जस्टिस बी.आर. गवई होंगे भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश: अनुच्छेद 370 से लेकर इलेक्टोरल बॉन्ड तक दिए ऐतिहासिक फैसले
जस्टिस बी.आर. गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए हैं। अनुच्छेद 370, नोटबंदी और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे अहम मामलों में उन्होंने ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। जानिए उनके करियर, फैसलों और सामाजिक योगदान के बारे में विस्तार से।

नई दिल्ली, 1 मई 2025 — भारत को जल्द ही नया मुख्य न्यायाधीश मिलने वाला है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त किया गया है। कानून मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। जस्टिस गवई 14 मई को कार्यभार ग्रहण करेंगे और मौजूदा CJI संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जस्टिस गवई अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले देश के दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे।
वरिष्ठता के आधार पर हुआ चयन
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता परंपरा के तहत अगला CJI चुना जाता है। वर्तमान CJI संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल को कानून मंत्रालय को जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी। जस्टिस गवई का कार्यकाल 6 महीनों का होगा और वह 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
न्यायिक सफर: आम वकील से सुप्रीम कोर्ट तक
जस्टिस गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत की शुरुआत की थी। उन्होंने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील के रूप में सेवा दी। 1992 से 1993 के बीच वह बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक रहे।
2003 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश और 2005 में स्थायी न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
ऐतिहासिक निर्णयों की लंबी सूची
जस्टिस गवई ने सुप्रीम कोर्ट में कई संवैधानिक पीठों का हिस्सा रहते हुए महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं, जिनका सीधा असर देश की राजनीति, प्रशासन और नागरिक अधिकारों पर पड़ा है:
1. अनुच्छेद 370 (2023)
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को जस्टिस गवई की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से वैध करार दिया।
2. इलेक्टोरल बॉन्ड योजना (2024)
राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता के मुद्दे पर जस्टिस गवई की पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया और उसे रद्द कर दिया।
3. नोटबंदी फैसला (2023)
2016 की नोटबंदी को 4:1 के बहुमत से सही ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच पर्याप्त विमर्श के बाद लिया गया था।
4. बुलडोजर कार्रवाई (2024)
जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के किसी की संपत्ति को गिराना असंवैधानिक है और ऐसा करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
5. ईडी निदेशक कार्यकाल (2023)
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय मिश्रा को सेवा विस्तार दिए जाने को अवैध करार देते हुए उन्हें पद छोड़ने का आदेश दिया गया।
अन्य उल्लेखनीय फैसले
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राजीव गांधी हत्याकांड (2022): दोषियों को रिहाई दी गई क्योंकि राज्यपाल ने तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर कोई कदम नहीं उठाया था।
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वणियार आरक्षण रद्द (2022): तमिलनाडु में जातीय आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया गया।
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राहुल गांधी को राहत (2023): मोदी सरनेम केस में दोष सिद्ध होने के बाद संसद से अयोग्यता पर रोक लगाई गई।
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तीस्ता शीतलवाड़ को जमानत: मानवाधिकार कार्यकर्ता को गिरफ्तारी के बाद राहत मिली।
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दिल्ली शराब घोटाला (2024): मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता के. कविता को जमानत दी।
सामाजिक पृष्ठभूमि और परिवार
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उनके पिता आर.एस. गवई एक प्रतिष्ठित दलित नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार व केरल के राज्यपाल रह चुके हैं। न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन के बाद वे देश के दूसरे अनुसूचित जाति समुदाय से सीजेआई बनने वाले व्यक्ति होंगे।
निष्कर्ष
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का कार्यकाल भले ही छह महीने का होगा, लेकिन उनके अनुभव, निष्पक्षता और न्यायप्रिय दृष्टिकोण से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे भारत की न्यायपालिका को और अधिक मजबूत बनाएंगे। उनके कार्यकाल से आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा को और बल मिलेगा।
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