ED Raids: 14,325 करोड़ के जीएसटी घोटाले में बड़ी कार्रवाई, बंगाल-झारखंड के 9 ठिकानों पर ईडी की छापेमारी
ईडी ने 14,325 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी बिल घोटाले में कोलकाता, रांची और जमशेदपुर के 9 ठिकानों पर छापा मारा। अमित गुप्ता, सुमित गुप्ता और शिव कुमार देवड़ा मुख्य आरोपी।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 14,325 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी बिल घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुवार को पश्चिम बंगाल और झारखंड के 9 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह छापे कोलकाता, रांची और जमशेदपुर में स्थित दफ्तरों, घरों और अन्य संदिग्ध परिसरों पर मारे गए।
यह घोटाला भारत के अब तक के सबसे बड़े जीएसटी धोखाधड़ी मामलों में से एक माना जा रहा है। छापों के दौरान ईडी ने बड़ी मात्रा में दस्तावेज, डिजिटल डेटा, बैंक खातों की जानकारी और अघोषित संपत्तियों के प्रमाण जब्त किए हैं।
घोटाले के मास्टरमाइंड: कौन हैं आरोपी?
इस महाघोटाले में मुख्य आरोपी हैं:
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अमित गुप्ता
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सुमित गुप्ता
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शिव कुमार देवड़ा
इन पर फर्जी कंपनियों के माध्यम से 800 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) हड़पने का आरोप है। ये आरोपी 135 से अधिक फर्जी फर्मों के संचालन में शामिल थे, जिनके जरिए झूठे व्यापारिक दस्तावेज और बिल तैयार किए गए।
इन तीनों के सहयोगी विक्की भालोटिया और बबलू जायसवाल का नाम भी पहले सामने आ चुका है, जिन पर जमशेदपुर से इस घोटाले को अंजाम देने का संदेह है।
ईडी की कार्रवाई का दायरा
गुरुवार को हुई छापेमारी में ईडी ने जिन स्थानों पर रेड की, वे हैं:
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कोलकाता: मुख्य कार्यालय और आवासीय परिसर
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रांची: व्यापारिक ठिकाने
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जमशेदपुर: विक्की भालोटिया का घर और ऑफिस
इस दौरान ईडी ने कई बैंक खातों की जानकारी, फर्जी लेन-देन के दस्तावेज, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव्स और लाखों रुपये की अघोषित संपत्ति के सबूत जब्त किए।
कैसे किया गया घोटाला?
ईडी की प्रारंभिक जांच से जो बातें सामने आई हैं, उनमें सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि:
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सैकड़ों फर्जी कंपनियां बनाई गईं।
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उनके नाम पर झूठे बिल और चालान तैयार किए गए।
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इन बिलों के आधार पर सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा किया गया।
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असल में कोई वस्तु या सेवा की डिलीवरी नहीं हुई थी।
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यह घोटाला सोची-समझी साजिश के तहत और धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से अंजाम दिया गया।
सरकार को अरबों का नुकसान
ईडी का कहना है कि इन फर्जी आईटीसी क्लेम के माध्यम से केंद्र सरकार को 14,325 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ है। इस घोटाले में जो आईटीसी क्लेम किया गया था, वो वास्तव में कभी चुकाया ही नहीं गया।
इस तरह यह एक बड़े पैमाने पर कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बन गया है।
पीएमएलए के तहत कार्रवाई
यह कार्रवाई धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की जा रही है। जांच एजेंसी ने कहा कि यह मामला केवल फर्जी बिलिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए काले धन को सफेद करने की भी कोशिश की गई है।
ईडी अब यह पता लगाने में जुटी है कि:
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इन पैसों को किस-किस चैनल से गुजारा गया?
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किन-किन रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स या निवेशों में लगाया गया?
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क्या इसमें किसी राजनीतिक संरक्षण का पहलू शामिल है?
जमशेदपुर में पहले से थी हलचल
घोटाले में शामिल आरोपियों के तार पहले से जमशेदपुर से जुड़े पाए गए थे। यहां के बबलू जायसवाल और विक्की भालोटिया पर पहले भी ईडी कार्रवाई कर चुकी है। अब इन्हें मुख्य कड़ी माना जा रहा है।
ईडी को संदेह है कि जमशेदपुर से कोलकाता तक इस नेटवर्क को चलाया जा रहा था और इसमें कई बिजनेस कंसल्टेंट और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स भी शामिल हो सकते हैं।
आगे क्या?
ईडी इस घोटाले की गहराई से जांच कर रही है। आगे की कार्रवाई में:
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आरोपियों की संपत्तियों को अटैच किया जा सकता है।
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अन्य शहरों में भी छापेमारी का दायरा बढ़ सकता है।
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अंतरराष्ट्रीय लेनदेन और हवाला के तार भी खंगाले जाएंगे।
निष्कर्ष
14,325 करोड़ का यह फर्जी बिल घोटाला केवल कर चोरी का मामला नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि किस तरह संगठित नेटवर्क द्वारा सरकारी प्रणाली को धोखा दिया जा सकता है। ईडी की यह कार्रवाई पैसे के पीछे की पूरी चेन को उजागर करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आने वाले दिनों में यह मामला और भी गहराई से खुलेगा और कई और नाम सामने आने की संभावना है।