वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का 'ब्रेक' नहीं! जानें संविधान के किन अनुच्छेदों पर अटका है 'पेच'
"वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई, क्या कानून संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 29 और 30 का उल्लंघन करता है? जानें पूरा मामला।"

वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू हो गई है। पिछली सुनवाई में देश की शीर्ष अदालत ने कई अहम सवाल उठाए थे, जिनमें वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने की मंजूरी, कलेक्टर के अधिकारों पर रोक और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री जैसे मुद्दे शामिल थे। इस कानूनी पेंच को आसान भाषा में समझते हैं।
दरअसल, वक्फ संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सोमवार को इस मामले पर एक बार फिर सुनवाई होने वाली है। पिछली सुनवाई में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की तरफ से अपनी दलीलें पेश कीं, जबकि सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इस दौरान सरकार से कई तीखे सवाल पूछे और अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भी सिर्फ 5 चुनिंदा याचिकाएं दाखिल करने को कहा है। इसके अलावा, अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति या बहाली नहीं होगी। तो आइए जानते हैं उन मुख्य आधारों को, जिन पर इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
संविधान के इन अनुच्छेदों पर टिकी हैं याचिकाएं:
वक्फ संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य रूप से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 29 और 30 के तहत चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि धर्म हर व्यक्ति का निजी मामला है और सरकार कानून बनाकर इसमें दखल नहीं दे सकती है। इस कानून के खिलाफ कई गैर-सरकारी संगठनों, मुस्लिम संगठनों और विपक्षी कांग्रेस समेत कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं, जिन पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में भी इन बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई थी।
क्या अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है नया वक्फ कानून?
याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 25 यानी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का सीधा उल्लंघन करता है। यह अनुच्छेद भारत के हर नागरिक को अपनी आस्था के अनुसार धर्म को मानने, अपनी धार्मिक परंपराओं का पालन करने और उसका प्रचार करने की आजादी देता है। साथ ही, किसी भी धार्मिक प्रथा से जुड़े वित्तीय, आर्थिक, राजनीतिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष मामलों को नियंत्रित और प्रतिबंधित करने से भी रोकता है। यह अनुच्छेद धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपनी संपत्ति और संस्थानों का प्रबंधन करने का भी अधिकार देता है। ऐसे में, अगर वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन बदला जाता है या इसमें गैर-मुस्लिमों को शामिल किया जाता है, तो यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन हो सकता है।
अनुच्छेद 26 और अल्पसंख्यक अधिकारों का सवाल:
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, नया वक्फ कानून अनुच्छेद 26 का भी उल्लंघन करता है। यह अनुच्छेद हर धार्मिक समुदाय को अपने धार्मिक संगठनों के रखरखाव और प्रबंधन का अधिकार देता है। लेकिन, नए कानून के तहत धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन का अधिकार छीना जा सकता है। इसी तरह, अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीनना संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 का भी उल्लंघन माना जा रहा है। इन अनुच्छेदों का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यक वर्गों के हितों की रक्षा करना और उनकी संस्कृति, भाषा और शिक्षा को बढ़ावा देना है।
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण करता है और उन्हें अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति बनाए रखने का अधिकार देता है। साथ ही, धर्म, नस्ल, जाति या भाषा के आधार पर किसी भी भेदभाव को रोकता है।
- अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार देता है, ताकि वे अपनी संस्कृति और विरासत को सुरक्षित रख सकें। सरकार द्वारा सहायता देते समय भी अल्पसंख्यक संस्थानों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के तीन अहम सवाल:
इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन मुख्य सवाल उठाए हैं:
- क्या वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने की अनुमति मिलनी चाहिए? इसका मतलब है कि क्या ऐसी वक्फ संपत्तियां जिन्हें कोर्ट ने वक्फ घोषित किया है या जिन पर अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं, उन्हें वक्फ की संपत्ति मानने से इनकार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई बड़ा आदेश दे सकता है।
- क्या विवाद की स्थिति में कलेक्टर के अधिकारों पर रोक लगानी चाहिए? नए वक्फ कानून में एक प्रावधान है जिसके तहत वक्फ संपत्ति पर विवाद होने पर कलेक्टर उसकी जांच करेगा और जांच के दौरान उस संपत्ति को वक्फ की संपत्ति नहीं माना जाएगा। केंद्र सरकार का कहना है कि विवादित पक्ष ट्रिब्यूनल जा सकता है।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री का मुद्दा।
भारत में वक्फ संपत्तियों का विशाल साम्राज्य:
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में वक्फ की कुल संपत्ति लगभग 8.72 लाख एकड़ है, जिसकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपए है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वक्फ के पास सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है। 2009 में यह संपत्ति लगभग 4 लाख एकड़ थी, जो अब दोगुनी से भी ज्यादा हो चुकी है।
अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं और संवैधानिक प्रावधानों पर विचार करते हुए वक्फ संशोधन कानून को लेकर क्या फैसला सुनाता है। फिलहाल, सबकी निगाहें अदालत के अगले आदेश पर टिकी हुई हैं।