भारत में बदला मौसम: मई में क्यों दिखी मानसून जैसी बारिश? जानें अचानक बारिश और ठंडी हवाओं के पीछे का कारण
मई की शुरुआत में भारत में अचानक बदले मौसम ने सभी को चौंकाया। दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में तेज हवाएं और बारिश क्यों हुई? जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण और आने वाले दिनों का पूर्वानुमान।

भारत में मौसम का अप्रत्याशित बदलाव: क्यों मई में दिखी मानसून की झलक?
भारत में मौसम का मिजाज बदल गया है। मई का महीना आमतौर पर देश के अधिकांश हिस्सों में भीषण गर्मी और लू के लिए जाना जाता है। लेकिन इस साल 2025 की शुरुआत में ही कुछ अलग देखने को मिला। दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में एक मई की रात को तेज हवाएं चलीं, और गरज-चमक के साथ बारिश हुई। इस अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन ने वैज्ञानिकों, मौसम विशेषज्ञों और आम लोगों को चौंका दिया।
क्या हुआ एक मई की रात?
एक मई की देर रात से लेकर दो मई की सुबह तक दिल्ली समेत कई शहरों में तेज बारिश, हवाएं और आंधी दर्ज की गईं। नतीजन कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई, पेड़ उखड़ गए और बिजली गुल हो गई। सबसे दुखद यह रहा कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कुल 10 लोगों की जान इस अचानक बदले मौसम की वजह से चली गई।
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ानों पर भी असर पड़ा। कई फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ा या डायवर्ट किया गया। सवाल उठता है — मई के इस समय में ऐसा मौसम क्यों?
क्या है मौसम विभाग का कहना?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मई की शुरुआत में भारत के मौसम में बदलाव दो मुख्य कारणों से हुआ:
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पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) – यह एक मौसमी सिस्टम है जो आमतौर पर भूमध्य सागर से उत्पन्न होकर उत्तर भारत में बारिश लाता है। इस बार इसका प्रभाव बहुत व्यापक था।
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कम दबाव का क्षेत्र (Low Pressure Area) – बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में नमी युक्त हवाओं का तेजी से आना शुरू हो गया है। इससे दक्षिण और मध्य भारत में बादल और बारिश की स्थितियां बनीं।
मौसम में बदलाव की वैज्ञानिक वजह
आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक नरेश कुमार के अनुसार, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ती गर्मी ने कम दबाव का क्षेत्र बना दिया है। इन क्षेत्रों से उठने वाली नमी युक्त हवाएं उत्तर और मध्य भारत तक पहुंच रही हैं। जब ये हवाएं पश्चिमी विक्षोभ से टकराईं, तो बादलों का निर्माण हुआ और गरज-चमक के साथ बारिश हुई।
इस तरह की गतिविधि आमतौर पर जून-जुलाई में देखी जाती है जब मानसून सक्रिय होता है। मगर इस बार ये घटनाएं मई की शुरुआत में ही सामने आ गईं, जिससे ऐसा लगा जैसे मानसून समय से पहले ही दस्तक दे रहा हो।
कौन-कौन से राज्य प्रभावित हुए?
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उत्तर भारत: दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश के साथ धूल भरी आंधी चली।
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पूर्वोत्तर भारत: असम, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश में तेज बारिश और हवाओं के झोंके दर्ज किए गए।
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पूर्वी भारत: झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी बारिश और गरज के साथ बिजली गिरने की घटनाएं हुईं।
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दक्षिण भारत: केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ भागों में भी बादल छाए रहे और हल्की बारिश दर्ज की गई।
आगे कैसा रहेगा मौसम?
आईएमडी के मुताबिक, 7 मई तक देश के विभिन्न हिस्सों में यह प्रभाव बना रहेगा। उत्तर भारत में बारिश की संभावना कम हो सकती है लेकिन पूर्वोत्तर और दक्षिणी भारत में यह सक्रिय रहेगा। तेज हवाएं और गरज-चमक वाली बारिश कई जगहों पर जारी रहेगी।
मौसम विभाग ने ये भी स्पष्ट किया है कि मई के पूरे महीने में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। औसत से 109% तक अधिक वर्षा दर्ज हो सकती है। इससे किसानों और गर्मी से परेशान आम जनता को राहत मिलेगी।
क्या है इसका दीर्घकालिक प्रभाव?
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गर्मी से राहत: कई राज्यों में तापमान 4 से 6 डिग्री तक गिर गया है। यह बच्चों, बुजुर्गों और मजदूरों के लिए बड़ी राहत है।
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खेती पर असर: जहां यह बारिश राहत लेकर आई है, वहीं जिन जगहों पर कटाई चल रही है, वहां नुकसान भी हुआ है।
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यातायात प्रभावित: एयरलाइंस और रेलवे संचालन में बाधा, ट्रैफिक जाम और सड़कों पर जलभराव जैसी स्थिति बनी।
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मानसून की तैयारी: मानसून की समय से पहले जैसी गतिविधि ने सरकार और प्रशासन को भी अलर्ट कर दिया है।
क्या मानसून पहले आ सकता है?
हालांकि IMD ने अभी तक मानसून के समय में बदलाव की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन मौसम के शुरुआती संकेतों से यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून इस साल सामान्य से पहले भारत में प्रवेश कर सकता है।
निष्कर्ष
मई की शुरुआत में भारत में मौसम का बदला मिजाज कई तरह की संभावनाओं और सवालों को जन्म दे रहा है। यह न केवल मौसम वैज्ञानिकों के लिए बल्कि आम लोगों, किसानों और प्रशासन के लिए भी सतर्कता का समय है। ऐसे बदलाव हमें यह एहसास कराते हैं कि जलवायु परिवर्तन और मौसम की अनिश्चितता अब हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। समय रहते यदि हम सतर्क न हुए, तो आने वाले वर्षों में ऐसे बदलाव और भी अधिक गंभीर रूप ले सकते हैं।