थाने में जुल्म का अंतःकरण – बरेली में पुलिस पिटाई से आहत किशोर ने की आत्महत्या, गांव में फैला आक्रोश
बरेली जिले में क्योलड़िया थाने की पुलिस की पिटाई से आहत 15 वर्षीय किशोर ने आत्महत्या कर ली। ग्रामीणों में आक्रोश, दरोगा के खिलाफ केस की मांग।

उत्तर प्रदेश के बरेली में मानवाधिकारों को शर्मसार कर देने वाली घटना
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से आई यह खबर न केवल दिल दहलाने वाली है बल्कि यह प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है। यहां के क्योलड़िया थाना क्षेत्र में एक 15 वर्षीय नाबालिग किशोर सलमान की पुलिस हिरासत में कथित रूप से पिटाई के बाद खुदकुशी ने पूरे इलाके में उबाल ला दिया है। ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और पुलिस के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ। परिजनों ने संबंधित दरोगा के खिलाफ नामजद शिकायत दी है, लेकिन न्याय की आस अब भी अधूरी है।
घटना की शुरुआत – एक मासूम बातचीत से उठी आफत
मूल रूप से भुता क्षेत्र के म्यूडीकला गांव निवासी अशफाक का बेटा सलमान, सरवनपट्टी गांव की एक किशोरी से फोन पर बातचीत करता था। यह बातचीत परिवार को नागवार गुज़री। अचानक किशोरी घर से लापता हो गई और उसके परिवार ने क्योलड़िया थाने में अज्ञात के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। आरोप है कि इसी के बाद सलमान को संदेह के आधार पर थाने बुलाया गया और यातना दी गई।
थाने में बेरहमी से की गई पिटाई – कई बार हुई गिरफ्तारी और रिश्वत का खेल
परिजनों के मुताबिक, क्योलड़िया थाने के दरोगा श्रवण कुमार ने सलमान को कई बार उठवाया और बेरहमी से पीटा। हर बार पैसे लेकर उसे छोड़ा गया। बुधवार को भी पुलिस दबिश देकर सलमान को उठा लाई और थाने में उसे बुरी तरह मारा-पीटा गया। देर शाम कथित तौर पर रिश्वत लेकर उसे छोड़ा गया। लेकिन सलमान की आत्मा इस अपमान और शारीरिक पीड़ा को सहन नहीं कर पाई। वह घर लौटा और कुछ देर बाद फांसी लगाकर जान दे दी।
मौत के बाद भड़का गुस्सा – थाने का घेराव, विरोध प्रदर्शन
जैसे ही गांव में सलमान की मौत की खबर फैली, लोग भड़क उठे। ग्रामीणों ने थाने के बाहर जमकर हंगामा किया। परिवार का आरोप है कि पुलिस की प्रताड़ना ही सलमान की मौत का कारण है। परिजनों ने क्योलड़िया थाने के दरोगा के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए भुता थाने में तहरीर दी, लेकिन प्रशासनिक रवैया अभी भी टालमटोल वाला है।
मृतक के परिवार की मांग – आरोपी दरोगा को तत्काल निलंबित कर हो गिरफ्तारी
परिजनों ने साफ तौर पर कहा कि वे बिना किसी कार्रवाई के शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। उनका कहना है कि सलमान को न्याय तभी मिलेगा जब आरोपी पुलिसकर्मी को गिरफ्तार किया जाएगा और मामले की निष्पक्ष जांच होगी। फिलहाल, शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है, लेकिन परिवार का गुस्सा और दर्द अभी शांत नहीं हुआ है।
पुलिसिया दबंगई की नई मिसाल – सवालों के घेरे में कानून का रखवाला
इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। थाने के भीतर हो रही मानवाधिकारों की अनदेखी, रिश्वत और मारपीट की घटनाएं बताती हैं कि कानून के नाम पर किस तरह से आम लोगों का शोषण किया जा रहा है। सलमान एक नाबालिग था, उसे बिना किसी ठोस सबूत के पीटकर आत्महत्या के कगार पर पहुंचा देना न केवल अनैतिक है बल्कि यह कानून की भावना के भी खिलाफ है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया – चुप्पी या समर्थन?
अब तक किसी बड़े नेता या प्रशासनिक अधिकारी की ओर से इस मामले पर कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई है। सवाल यह है कि जब एक नाबालिग के साथ पुलिस इस स्तर की बर्बरता कर सकती है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या गारंटी है? क्या प्रशासन दोषी पुलिसकर्मी को बचाने की कोशिश में है या वाकई कोई निष्पक्ष कार्रवाई होगी?
मानवाधिकार आयोग और बाल आयोग से दखल की मांग
इस घटना को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय संगठनों ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मानवाधिकार आयोग से इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है। किशोर की मौत केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है।
आखिरी सवाल – क्या सलमान को मिलेगा इंसाफ?
सलमान की आत्महत्या ने एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर किया है कि क्या देश के हर नागरिक को, खासकर नाबालिगों को, पुलिस से न्याय और सुरक्षा मिल रही है? क्या 'खाकी' की गरिमा अब भी बची है या वो डर और अन्याय का प्रतीक बनती जा रही है? यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसे सलमान और भी होंगे – गुमनाम, अकेले, और अन्याय के शिकार।