिला, क्योंकि निवेशक शुक्रवार को आने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति के नतीजों का इंतजार कर रहे थे। व्यापक रूप से 25 आधार अंकों की दर में कटौती की उम्मीद है, लेकिन केंद्रीय बैंक की टिप्पणी और आगे के मार्गदर्शन को लेकर अनिश्चितता ने निवेशकों को प्रॉफिट-बुकिंग के लिए प्रेरित किया। निफ्टी बैंक और फाइनेंशियल सर्विस इंडेक्स लगभग 0.8 फीसदी नीचे थे, जबकि ऑटो और एफएमसीजी शेयरों में भी 0.5 फीसदी तक की गिरावट आई।
यूएस डेट और बॉन्ड यील्ड में इजाफा:
बाजार अमेरिकी सीनेट द्वारा 3.8 ट्रिलियन डॉलर के नए कर-और-खर्च विधेयक पर चर्चा शुरू करने की खबर पर भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यह ऐसे समय में आया है जब यूएस फेडरल लोन पहले ही 36.2 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुका है। सरकारी उधारी में संभावित वृद्धि ने दीर्घकालिक यूएस बॉन्ड यील्ड को महत्वपूर्ण 5 फीसदी के स्तर के करीब पहुंचा दिया है, जिससे दुनिया भर के इक्विटी बाजारों पर दबाव बढ़ रहा है।
तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव:
भू-राजनीतिक तनाव और उम्मीद से कम आपूर्ति के कारण कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं। ब्रेंट क्रूड 64.58 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहा, जबकि डब्ल्यूटीआई 62.46 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और सहयोगी देशों (ओपेक+) द्वारा जुलाई में उत्पादन वृद्धि को 411,000 बैरल प्रति दिन पर बनाए रखने पर सहमति जताने के बाद पिछले सत्र में दोनों अनुबंधों में लगभग 3 फीसदी की वृद्धि हुई थी। यह वृद्धि बाजार में कुछ लोगों की आशंका से कम है और पिछले दो महीनों में हुई वृद्धि के अनुरूप है।
यूएस में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें:
इससे पहले, फेड गवर्नर क्रिस्टोफर वालर ने सुझाव दिया था कि आगामी आर्थिक आंकड़ों के आधार पर इस साल भी ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। बाजार वर्तमान में सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की 75 फीसदी संभावना पर मूल्य निर्धारण कर रहे हैं, लेकिन फेड की ओर से अभी तक कोई ठोस संकेत नहीं आया है, जिससे बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।