सोमनाथ मंदिर: किसने बनवाया और क्या है इसके रहस्यमयी शिवलिंग की कहानी?

Somnath Mandir kisne banwaya tha? Janiye iske itihaas aur pratham Jyotirlinga ke rahasyamayi shivalinga ki kahani, jiske hawa mein tairne ka zikr milta hai.

सोमनाथ मंदिर: किसने बनवाया और क्या है इसके रहस्यमयी शिवलिंग की कहानी?

सोमनाथ मंदिर, जो गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है, हिंदू धर्म के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थान है। इसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास गौरवशाली होने के साथ-साथ कई बार के विध्वंस और पुनर्निर्माण की कहानियों से भरा हुआ है, जो इसकी अटूट आस्था और वैभव को दर्शाता है।


किसने बनवाया सोमनाथ मंदिर?

सोमनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर कई मान्यताएं और ऐतिहासिक तथ्य मिलते हैं, जो इसे एक नहीं, बल्कि कई बार विभिन्न शासकों और यहां तक कि देवताओं द्वारा निर्मित बताते हैं:

  • पौराणिक मान्यता: पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव (सोमराज) ने करवाया था। कहा जाता है कि राजा दक्ष प्रजापति के श्राप से पीड़ित चंद्रदेव ने भगवान शिव की तपस्या की थी। जब भगवान शिव प्रसन्न होकर उन्हें श्राप मुक्त किया, तो चंद्रदेव ने प्रार्थना की कि भगवान शिव इस स्थान पर शिवलिंग के रूप में विराजमान हों। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की, और तभी से यह स्थान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा।

  • ऐतिहासिक पुनर्निर्माण:

    • लगभग 649 ईस्वी में दूसरी बार इस मंदिर का पुनर्निर्माण वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने करवाया था।
    • 815 ईस्वी में सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद द्वारा तोड़े जाने के बाद, प्रतिहार राजा नागभट्ट ने इसका पुनर्निर्माण करवाया।
    • 1025 ईस्वी में महमूद गजनवी द्वारा मंदिर तोड़ने और लूटने के बाद, गुजरात के राजा भीमदेव और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया।
    • 1169 ईस्वी के आसपास चालुक्य राजा कुमारपाल ने इसका और भव्य निर्माण कराया था।
  • वर्तमान मंदिर का निर्माण: वर्तमान में जो भव्य सोमनाथ मंदिर खड़ा है, उसका पुनर्निर्माण भारत की आज़ादी के बाद हुआ। सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1947 में जूनागढ़ के विलय के बाद इस मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया था। सरदार पटेल के निधन के बाद, इस कार्य को के.एम. मुंशी के निर्देशन में पूरा किया गया। 1 दिसंबर 1955 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया।


सोमनाथ के शिवलिंग का रहस्य

कुछ प्राचीन ग्रंथों में सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग से जुड़ा एक रहस्यमयी उल्लेख मिलता है। 13वीं सदी के लेखक जखारिया अल काजिनी ने अपनी किताब 'वंडर्स ऑफ क्रिएशन' में इसका जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि महमूद गजनवी ने जब मंदिर पर हमला किया, तो उसने शिवलिंग को जमीन और छत के बीच हवा में तैरते हुए देखा था। यह एक ऐसी रहस्यमयी घटना थी, जिसे उस समय गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत से परे माना जाता था।

हालांकि, आधुनिक काल में इस पर कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। यह उल्लेख केवल प्राचीन ग्रंथों और लोककथाओं में मिलता है, जो सोमनाथ मंदिर की अद्वितीयता और उसके साथ जुड़ी आध्यात्मिक ऊर्जा को और भी बढ़ा देता है।

सोमनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास, आस्था और अटूट दृढ़ता का एक जीवंत प्रतीक है, जो हर बार विध्वंस के बाद और भी अधिक भव्यता के साथ खड़ा होता रहा है।