बरेका सूर्य सरोवर में स्थापित हुईं चार योग आसनों की मूर्तियाँ, महाप्रबंधक ने किया शुभारंभ
International Yoga Day 2025 par Bareka ke Surya Sarovar mein 4 pramukh yog asanon ki murtiyan sthapit. GM Naresh Pal Singh ne kiya shubharambh. Yog ke mahatva ko jan-jan tak pahunchane ka uddeshya.

वाराणसी: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के पावन अवसर पर बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने एक नई पहल करते हुए आज, 21 जून 2025 को बरेका सूर्य सरोवर परिसर में चार प्रमुख योग आसनों की प्रतीकात्मक मूर्तियाँ स्थापित कीं। इन मूर्तियों का विधिवत उद्घाटन बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने किया।
योग के मूल संदेश का प्रसार
इस स्थापना का मुख्य उद्देश्य योग के मूल संदेश "हर आसन, हर श्वास – आत्मा और प्रकृति के मिलन की ओर" को जनमानस तक पहुँचाना है। इससे लोगों में योग के प्रति जागरूकता, आकर्षण और अपनत्व की भावना विकसित होगी।
ये चारों योग मूर्तियाँ सूर्य सरोवर के मुख्य प्रवेश द्वार से आगे दाहिनी ओर एक ही पंक्ति में और एक ही दिशा में लगाई गई हैं। इन्हें इस तरह से निर्मित किया गया है कि वे न केवल सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक लगें, बल्कि योग के संदेश को आसानी से लोगों तक पहुँचा सकें। यह स्थान आगंतुकों की पहली नज़र में आता है, जिससे इसका प्रभाव और भी सशक्त होता है।
स्थापित किए गए चार प्रमुख योग आसन
सूर्य सरोवर में स्थापित किए गए चार प्रमुख योग आसन और उनके नाम इस प्रकार हैं:
- वृक्षासन (Tree Pose)
- भुजंगासन (Cobra Pose)
- त्रिकोणासन (Triangle Pose)
- वीर भद्रासन (Warrior Pose)
इन सभी योग मुद्राओं को बेहद सजीव और प्रेरणादायक स्वरूप में बनाया गया है, जो हर दर्शक को योग की गरिमा का अनुभव कराते हैं।
महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह का संदेश
इस संबंध में बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने कहा, "योग भारतीय संस्कृति का अमूल्य उपहार है। इन मूर्तियों के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि योग केवल स्वास्थ्य का साधन नहीं, बल्कि जीवन की एक सशक्त और शांतिपूर्ण शैली है। सूर्य सरोवर अब न केवल एक सुंदर पर्यटन स्थल है, बल्कि यह योग और प्रकृति के संगम का सजीव प्रतीक बनेगा।"
इस पहल की सभी ने सराहना की और इसे "योग को जन-जन तक पहुँचाने की दिशा में एक सुंदर और स्थायी प्रयास" बताया।
बरेका का यह अभिनव प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "योग से सहयोग" के विचार को सजीव करता है और "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य" की भावना को साकार रूप में प्रस्तुत करता है।