नाबालिग से दुराचार मामले में अनोखी सज़ा: MP हाई कोर्ट ने थाना प्रभारी को 1000 फलदार पौधे लगाने का दिया आदेश

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश का पालन न करने पर सतना के कोतवाली थाना प्रभारी रविंद्र द्विवेदी को 1000 फलदार पौधे लगाने की सज़ा सुनाई है। यह फैसला नाबालिग से दुराचार के एक मामले में पीड़िता को समय पर नोटिस तामील न कराने की लापरवाही के लिए आया है।

नाबालिग से दुराचार मामले में अनोखी सज़ा: MP हाई कोर्ट ने थाना प्रभारी को 1000 फलदार पौधे लगाने का दिया आदेश

जबलपुर, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश का पालन न करने पर सतना जिले के कोतवाली थाना प्रभारी रविंद्र द्विवेदी को एक अनोखी सज़ा सुनाई है। कोर्ट ने उन्हें 1000 फलदार पौधे लगाने का निर्देश दिया है, जिनमें आम, जामुन, महुआ और अमरूद जैसे पेड़ शामिल होंगे। यह सज़ा एक नाबालिग से दुराचार के गंभीर मामले में पीड़िता को समय पर नोटिस तामील न कराने की लापरवाही के चलते दी गई है।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डबल बेंच, जिसमें जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनीन्द्र कुमार सिंह शामिल थे, ने थाना प्रभारी की लापरवाही पर कड़ी नाराज़गी जताई। दरअसल, यह पूरा मामला अक्टूबर 2021 का है, जब सतना की जिला अदालत ने आरोपी रामअवतार चौधरी को नाबालिग से दुराचार के मामले में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। इस सज़ा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी।


पौधारोपण और निगरानी के निर्देश

हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 को पीड़िता को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था, लेकिन कोतवाली थाना प्रभारी रविंद्र द्विवेदी द्वारा यह नोटिस समय पर तामील नहीं कराया गया। इस पर कोर्ट ने नाराज़गी व्यक्त की। थाना प्रभारी ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी और यह भी कहा कि वह पुलिस महानिरीक्षक द्वारा लगाई गई 5000 रुपये की जुर्माना राशि का भुगतान करेंगे और स्वयं 1000 पौधे लगाएंगे।

अदालत ने निर्देश दिया है कि ये पौधे सतना जिले के चित्रकूट क्षेत्र में 1 जुलाई से 31 अगस्त 2025 के बीच लगाए जाएं। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लगाए गए पौधों की देखभाल एक साल तक स्वयं थाना प्रभारी करेंगे, ताकि पौधे अच्छे से विकसित हो सकें। थाना प्रभारी को सभी पौधों की तस्वीरें और उनकी जीपीएस लोकेशन के साथ एक अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी। इस रिपोर्ट के साथ सतना एसपी का शपथ-पत्र भी संलग्न किया जाए, जिसमें एसपी पौधारोपण स्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट देंगे।


अगली सुनवाई और पूर्व में दिए गए ऐसे निर्णय

इस मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर 2025 को होगी। हाई कोर्ट के आदेश पर थाना प्रभारी रविंद्र द्विवेदी ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी है और भविष्य में इस तरह की लापरवाही नहीं दोहराने का वचन दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पौधारोपण का पूरा खर्च टीआई को अपनी निजी आय से करना होगा।

यह पहली बार नहीं है जब हाई कोर्ट ने इस तरह की पर्यावरणीय सज़ा दी हो। दिसंबर 2024 में भी कोर्ट ने अपने आदेश की अवहेलना करने वाले एक व्यक्ति को एक माह में 50 पेड़ लगाने का निर्देश दिया था। ऐसे निर्णय अदालत के पर्यावरण के प्रति सजग और उत्तरदायी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं और साथ ही न्याय प्रणाली में जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं।

इस तरह की सज़ाएं प्रशासनिक लापरवाही रोकने में कितनी प्रभावी हो सकती हैं, इस पर आपके क्या विचार हैं?