कर्नल सोफिया कुरैशी: अफ्रीका के रण में 72 घंटे की बहादुरी, जब कंपनी कमांडर भी हुए मुरीद!

जानिए कर्नल सोफिया कुरैशी की बहादुरी की कहानी, जब अफ्रीका में 72 घंटे के ऑपरेशन में दिखाया शौर्य। 'ऑपरेशन सिंदूर' में भी रहीं सुर्खियों में।

कर्नल सोफिया कुरैशी: अफ्रीका के रण में 72 घंटे की बहादुरी, जब कंपनी कमांडर भी हुए मुरीद!

                                                                                                सोफिया कुरैशी

भारतीय सैनिकों का शौर्य और पराक्रम किसी से छिपा नहीं है। पूरी दुनिया में अपनी अद्भुत प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हमारे वीर जवानों में अब महिला सैन्य अधिकारी भी कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही हैं। ऐसी ही एक असाधारण वीरांगना हैं, कर्नल सोफिया कुरैशी। उन्होंने अफ्रीकी देश कांगो में लगातार 72 घंटे चले एक चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन में ऐसी अद्वितीय बहादुरी का परिचय दिया कि उनसे प्रभावित होकर उनके कंपनी कमांडर भी यह पूछने पर मजबूर हो गए कि आखिर यह जांबाज भारतीय महिला सैनिक कौन है? यह प्रेरणादायक वाकया स्वयं कर्नल सोफिया कुरैशी ने एक कार्यक्रम में साझा किया था।

हाल ही में, पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना के सफल 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद कर्नल सोफिया कुरैशी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस साहसिक ऑपरेशन की आधिकारिक जानकारी देने वाली दो महिला सैन्य अधिकारियों में वह भी शामिल थीं। कर्नल सोफिया ने अपने करियर में किन कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना किया है, इसकी एक झलक उन्होंने खुद एक सार्वजनिक मंच पर दी थी। उन्होंने बताया था कि पूर्वी अफ्रीका में कई देशों की संयुक्त सैन्य टुकड़ी ने 72 घंटे तक चले एक बेहद चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। इस दौरान, उस पूरी टुकड़ी की सर्वोच्च प्राथमिकता वहां फंसे हुए नागरिकों की जान बचाना थी।

ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय सेना की महिला अधिकारियों- विंग कमांडर व्योमिका और कर्नल सोफिया ने दी जानकारी 

योद्धाओं के परिवार से, बहादुरी रगों में:

सीएनबीसी के साथ एक साक्षात्कार में कर्नल कुरैशी ने नारी सशक्तिकरण पर खुलकर बात की थी। उन्होंने गर्व से कहा था कि वह योद्धाओं के परिवार से ताल्लुक रखती हैं और बहादुरी तो जैसे उनके जीन में ही है। सेना में शामिल होना उनका बचपन का सपना था। उन्होंने भारतीय सेना को एक सर्वश्रेष्ठ संस्था बताया, जिसका हिस्सा बनना उनके लिए सौभाग्य की बात है। कर्नल सोफिया ने कहा कि सेना में आने के बाद उन्हें लगातार चुनौतियों को मात देने का अवसर मिला और देश की सेवा करने पर उन्हें हमेशा गर्व की अनुभूति होती है।

                   कर्नल सोफिया क़ुरैशी अपने परिजनों के साथ 

'सैल्यूट कमाना पड़ता है': 

लेफ्टिनेंट के रूप में सेना में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कर्नल सोफिया ने 'ऑपरेशन पराक्रम' से जुड़ा एक महत्वपूर्ण किस्सा भी साझा किया। उन्होंने बताया, "जब मैं डिवीजन में तैनात थी, तब मेरे कंपनी कमांडर ने मुझसे कहा था कि सोफिया, अगर आप सैल्यूट चाहती हैं तो आपको इसे कमाना होगा। आपको गंभीरता से काम करना होगा।" अगस्त 2023 के एक कार्यक्रम में कर्नल सोफिया ने कहा कि आज जब वह पीछे मुड़कर देखती हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि उन्होंने सेना में अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बलबूते ही वह सम्मान और सैल्यूट अर्जित किया है। उन्होंने अपने उत्कृष्ट मेंटरों को भी याद किया, जिनके मार्गदर्शन में काम करने के कारण उन्हें 'ऑपरेशन पराक्रम' में कमेंडेशन कार्ड भी मिला था।

कांगो में 72 घंटे का चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन:

एक सैनिक के रूप में आने वाली कठिन चुनौतियों के सवाल का जवाब देते हुए कर्नल सोफिया ने अफ्रीकी देश कांगो के एक अविस्मरणीय अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में शांति सैनिकों को भेजने के मामले में हमेशा अग्रणी रही है। वह महिला अधिकारियों के दूसरे बैच में शामिल थीं, जिन्हें ऐतिहासिक राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन में भाग लेने का सौभाग्य मिला।

कर्नल सोफिया ने उस ऑपरेशन के बारे में बताते हुए कहा कि स्वीडन, ट्यूनिशिया और उरुग्वे जैसे विभिन्न देशों के सैनिकों के साथ मिलकर बनी एक संयुक्त सैन्य टुकड़ी को 'कॉर्डन एंड सर्च' ऑपरेशन चलाना था, जिसका नेतृत्व भारत कर रहा था। उन्होंने लगभग 72 घंटे तक चले उस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। ऑपरेशन समाप्त होने के बाद, वहां मौजूद कंपनी कमांडर उनकी कार्यशैली और बहादुरी से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उत्सुकता से उनके बारे में पूछा। उसने जानना चाहा कि भारतीय सेना की वह जांबाज महिला अधिकारी कौन है? कर्नल सोफिया ने बताया कि यह सुनकर उन्हें अत्यंत गर्व का अनुभव हुआ। उस ऑपरेशन के माध्यम से लोगों ने भारतीय सेना की क्षमता और समर्पण को जाना, न कि सिर्फ सोफिया कुरैशी को।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी नेतृत्व:

कर्नल सोफिया को आसियान (ASEAN) देशों की सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करने का भी गौरव प्राप्त हुआ है। उस बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में 22 देशों के सैन्य अधिकारी शामिल थे और वह एकमात्र महिला सैन्य अधिकारी थीं जिन्होंने अपने देश के दल का नेतृत्व किया था। पूर्वोत्तर भारत में अपनी पोस्टिंग के दौरान भी उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने का अवसर मिला। उन्हें महिलाओं की पहली मिलिट्री पुलिस की मेंटरशिप और ट्रेनिंग में भी शामिल होने का मौका मिला, जहां उन्होंने महिला सैनिकों की एक यूनिट को कमांड किया। अपनी पहली लंबी सेवा के बाद आज वह लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नत हुई हैं, जिस पर उन्हें गर्व है। महिला सैनिकों के पहले बैच से होने के नाते वह खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं।

ऑपरेशन सिंदूर से फिर आईं सुर्खियों में:

आपको बता दें कि भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत जिन नौ पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर अचूक हमले किए थे, बुधवार को भारतीय सेना ने उनकी आधिकारिक तस्वीरें भी जारी कीं। इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन पर विस्तृत जानकारी देने के लिए भारतीय सेना की दो महिला अधिकारियों - विंग कमांडर व्योमिका और कर्नल सोफिया ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर (POJK) में पांच आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए गए, जबकि चार आतंकी ठिकाने पाकिस्तानी सीमा के भीतर स्थित थे। खास बात यह है कि मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय - मरकज-तैय्यबा पर एक के बाद एक चार मिसाइलें दागी गईं। इस संवेदनशील और महत्वपूर्ण प्रस्तुति के बाद से ही कर्नल सोफिया कुरैशी एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बन गई हैं, जो न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय सेना के अदम्य साहस और क्षमता का भी जीवंत उदाहरण हैं।