ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान से दूरी क्यों बना रहा चीन? शशि थरूर ने बताई इनसाइड स्टोरी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने पाकिस्तान से दूरी बना ली है। शशि थरूर ने बताया कि भारत का बाजार चीन के लिए अधिक महत्वपूर्ण है, जिससे वह अब पाकिस्तान का खुलकर समर्थन नहीं कर रहा।

ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान से दूरी क्यों बना रहा चीन? शशि थरूर ने बताई इनसाइड स्टोरी

नई दिल्ली।

भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई सैन्य कार्रवाई ने न केवल पाकिस्तान को चौंकाया है बल्कि इसके असर से चीन के रुख में भी बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बड़ा बयान देकर राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।

थरूर के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पलटवार किया, तो चीन ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करने से परहेज किया। उनका कहना है कि भारत का बाजार चीन के लिए आज पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है, और यही वजह है कि वह पाकिस्तान से दूरी बना रहा है।


क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी ठिकानों पर की गई एक लक्षित सैन्य कार्रवाई है। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी बुनियादी ढांचे को नष्ट किया। यह कदम 26 भारतीय नागरिकों की मौत के बाद उठाया गया था, जो एक आत्मघाती हमले में मारे गए थे।

ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतेगा।


चीन का बदला हुआ रुख

थरूर ने इस विषय पर बात करते हुए कहा, “हैरानी की बात है कि चीन ने इस बार पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। चीन ने संयम की बात की, लेकिन खुलकर समर्थन नहीं किया जैसा पहले करता था।”

उनके अनुसार, इसके पीछे दो प्रमुख कारण हो सकते हैं:

  1. भारत का बढ़ता हुआ आर्थिक प्रभाव – दुनिया भर के देश चीन के आयात पर कर बढ़ा रहे हैं, खासकर अमेरिका। ऐसे में भारत जैसे बड़े और स्थिर बाजार की जरूरत चीन को अब पहले से कहीं अधिक है।

  2. युद्ध से बचना चाहता है चीन – थरूर ने कहा, “अगर सच में युद्ध होता, तो शायद चीन पाकिस्तान का साथ देता, लेकिन अभी वह एक रचनात्मक दृष्टिकोण अपना रहा है।”


क्या चीन अब भरोसेमंद साझेदार नहीं रहा पाकिस्तान के लिए?

पिछले वर्षों में चीन और पाकिस्तान के संबंध बहुत मजबूत माने जाते थे, विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद जिस तरह से चीन ने “हम इस मामले से परिचित नहीं हैं” जैसी प्रतिक्रिया दी, वह कई सवाल खड़े करता है।

यह प्रतिक्रिया तब आई जब चीन से यह पूछा गया कि क्या उसके जेट पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई में शामिल थे। इससे यह संकेत मिलता है कि चीन फिलहाल कोई पक्ष नहीं लेना चाहता।


भारत का जवाब: एयर डिफेंस सिस्टम से पाकिस्तान को करारा जवाब

ऑपरेशन सिंदूर के एक दिन बाद पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से हमला करने की कोशिश की, जिसे भारतीय इंटीग्रेटेड काउंटर-UAS ग्रिड और एयर डिफेंस सिस्टम ने असफल कर दिया।

भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी एयर डिफेंस रडार और सैन्य सिस्टम को निशाना बनाया, जिनमें लाहौर जैसे संवेदनशील क्षेत्र भी शामिल थे। इससे पाकिस्तान को यह स्पष्ट संकेत मिला कि भारत अब सर्जिकल स्ट्राइक से आगे की रणनीति अपना रहा है।


दुनिया का रुख: कौन भारत के साथ, कौन तटस्थ

थरूर ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर टिप्पणी करते हुए कहा:

  • रूस, फ्रांस और इज़राइल ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को खुलकर समर्थन दिया है।

  • अमेरिका ने संयम की अपील की, लेकिन थरूर ने कहा, “9/11 के बाद उन्होंने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था, अब उन्हें भारत के आत्मरक्षा अधिकार को समझना चाहिए।”

  • संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं ने शांति और बातचीत की अपील की।


क्या यह भारत की कूटनीतिक जीत है?

चीन जैसे देश का पाकिस्तान से मौन समर्थन वापस लेना भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत मानी जा सकती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की स्थिति अब केवल सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं रही, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी स्वीकार्यता और आर्थिक ताकत भी मजबूत हो चुकी है।


निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि भारत की बदलती रणनीति, वैश्विक कूटनीति और मजबूत आर्थिक प्रभाव का प्रतीक बन गया है। चीन का रुख दर्शाता है कि पुराने गठजोड़ बदल रहे हैं, और अब वैश्विक शक्ति संतुलन नए समीकरणों की ओर बढ़ रहा है।