पाकिस्तान की बढ़ेगी टेंशन, युद्ध जैसे हालात के बीच ब्रह्मोस की लखनऊ यूनिट होगी शुरू, हर दिन '100 अटैक
भारत-पाक तनाव के बीच लखनऊ में शुरू होगी ब्रह्मोस यूनिट, हर दिन बनेंगी 100 मिसाइलें। देश की रक्षा तैयारियों को मिलेगी अभूतपूर्व मजबूती। जानें पूरी खबर।

लखनऊ: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, देश की रक्षा तैयारियों को एक नई और अभूतपूर्व मजबूती मिलने जा रही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अत्याधुनिक और दुनिया की सबसे विध्वंसक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का निर्माण 11 मई से शुरू होने जा रहा है। 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्लांट न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए सामरिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह संयंत्र उत्तर प्रदेश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाएगा और भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के एसीईओ हरि प्रताप शाही ने इस महत्वपूर्ण परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने इसके लिए 80 हेक्टेयर भूमि मुफ्त में उपलब्ध कराई है। यह अत्याधुनिक रक्षा निर्माण इकाई केवल साढ़े तीन वर्षों के रिकॉर्ड समय में पूरी तरह से बनकर तैयार हो गई है।
रक्षा उपकरणों का होगा निर्माण:
ब्रह्मोस का यह लखनऊ स्थित प्लांट न केवल मिसाइलों का निर्माण करेगा, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों का भी उत्पादन केंद्र बनेगा। यह राज्य का पहला ऐसा प्लांट होगा जो हाईटेक तकनीक और एयरोस्पेस यूनिट्स से लैस होगा, जिससे रक्षा औद्योगिक गलियारे में नए उद्योगों की स्थापना की संभावनाएं भी तेजी से बढ़ेंगी। ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के डीआरडीओ और रूस की सरकारी कंपनी एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 50.5 फीसदी और रूस की 49.5 फीसदी है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस अपनी तरह का पहला ऐसा रक्षा उपक्रम है जिसे भारत ने किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर स्थापित किया है। देश की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में लखनऊ एक बड़े सैन्य औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरने जा रहा है। यहां ब्रह्मोस नेक्स्ट जनरेशन (NG) मिसाइल के उत्पादन का अत्याधुनिक केंद्र पूरी तरह से तैयार है, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 11 मई को करेंगे।
देश को देगा अभूतपूर्व मजबूती:
लखनऊ का यह ब्रह्मोस सेंटर देश की तीनों सेनाओं - थलसेना, नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता को अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करेगा। रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस केंद्र में प्रतिदिन लगभग 100 ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलें तैयार की जाएंगी। इन मिसाइलों का उपयोग हर तीसरे दिन एक बार थलसेना, नौसेना या वायुसेना के बेड़े में किया जाएगा, जिससे देश की सामरिक ताकत में निरंतर वृद्धि होगी और युद्ध जैसे हालातों में दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी।
सुरक्षा कड़ी, अधिकारी मौके पर:
डीआरडीओ और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के वरिष्ठ अधिकारी पहले से ही लखनऊ पहुंच चुके हैं और सुरक्षा व्यवस्था को बेहद कड़ा कर दिया गया है। उद्घाटन से पहले सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलों को अगले साल से राफेल और सुखोई जैसे सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में परीक्षण के लिए शामिल किया जाएगा। इन मिसाइलों की मारक क्षमता की बदौलत INS विक्रांत जैसे एयरक्राफ्ट करियर पाकिस्तान के कराची बंदरगाह तक को आसानी से निशाना बना सकेंगे।
ब्रह्मोस की खासियत:
- ब्रह्मोस एक आधुनिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो 2.8 से 3.0 मैक तक की गति से उड़ान भर सकती है।
- इसे जमीन, समुद्र और हवा सहित बहुस्तरीय लॉन्च विकल्पों से दागा जा सकता है।
- ब्रह्मोस की उन्नत मारक क्षमता 450 किलोमीटर तक है और इसकी सटीकता अचूक है।
- यह चलते-फिरते लक्ष्यों को भी मार गिराने में सक्षम है।
- यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता रखती है, जिससे यह रडार की पकड़ में आसानी से नहीं आती।
- इसमें स्वदेशी तकनीक, यानी अग्नि नियंत्रण प्रणाली और मोबाइल लॉन्चर भारत में ही विकसित किए गए हैं।
उन्नत क्षमता पर हो रहा काम:
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइलों में 7-8 मैक की गति और 1500 किलोमीटर तक की मारक क्षमता हासिल करने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। भारत ने 2022 में ही मिसाइल के निर्यात के लिए पहला एमओयू साइन कर लिया है, जिससे आने वाले वर्षों में भारत रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक निर्यातक के रूप में उभरेगा। उत्तर प्रदेश के सात वायुसेना स्टेशनों में से चार में ब्रह्मोस-एनजी को शामिल करने की योजना है, जिससे न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन से लगती उत्तराखंड सीमा की सुरक्षा भी और अधिक मजबूत होगी।