New Delhi : दिल्ली के अजब-गजब स्कूल 2.5 करोड़ के स्विमिंग पूल 7 साल से पड़े हैं बंद

दिल्ली के शकूरबस्ती के दो सरकारी स्कूलों में 2.5 करोड़ रुपये के स्विमिंग पूल 7 साल से बंद पड़े हैं। शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया (नोट: लेख में आशीष सूद का उल्लेख है, यह मानते हुए कि यह एक टाइपो है और अधिक संभावित पूर्व मंत्री के लिए सही है) ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ सतर्कता जांच के आदेश दिए हैं।

New Delhi : दिल्ली के अजब-गजब स्कूल  2.5 करोड़ के स्विमिंग पूल 7 साल से पड़े हैं बंद

New Delhi : दिल्ली के सरकारी स्कूलों की बदहाली की एक और तस्वीर सामने आई है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शकूरबस्ती विधानसभा क्षेत्र के दो स्कूलों का औचक निरीक्षण किया, जहां करोड़ों रुपये की लागत से बने स्विमिंग पूल पिछले सात सालों से धूल फांक रहे हैं। इन पूलों की खस्ताहालत देखकर मंत्री सूद ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं।

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सर्वोदय को-एड स्कूल, सी ब्लॉक, सरस्वती विहार और राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रानी बाग का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने छात्रों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को जाना। निरीक्षण में स्थानीय विधायक करनैल सिंह, शिक्षा निदेशक और पीडब्ल्यूडी समेत अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे।

निर्माण में घटिया सामग्री का आरोप:

निरीक्षण के बाद शिक्षा मंत्री ने कहा कि विधायकों से मिल रही शिकायतों के आधार पर दिल्ली सरकार स्कूलों का नियमित निरीक्षण कर रही है। उन्होंने बताया कि दोनों स्कूलों में बने स्विमिंग पूल बेहद खराब स्थिति में मिले। हैरानी की बात यह है कि 2018 में लगभग 2.5 करोड़ रुपये की लागत से बनने के बावजूद इन पूलों को कभी चालू ही नहीं किया गया। मंत्री ने कहा कि वहां पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है और ऐसा प्रतीत होता है कि निर्माण में घटिया गुणवत्ता की सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।

लापरवाही से हुआ भ्रष्टाचार:

रानी बाग स्थित स्कूल के स्विमिंग पूल का फर्श कई जगह से टूट गया है और आसपास की टाइलें भी उखड़ रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए मंत्री आशीष सूद ने मौके पर ही शिक्षा निदेशक को दोनों स्विमिंग पूलों की जांच शुरू करने और इसमें शामिल पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों के खिलाफ विजिलेंस और विभागीय जांच के आदेश दिए। उन्होंने पिछली सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी अनदेखी के कारण स्कूलों की यह दुर्दशा हुई, जिससे बच्चों का नुकसान हुआ और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला।

कुछ स्कूलों को दिखाकर किया गुमराह:

शिक्षा मंत्री ने पिछली सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने विज्ञापनों के माध्यम से केवल कुछ बेहतरीन स्कूलों को दिखाकर जनता को गुमराह किया। उन्होंने वर्तमान सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि इस वर्ष दिल्ली सरकार ने शिक्षा बजट में 19% से अधिक की वृद्धि की है, जिसके तहत 19,291 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इस बढ़े हुए बजट का उद्देश्य ऐसे मुद्दों का समाधान करना और सभी सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार लाना है।

अन्य सुविधाओं पर भी ध्यान:

शिक्षा मंत्री ने शिक्षा निदेशक को स्कूलों में, खासकर लड़कियों के लिए, उचित साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल, बिजली और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी सख्त निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त, रानी बाग स्कूल भवन की जर्जर हालत को देखते हुए, जो लगभग 40 वर्ष पुराना है, मंत्री ने इसके स्थान पर एक नया भवन बनाने की योजना तैयार करने का प्रस्ताव भी रखा है।

दिल्ली सरकार का यह कदम सरकारी स्कूलों की मूलभूत सुविधाओं को सुधारने और शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि विजिलेंस जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और इन स्कूलों की हालत कब सुधरती है।