वाराणसी: अक्षय तृतीया पर मोहन भागवत की उपस्थिति में 125 कन्याओं का सामूहिक विवाह, पुलिस कमिश्नर ने किया सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण
वाराणसी में अक्षय तृतीया पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की उपस्थिति में 125 कन्याओं का सामूहिक विवाह संपन्न कराया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन में पहली बार अंतरजातीय विवाहों को सामाजिक मंच पर प्रस्तुत किया गया।

वाराणसी, 29 अप्रैल: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर इस बार वाराणसी की पवित्र धरती पर एक ऐतिहासिक और सामाजिक समरसता से भरा आयोजन होने जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत की गरिमामयी उपस्थिति में बुधवार को 125 बेटियों का सामूहिक विवाह संपन्न कराया जाएगा। यह आयोजन न केवल पारंपरिक संस्कारों का उदाहरण बनेगा, बल्कि इसमें सामाजिक एकता और जातीय सीमाओं को तोड़ने का अनूठा संदेश भी छिपा होगा।
संकुलधारा पोखरे पर आयोजित इस भव्य कन्यादान महोत्सव की सबसे खास बात यह है कि इसमें पहली बार अंतरजातीय विवाहों को सामाजिक मंच पर संपन्न कराया जाएगा। इस अवसर पर सभी जातियों और समुदायों के युवक एक साथ बारात लेकर निकलेंगे। घोड़ी, बग्घी और रथ पर सवार होकर, ढोल-नगाड़े, आतिशबाजी और पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ यह बारात द्वारकाधीश मंदिर पहुंचेगी।
कार्यक्रम के आयोजक और संघ के क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि बारात का आगाज बुधवार शाम चार बजे संकुलधारा पोखरे से होगा। इस बारात में विविध वर्गों के लोग शामिल होंगे, और विवाह वेदियों पर ब्राह्मणों के साथ-साथ अन्य जातियों के पुजारी भी वैदिक मंत्रों के साथ विवाह संपन्न कराएंगे। यह आयोजन एक प्रकार से सामाजिक विभेद को मिटाने और एक भारत की अवधारणा को जमीन पर साकार करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
वराणसी: कन्याओं का पांव पखारेंगे मोहन भागवत
विशेष बात यह भी है कि विवाह की वेदियों पर स्वयं सरसंघचालक मोहन भागवत भी उपस्थित रहेंगे और कन्याओं के पांव पखारकर उनके प्रति सम्मान प्रकट करेंगे। वे अन्य गणमान्यजनों के साथ कन्यादान की पूरी परंपरा निभाएंगे, ठीक वैसे ही जैसे एक पिता अपनी बेटी का कन्यादान करता है। इस आयोजन से समाज के विविध वर्गों के लोगों को यह अवसर मिलेगा कि वे कन्याओं के चरण धोकर उनका स्वागत करें और विवाह की प्रत्येक रस्म में सहभागी बनें।
सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण
इस आयोजन की महत्ता को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद की गई है। वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने सोमवार को आयोजन स्थल का निरीक्षण किया और अधिकारियों संग सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की। उन्होंने वहां तैनात पुलिसकर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए, ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। इसके अतिरिक्त, आयोजन स्थल पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरी सुरक्षा टीम तैनात की गई है।
सामूहिक भोजन का आयोजन
आयोजन स्थल पर सभी बारातियों और आगंतुकों के लिए रामानंद विद्यालय परिसर में सामूहिक भोजन की व्यवस्था की गई है। यहां सभी जातियों और वर्गों के लोग एक साथ भोजन करेंगे। यह पहल सामाजिक समरसता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। सभी वर्गों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करेंगे, जो सामाजिक सौहार्द और एकता का प्रतीक होगा।
समारोह का समापन और मोहन भागवत का संबोधन
कार्यक्रम के अंत में सरसंघचालक मोहन भागवत समारोह को संबोधित करेंगे, जिसमें वे इस अनूठे विवाह आयोजन की सामाजिक भावना, राष्ट्रीय एकता और समरसता पर अपने विचार साझा करेंगे। उनके शब्दों में इस आयोजन की अहमियत और सामाजिक समरसता की दिशा में इसकी भूमिका स्पष्ट रूप से परिलक्षित होगी। इस मौके पर भागवत ने इसे एक ऐतिहासिक पहल के रूप में देखा, जहां भारतीय समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने की कोशिश की गई है।
समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी
यह आयोजन केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि भारतीय समाज की एकता और विविधता को एक साथ पिरोने का प्रयास है। इसमें न केवल हिंदू समाज के लोग शामिल होंगे, बल्कि सभी जातियों और समुदायों के लोग भी इस अनूठे आयोजन का हिस्सा बनेंगे। इस प्रकार का सामूहिक विवाह आयोजन समाज में एकता और प्रेम का प्रतीक बनने के साथ ही एक संदेश भी देगा कि भारत में जातिवाद और भेदभाव को समाप्त कर समाज को एकजुट किया जा सकता है।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक योगदान
इस आयोजन का एक आध्यात्मिक पहलू भी है, क्योंकि यह विवाह संस्कार भारतीय संस्कृति के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र कृत्यों में से एक है। इस आयोजन में कन्याओं का विवाह न केवल एक व्यक्तिगत खुशी का अवसर है, बल्कि यह समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को मजबूत करने का एक तरीका है। इस प्रकार के आयोजनों से समाज में एकजुटता, भाईचारे और समानता का संदेश मिलता है।
आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता के संकेत
वाराणसी में होने जा रहे इस ऐतिहासिक आयोजन में न केवल पवित्रता और धार्मिकता का समावेश है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने का भी प्रयास है। मोहन भागवत की उपस्थिति और उनके द्वारा कन्यादान की परंपरा निभाने से यह साबित होता है कि भारतीय संस्कृति में सामाजिक समरसता और एकता की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस आयोजन के जरिए भारत के विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे का एक मजबूत संदेश दिया जाएगा, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जातिवाद, भेदभाव और सामाजिक असमानता का कोई स्थान न हो। यह एक प्रेरणा देगा कि कैसे एक समाज के तौर पर हम एकजुट हो सकते हैं और अपने देश को एक मजबूत और समृद्ध भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।