Weather : बनारस में चार साल बाद मूसलाधार बारिश ढाई घंटे में 68.5 मिमी बरसात से जलभराव और भीषण जाम, तस्वीरें देखिए
वाराणसी में सोमवार रात ढाई घंटे में 68.5 मिमी मूसलाधार बारिश दर्ज की गई, जो चार साल बाद जून में हुई सबसे जोरदार बरसात है। इससे शहर में भीषण जलभराव और लंबा जाम लग गया, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। कई इलाकों में पानी घरों में घुस गया और एक फैक्ट्री की बाउंड्री भी गिर गई।

Varanasi Heavy Rain : धार्मिक नगरी वाराणसी में चार साल बाद ऐसी मूसलाधार बारिश हुई है, जिसने एक ओर लोगों को भीषण गर्मी से राहत दी है, तो दूसरी ओर शहर में जलभराव और भीषण जाम से जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सोमवार रात को ढाई घंटे में ही 68.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो जून महीने में काशी के लिए एक नया रिकॉर्ड है।
बारिश के आंकड़े और ऐतिहासिक संदर्भ
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, यह मूसलाधार बारिश थी, जो जून महीने में काशी में चार साल बाद देखी गई है। पिछले 17 वर्षों में यह तीसरी बार है जब जून के किसी एक दिन में इतनी जोरदार बारिश हुई है। इससे पहले, बनारस में 18 जून, 2021 को 92.6 मिमी और 29 जून, 2015 को 103.8 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।
तापमान में गिरावट और मौसम का मिजाज
सोमवार की बारिश ने तापमान को 5-6 डिग्री सेल्सियस तक नीचे गिरा दिया। शाम 5 बजे तक जो पारा 32 डिग्री सेल्सियस था, वह रात 8 बजे तक 27 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला गया। हवा भी 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली, जिससे मौसम खुशनुमा हो गया। गौरतलब है कि बारिश से पहले सोमवार को बनारस यूपी का दूसरा सबसे गर्म शहर था, जहाँ अधिकतम पारा 35.9 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम पारा 27.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।
यूपी आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार सिंह के अनुसार, बंगाल से उत्तर प्रदेश तक मानसून द्रोणी बनी है, और मानसूनी प्रवाह में तेजी आई है। धरती से 3.1 किमी की ऊंचाई पर बादल बंगाल से होते हुए झारखंड और यूपी-बिहार की ओर बढ़ रहे हैं। अगले सात दिनों तक जोरदार बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। जून महीने के 29 दिनों में बनारस में सामान्य स्तर 88 मिमी से दो प्रतिशत कम 86.2 मिमी बारिश हुई।
डॉ. अतुल सिंह ने बताया कि जब एक घंटे में 15 मिमी से ज्यादा बारिश हो तो इसे 'बहुत भारी बारिश', 30 मिमी से ज्यादा हो तो 'मूसलाधार बारिश', और जब 60 मिमी से ऊपर हो तो इसे 'बादल का फटना' कहते हैं।
शहर में जलभराव और जाम से हाहाकार
बारिश के बाद शहर के कई इलाकों में भीषण जलभराव हो गया। गौदोलिया बाजार में स्थिति ऐसी थी कि एक मोटरसाइकिल पानी में तैरती दिखी। इसके साथ ही, पूरा शहर जाम की चपेट में आ गया, और 12 से ज्यादा मार्गों पर घंटों वाहन फंसे रहे। मंडुआडीह से लेकर आकाशवाणी, बरेका से लेकर बनारस स्टेशन, बीएचयू से लेकर लंका चौराहा, अंधरापुल से नदेसर, कैंट, लहरतारा, पांडेयपुर, गौदोलिया, लक्सा, मैदागिन, नई सड़क और सामनेघाट मार्ग जाम से कराहते रहे।
जाम में कई मरीज एंबुलेंस में फंसे रहे, और ऑफिस से लौटने वाले लोग भी बिलबिला उठे। सड़कों पर गड्ढों में पानी भर जाने से लोगों को आवागमन में भारी फजीहत हुई। कई लोग तो अपने वाहनों को छोड़ किनारे खड़े होने को मजबूर हो गए।
श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों की दुश्वारियां
काशी की गलियों में बारिश के बाद चलना-फिरना दूभर हो गया। विश्वनाथ मंदिर और काल भैरव के दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही गंगा आरती देखने वालों को भी भारी दिक्कत हुई। घाटों पर पैर फिसलते रहे, और कीचड़ से सनी गलियों में देसी-विदेशी पर्यटक भी कदम संभाल-संभाल कर आगे बढ़ते रहे।
रविंद्रपुरी कल्याण समिति के अध्यक्ष अनुज डीडवानिया ने बताया कि बारिश का पानी कई घरों में घुस गया। उन्होंने बताया कि यहाँ सड़क को ऊंचा किया गया है, लेकिन सीवर लाइन को जोड़ा नहीं गया है, जिससे समस्या और बढ़ गई है। चारों तरफ सड़कें खोदी गई हैं और बिजली के तार खुले पड़े हैं, जिससे दुर्घटना का खतरा बना है। पोल और पिलर के लिए खोद कर छोड़े गए गड्ढे भी बेहद खतरनाक हैं।
फैक्ट्री में घुसा पानी, बाउंड्री गिरी
मूसलाधार बारिश के कारण रामनगर औद्योगिक क्षेत्र फेस एक में मैट्रिक्स रोलर मिल प्राइवेट लिमिटेड की 80 फीट लंबी और 24 फीट ऊंची बाउंड्री गिर पड़ी। हालांकि, कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन बाउंड्री गिरने से बारिश का पानी फैक्ट्री में भर गया, जिससे बिजली उपकरण और अन्य मशीनें बंद हो गईं। लगभग 12200 बोरी चोकर सहित अन्य सामान पूरी तरह खराब हो गया। कंपनी के जनरल मैनेजर रामाशीष पटेल ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र में जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण अक्सर बारिश में फैक्ट्री मालिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कुल मिलाकर, बनारस में यह मूसलाधार बारिश जहाँ एक ओर गर्मी से राहत लेकर आई, वहीं दूसरी ओर इसने शहर की बुनियादी ढाँचे और जल निकासी व्यवस्था की पोल खोल दी।