केंद्र का यू-टर्न: कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे को आखिरकार मिली अमेरिका जाने की इजाजत
Karnataka ke minister Priyank Kharge ko ab US jaane ki mili anumati. Kendra sarkar ne pehle rok lagayi thi, lekin virodh aur CM ke hastakshep ke baad faisla badla. Kharge ne isse rajniti se prerit bataya tha.

बेंगलुरु, कर्नाटक: कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी (आईटी-बीटी) मंत्री प्रियांक खरगे को आखिरकार अमेरिका यात्रा की अनुमति मिल गई है। केंद्र सरकार ने पहले उनकी इस महत्वपूर्ण यात्रा पर रोक लगा दी थी, लेकिन विरोध और मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद केंद्र ने अपना फैसला पलट दिया है। यह घटनाक्रम राज्य के विकास और केंद्र-राज्य संबंधों पर नए सवाल खड़े कर रहा है।
क्या था मामला?
प्रियांक खरगे को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में **14 से 27 जून के बीच आयोजित दो प्रतिष्ठित वैश्विक कार्यक्रमों—बायो इंटरनेशनल कन्वेंशन 2025 और डिजाइन ऑटोमेशन कॉन्फ्रेंस—**में भाग लेना था। ये दोनों ही कार्यक्रम राज्य में निवेश और तकनीकी सहयोग लाने के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण थे। खरगे ने इसके लिए 15 मई को केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी, लेकिन चौंकाने वाला कदम उठाते हुए, 4 जून को विदेश मंत्रालय ने उनके अनुरोध को खारिज कर दिया था।
खरगे का आरोप: 'राजनीति से प्रेरित और विकास विरोधी' फैसला
केंद्र के इस फैसले के बाद राज्य सरकार और मंत्री खरगे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस कदम को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और कर्नाटक के विकास विरोधी बताया। खरगे ने सवाल उठाया था कि जब यह यात्रा राज्य के हित में है और किसी निजी उद्देश्य से नहीं की जा रही है, तो इसकी अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?
विधान सौध में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खरगे ने अपनी नाराजगी खुलकर जताई थी। उन्होंने केंद्र सरकार पर बिना कारण कर्नाटक सरकार की योजनाओं में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट किया था, "हम अमेरिका में छुट्टियां मनाने नहीं जा रहे थे। यह एक आधिकारिक यात्रा थी, जिससे राज्य को निवेश और तकनीकी सहयोग मिलने वाला था। केंद्र ने बिना कारण रोका, यह राज्य के विकास में बाधा डालने जैसा है।"
खरगे ने यह भी कहा था कि वे इस निर्णय को यूं ही नहीं छोड़ेंगे और विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगेंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस निर्णय पर नाराजगी जताई थी।
केंद्र ने दो दिन में बदला फैसला
इन तीखी आलोचनाओं और मुख्यमंत्री के पत्राचार के महज दो दिन के भीतर ही केंद्र सरकार ने अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया और प्रियांक खरगे को अमेरिका यात्रा की अनुमति प्रदान कर दी।
प्रियांक खरगे ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "विदेश मंत्रालय ने अंततः मेरे अमेरिका दौरे पर लगी रोक हटा दी है। लेकिन इस फैसले में देरी और बाधा ने राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाया। यह शुरू से ही अवमानना थी।" उन्होंने यह भी कहा कि जब केंद्र और राज्य एक ही देश की सरकारें हैं, तो इस तरह का भेदभाव उचित नहीं है।
कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के कई नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र की आलोचना की और कहा कि राज्यों के विकास से जुड़े विषयों को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। यह घटना दर्शाती है कि कैसे केंद्र और राज्य के बीच के संबंध विकास परियोजनाओं को भी प्रभावित कर सकते हैं, और यह भी कि दबाव में सरकारें अपने फैसले बदलने को मजबूर हो सकती हैं।